साइबर अपराधियों ने वित्त वर्ष 2018-19 में भारत में सबसे अधिक बैंकिंग, वित्तीय, सरकारी एवं महत्वपूर्ण संस्थाओं को निशाना बनाया. प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सिस्को की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.
सिस्को इंडिया और सार्क के निदेशक (सुरक्षा कारोबार) विशक रमण ने कहा,’हैकरों की गतिविधियां लगातार जारी हैं. उनके अभियान बहुत लक्षित हैं. हमने पाया है कि बैंकिंग एवं वित्तीय क्षेत्र पर सबसे अधिक (20.1 प्रतिशत), सरकार (19.6 प्रतिशत) और महत्वपूर्ण संस्थानों (15.1%) को सबसे अधिक साइबर हमले झेलने पड़े हैं.’
इन क्षेत्रों में तेज हो रहे हमले
उन्होंने आगे कहा कि साइबर अपराधी रक्षा, सूचना-प्रौद्योगिकी, दूरसंचार एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर भी हमले तेज कर रहे हैं. रिटेल, आतिथ्य सेवा, एंटरटेनमेंट और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों पर पीओएस मालवेयर के जरिए हमले किए जा रहे हैं. वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, परिवहन के साथ-साथ बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों को रैंसमवेयर से निशाना बनाया जा रहा है.
कितना झेलना पड़ा नुकसान
रमन ने इस मामले में सिस्को द्वारा कराई गई एशिया पैसिफिक सिक्योरिटी कैपेबिलिटीज बेंचमार्क स्टडी का हवाला दिया. इस स्टडी में शामिल प्रतिभागियों में से 21 फीसदी ने कहा कि उन्हें साइबर अटैक के चलते उन्हें 50-99 लाख डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा. वहीं अन्य 5 फीसदी ने कहा कि उनके लिए नुकसान 1 करोड़ डॉलर से भी ज्यादा का रहा.
इस नुकसान में रेवेन्यु, कस्टमर्स की हानि और अन्य कॉस्ट शामिल है. लगभग 27 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि उनके लिए साइबर हमले से नुकसान 1 लाख डॉलर से कम रहा. इससे संकेत मिलता है कि भले ही नुकसान का अमाउंट कम हो लेकिन साइबर हमलों की संख्या बढ़ रही है.