Google Android Policy Changes in India: काफी लम्बे समय से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्मार्टफोन बाज़ार भारत में Android को कैसे संचालित किया जाए यह Google तय करता आ रहा है. गूगल जो नियम बनाता है उसे सिर्फ यूजर्स को ही नहीं बल्कि डेवलपर्स को भी मानना पड़ता है. लेकिन इस हफ्ते से ऐसा नहीं हो पाएगा. पिछले हफ्ते कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) द्वारा लगाए गए 1,338 करोड़ के जुर्माने से बचने के लिए गूगल सुप्रीम कोर्ट पहुँचा था लेकिन गूगल को कोर्ट में एक बड़े झटके का सामना करना पड़ा था. इसके बाद गूगल ने बुधवार को भारत में एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म के लिए अपने नियमों में बदलाव कर दिया है. ये व्यापक परिवर्तन इस बात का परिणाम हैं कि कैसे भारत धीरे-धीरे गूगल जैसे प्लेटफार्मों के टेक स्पेस में एकतरफा प्रभुत्व को कम कर रहा है.
गूगल द्वारा किये गए 4 प्रमुख बदलाव
गूगल द्वारा किये गए बदलावों के बाद अब यूजर्स के बाद सर्च इंजन के रूप कई विकल्प मौजूद होंगे. अब यूजर्स डिवाइस सेट करते समय अपनी पसंद के सर्च इंजन जैसे बिंग (Bing) या डकडकगो (DuckDuckGo) का उपयोग कर सकते हैं. बता दें कि इससे पहले गूगल ने यूरोपीय आयोग के एक एंट्री-ट्रस्ट डिसीजन के बाद यूरोप में इसी तरह के बदलाव पेश किए. उस समय गूगल ने कहा था कि जो सर्च इंजन सूचीबद्ध होना चाहते हैं, उन्हें च्वाइस स्क्रीन में भाग लेने के लिए पात्रता मानदंड को पूरा करना होगा. लेकिन भारत के मामले में, गूगल ने यह नहीं कहा था कि क्या वह प्रतिद्वंद्वी सर्च इंजनों के लिए मैदान खोलेगा जैसा कि उसने यूरोप में किया था. यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यूरोप में इकोसिया (Ecosia) और क्वांट (Qwant) जैसे कई छोटे सर्च इंजन्स हैं लेकिन भारत में गूगल के पास कोई प्रतिस्पर्धी नहीं हैं.
गूगल के निर्णय से देशी स्टार्टअप्स को होगा फायदा
स्मार्टफोन निर्माताओं के पास अब एंड्रॉयड के स्वीकृत Forked संस्करण बनाने का विकल्प होगा. इस बड़े बदलाव से मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम बाजार में प्रतिस्पर्धा और बढ़ सकती है. गौरतलब है कि इस बदलाव के बाद कई भारतीय स्टार्टअप्स को फायदा मिल सकता है. गूगल के कदम से सरकार के स्वामित्व वाले IIT-Madras में शुरू किए गए एक स्टार्टअप द्वारा विकसित देशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम का Google के Android OS के साथ फलने-फूलने का रास्ता साफ हो गया है.
जाहिर है कि एंड्रॉयड फोर्क्स को प्रतिबंधित करने के लिए अतीत में गूगल की कई बार आलोचना की गई थी. 2021 में, फ़ोन निर्माताओं को एंड्रॉयड के संशोधित संस्करणों का उपयोग करने से रोकने के लिए गूगल पर दक्षिण कोरिया में 207.4 बिलियन वोन (लगभग 177 मिलियन डॉलर) का जुर्माना लगा था. कोरिया फेयर ट्रेड कमीशन (KFTC) ने Google पर निर्माताओं के साथ एंटी फ्रेगमेंटेशन एग्रीमेंट्स (AFA) पर हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया था, जिसने उन्हें ऑपरेटिंग सिस्टम में बदलाव करने से रोक दिया था. बता दें कि एंड्रॉयड भले ही एक ओपन-सोर्स OS है लेकिन अगर कोई फ़ोन निर्माता AFA पर हस्ताक्षर करता है, तो उसे Google के नियमों का पालन करना होगा. इस तरह सैमसंग जैसा निर्माता एंड्रॉयड का फोर्क्ड संस्करण पेश नहीं कर सकता है, भले ही वे इसे गैर-गैलेक्सी स्मार्टफोन श्रृंखला में पेश करना चाहते हों.
