
देश में डिजिटल तरीके से पेमेंट करने का चलन तेजी से बढ़ रहा. इस तरीके से भुगतान का चलन सिर्फ अमीर या शिक्षित लोगों के बीच ही नहीं बढ़ा है, बल्कि सभी आय वर्गों या कम पढ़े-लिखे लोगों के बीच भी पैठ बना चुका है. यह खुलासा पीपुल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (PRICE) और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के एक साझा अध्ययन में हुआ है. सर्वे के मुताबिक, देश में करीब एक तिहाई हाउसहोल्ड्स डिजिटल पेमेंट्स करते हैं. सर्वे के मुताबिक, अगर जरूरी प्रशिक्षण और जानकारी उपलब्ध कराई जाए तो 54 फीसदी (15.1 करोड़) से अधिक हाउसहोल्ड्स डिजिटल पेमेंट यूजर्स बन जाएंगे.
यह स्टडी देश भर के 25 राज्यों में 5314 हाउसहोल्ड पर किया गया है. इस स्टडी में सभी आय वर्गों को शामिल किया गया. सर्वे में डिजिटल पेमेंट्स को लेकर जागरुकता, उसे अपनाने और उसे प्रयोग करने को लेकर अध्ययन किया गया.
सर्वे के मुख्य बिंदु
- स्टडी में पाया गया कि 20 फीसदी रिचेस्ट हाउसहोल्ड्स में हर दो में एक डिजिटल पेमेंट करते हैं और 40 फीसदी गरीब हाउसहोल्ड्स में हर चार में एक डिजिटल तरीके से पेमेंट करते हैं.
- इसके अलावा सर्वे में शामिल कई लोगों ने कहा कि वे डिजिटल तरीके से पेमेंट करना चाहते हैं लेकिन उन्हें पहले बताया जाना चाहिए कि इसे प्रयोग कैसे किया जाए. इसके अलावा कुछ लोगों ने पहले इसका प्रयोग किया था लेकिन फिर उन्होंने इसे छोड़ दिया.
- सर्वे के मुताबिक अगर जरूरी प्रशिक्षण और जानकारी उपलब्ध कराई जाए तो 54 फीसदी (15.1 करोड़) से अधिक हाउसहोल्ड्स डिजिटल पेमेंट यूजर्स बन जाएंगे. इसमें से 5.5 करोड़ हाउसहोल्ड्स 40 फीसदी गरीब हाउसहोल्ड्स होंगे. इसके अलावा इसमें से 6.1 करोड़ (40 फीसदी) मध्य आय वर्ग से और 3.6 करोड़ (20 फीसदी) हाउसहोल्ड) उच्च आय वर्ग से होंगे.
- रिपोर्ट के मुताबिक 20 फीसदी रिचेस्ट हाउसहोल्ड्स में 90 फीसदी के पास स्मार्टफोन है और 57 फीसदी गरीब हाउसहोल्ड्स के पास स्मार्टफोन हैं.
UPI और Payment Apps को लेकर जागरुकता
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि यूपीआई और पेमेंट ऐप्स को लेकर हाई लेवल की जागरुकता है. हालांकि सर्वे में यह भी पाया गया कि सभी हाउसहोल्ड्स को अभी इसकी जानकारी नहीं है कि यूपीआई प्लेटफॉर्म इंटरऑपरेबेल है यानी कि एक ही क्यूआर कोड का इस्तेमाल अन्य ऐप को भुगतान में भी किया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों के बीच यूपीआई पेमेंट्स को लेकर जागरुकता फैलाना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि किसी भी बैंक या पेमेंट ऐप का इस्तेमाल किसी यूपीआई यूजर को यूपीआई पेमेंट्स किया जा सकता है. रूपे कार्ड का प्रयोग न सिर्फ शहरी इलाकों में बढ़ा है बल्कि सुदूर ग्रामीण इलाकों में भी इसका चलन बढ़ा है.
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DBT के चलते कम आय वर्ग हुआ डिजिटल
स्टडी में पाया गया कि कम आय वर्ग भी आधार लिंकेज और एसएमएस फैसिलिटी के जरिए बैंकिंग सिस्टम से डिजिटली जुड़ा हुआ है. सर्वे में शामिल 87 फीसदी लोगों ने कहा कि बैंक से आए एसएमएस से उन्हें अपने पैसे को सुरक्षित तरीके से प्रबंधित करने में मदद मिलती है. रिपोर्ट के मुताबिक, डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर्स (DBT) सिस्टम ने रिस्पांडेंट्स के लिए बेहतर काम किया और लॉकडाउन के जौर करीब 85 फीसदी हाउसहोल्ड्स को ने अपने बैंक खाते में डीबीटी प्राप्त किया.
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