फेसबुक (Facebook), यूट्यूब (Youtube), ट्विटर (Twitter) और टिकटॉक (TikTok) को अब सरकारी एजेंसियों के पूछने पर यूजर्स की पहचान को बताना होगा. यह सोशल मीडिया कंपनियों और मैसेजिंग ऐप्स के लिए आने वाले नियमों में कहा गया है, जिनके इस महीने लागू किए जाने की उम्मीद है. दुनिया भर में सरकारें सोशल मीडिया कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म पर आने वाले कंटेंट के लिए ज्यादा उत्तरदायी बनाने की कोशिश कर रही हैं.
इन प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट होने वाली फेक न्यूज, चाइल्ड पोर्न, टेररिज्म संबंधी कंटेंट को देखते हुए ऐसा किया गया है. भारत में नई गाइडलाइंस दूसरे देशों से ज्यादा सख्त हैं, जिनमें कंपनियों को सरकारी पूछताछ में पूरी तरह सहयोग करना होगा. इसके लिए किसी वारंट या न्यायिक आदेश की जरूरत नहीं होगी.
दिसंबर 2018 में हुआ था नए नियमों का प्रस्ताव
भारत ने इन गाइडलाइंस का दिसंबर 2018 में प्रस्ताव किया था और इस पर लोगों से प्रतिक्रिया देने को कहा था. ट्रेड ग्रुप इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया जिसमें फेसबुक इंक, अमेजन इंक और एल्फाबेट इंक, गूगल सदस्य हैं, उसने इस पर जवाब दिया कि यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा मान्यता प्राप्त निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा.
एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय द्वारा बिना किसी बड़े बदलाव के इन नए नियमों को इस महीने के आखिर तक जारी करने की उम्मीद है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय के मीडिया सलाहकार एन. एन. कौल ने कहा कि नई नियमों पर अभी प्रक्रिया जारी है. उन्होंने बताया कि वे गाइडलाइंस या बदलावों पर उस समय तक प्रतिक्रिया नहीं देते, जब तक वे जारी नहीं होती हैं.
इससे पहले के ड्राफ्ट में किए गए प्रावधानों में गूगल के यूट्यूब, ByteDance Inc.के टिकटॉक, फेसबुक या उसके इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप ऐप को किसी पोस्ट के स्रोत को पता लगाने में सरकार की मदद करने के लिए कहा था. यह उसे रिक्वेस्ट के 72 घंटों के भीतर करना था.
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50 लाख से ज्यादा यूजर्स वाली सोशल मीडिया कंपनियों पर लागू
कंपनियों को अपने रिकॉर्ड को सरकारी जांचकर्ताओं की सहायता के लिए कम से कम 180 दिन तक संभालकर रखने के लिए भी कहा गया था. इसके साथ ही कंपनियों को यूजर्स की शिकायतों को सुनने और सरकारी सहायता के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा था. अभी मंत्रालय भाषा और कंटेंट पर काम कर रहा है.
ये नियम उन सभी सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स पर लागू होंगे जिनके 50 लाख से ज्यादा यूजर्स हैं. सरकारी अधिकारी ने बताया कि Mozilla या Wikipedia जैसी कंपनियां इन नियमों के अधीन नहीं आएंगी. ब्राउसर्स, ऑपरेटिंग सिस्टम, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट प्रोग्राम सब इससे बाहर हैं. केवल सोशल मीडिया कंपनियों और मैसेजिंग ऐप्स पर ही यह लागू होगा.