स्मार्टफोन निर्माता अब अलग-अलग गूगल ऐप्स को दे सकते हैं लाइसेंस
गूगल द्वारा किये गए बदलावों के बाद स्मार्टफोन निर्माता अब अलग-अलग गूगल एप्स को लाइसेंस दे सकते हैं. हालांकि यह उपभोक्ताओं को ज्यादा प्रभावित नहीं करता है लेकिन भारत में फोन निर्माता अब व्यक्तिगत आधार पर गूगल ऐप्स को लाइसेंस देने में सक्षम होंगे. भारत में बिकने वाले स्मार्टफोन में जीमेल, गूगल मैप्स और गूगल प्ले स्टोर को स्थापित करने के लिए लाइसेंस, गूगल मोबाइल सर्विसेज (जीएमएस) को चुनने की कंपनी की नीति से एक बड़ा बदलाव है. गूगल का कहना है कि यह स्मार्टफोन निर्माताओं को “व्यक्तिगत गूगल ऐप्स” को प्रीइंस्टॉल करने देगा.
स्मार्टफोन होंगे सस्ते
अगर Xiaomi एक सुपर किफायती स्मार्टफोन लॉन्च करना चाहता है, तो वह डिवाइस को सिर्फ Google सर्च एप के साथ शिप कर सकता है. ऐसा होने पर इस हैंडसेट की कीमत भी किफायती हो जाएगी. यह कंपनियों को 3,000 रुपये से कम कीमत वाले एंड्रॉयड स्मार्टफोन लॉन्च करने की अनुमति दे सकता है जो कि जीएमएस की अतिरिक्त लागत के कारण पहले संभव नहीं था. गूगल के इस निर्णय से भारत में अल्ट्रा-किफायती फोन के लिए एक नया बाजार खुल गया है.
ये नए नियम स्थानीय खिलाड़ियों को फिर से स्मार्टफोन व्यवसाय में आने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं. इससे सस्ते दामों पर डिवाइस मिलने की भी उम्मीद है. हालांकि फिर भी गूगल को लाभ होता रहेगा क्योकि इसे अपनी मोबाइल सेवाओं का उपयोग करने के लिए निर्माताओं से लाइसेंस शुल्क मिलता रहेगा. चूंकि गूगल सेवा को उसकी सर्च के इर्द-गिर्द डिज़ाइन किया गया है, इसलिए गूगल के पास खोने के लिए कुछ नहीं है.
ऐप्स की साइड लोडिंग और थर्ड पार्टी बिलिंग
Google Play Store के अलावा अन्य स्रोतों से ऐप्स इंस्टॉल करना एंड्रॉयड प्लेटफ़ॉर्म पर हमेशा उपलब्ध रहा है. लेकिन अब, उपयोगकर्ता उन ऐप्स को स्वचालित रूप से अपडेट करने में सक्षम होंगे जिन्हें साइडलोड किया गया है. यही नहीं, थर्ड-पार्टी ऐप स्टोर उसी तरह से स्वचालित ऐप अपडेट जारी करने में सक्षम होंगे जैसे कि Play Store वर्तमान में करता है.
हालाँकि, गूगल ने चेतावनी दी है कि अगर थर्ड पार्टी एप को इंस्टाल करने से पहले उपयोगकर्ताओं के सामने जो भी जोखिम आएंगी उसे उन्हें ही स्वीकार्य करना होगा. गूगल भारत में उपयोगकर्ताओं को इन-ऐप खरीदारी करते समय Google Play के अलावा एक बिलिंग सिस्टम चुनने में सक्षम होने दे रहा है, जिससे ऐप और गेम डेवलपर्स को लाभ हो सकता है. गौरतलब है कि पिछले साल गूगल ने घोषणा की थी कि वह Spotify को अपने स्टैंडर्ड गूगल पे बिलिंग को बायपास करने का अनुमति देगा और इसके लिए निर्धारित शुल्क भी चार्ज भी करेगा.