सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और व्हाट्सऐप (WhatsApp) को मैसेजिंग ऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सरकार और मैसेजिंग ऐप से चार हफ्ते के अंदर एक याचिका पर जवाब मांगा है. इसमें मैसैजिंग ऐप के यूरोपीय यूजर्स के मुकाबले भारतीयों के लिए प्राइवेसी के कम मानकों का आरोप लगाया गया है. याचिका में व्हाट्सऐप को भारत में नई प्राइवेसी पॉलिसी लागू करने से रोकने की मांग की गई है.
लोगों को प्राइवेसी खोने का डर
इस पर बात करते हुए शीर्ष अदालत ने पाया कि लोगों की प्राइवेसी को लेकर बड़ी चिंताएं हैं और नागरिकों की प्राइवेसी पैसे से ज्यादा महत्वपूर्ण है. शीर्ष अदालत ने कहा कि लोगों को डर है कि वे अपनी प्राइवेसी को खो सकते हैं और उनकी सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है.
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने सरकार और फेसबुक के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म को करमान्या सिंह सरीन द्वारा दायर अंतरिम ऐप्लीकेशन पर नोटिस जारी किया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि लोग अपनी प्राइवेसी को अहमियत देते हैं, कंपनी की वैल्यू से ज्यादा है, जो ट्रिलियन में हो सकती है.
व्हाट्सऐप ने डेटा शेयर करने के आरोपों को झूठा बताया
अपने यूजर्स के डेटा को शेयर करने के आरोपों को झूठा बताते हुए व्हाट्सऐप ने सुप्राम कोर्ट को कहा कि समान प्राइवेसी पॉलिसी सभी देशों के लिए उपयुक्त है, सिवाए यूरोपीय देशों को छोड़कर, जिनके पास खास डेटा सुरक्षा का कानून है. उसने कहा कि यूरोप में प्राइवेसी पर खास कानून है और अगर भारत में भी समान कानून होगा, तो वह उसका भी पालन करेंगे.
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अपने जवाब में, शीर्ष अदालत ने कहा कि लोग अपनी प्राइवेसी को कंपनी की वैल्यू से ज्यादा वैल्यू करते हैं, जो ट्रिलियन में हो सकती है, लोग को बड़ी आशंका है कि वे अपनी प्राइवेसी को खो देंगे और उसकी रक्षा करना उनका कर्तव्य है.