
सरकार जल्द ही क्रिप्टोकरेंसी पर बिल लेकर आएगी क्योंकि मौजूदा कानून इससे संबंधित मामलों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने मंगलवार को राज्यसभा को यह जानकारी दी है. ऊपरी सदन में एक सवाल का जवाब देते हुए ठाकुर ने कहा कि नियामक संस्थाएं जैसे आरबीआई और सेबी के पास क्रिप्टोकरेंसी को सीधे तौर पर रेगुलेट करने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था मौजूद नहीं है. क्योंकि वे पहचान किए जा सकने वाले यूजर्स द्वारा जारी करेंसी, एसेट्स, सिक्योरिटी या कमोडिटी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून इस मामले से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.
सरकार ने एक इंटर-मिनीस्टीरियल कमेटी बनाई थी, जिसने वर्चुअल करेंसी से संबंधित मामलों पर अपनी रिपोर्ट दी है. एम्पावर्ड टेक्नोलॉजी ग्रुप की एक बैठक हुई. कैबिनेट सचिव की अगुवाई में सचिवों की कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट दी है.
बिल को दिया जा रहा अंतिम रूप
ठाकुर ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर एक बिल को अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसे जल्द ही कैबिनेट को भेजा जाएगा. हम जल्द ही बिल को लेकर आएंगे. वर्चुअल करेंसी से संबंधित जोखिमों को देखते हुए, जिसमें बिटक्वॉइन भी शामिल है, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अप्रैल 2018 में एक सर्रकुलर के जरिए उसके द्वारा सभी इकाइयों को सुझाव दिया था कि वे वर्चुअल करेंसी (VCs) में नहीं डील करें या इसमें डील या VC सेटल कर रहे किसी व्यक्ति या इकाई को मदद नहीं करे.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च 2020 की तारीख के अपने फैसले में आरबीआई के सर्रकुलर को रद्द कर दिया था.
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देश में चीनी कंपनियों से संबंधित पूछे गए दूसरे सवाल में मंत्री ने कहा कि वर्तमान में, देश में करीब 92 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं. इनमें से 80 चीनी कंपनियां भारत में सक्रिय तौर पर काम कर रही हैं.
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