Investment Strategy After Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2024 के लिए बजट में न्यू इनकम टैक्स रिजीम को बढ़ावा देने के लिए कुछ अहम बदलाव किए हैं, हालांकि पुराने टैक्स सिस्टम में कोई बदलाव नहीं हुआ है. न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब की संख्या 6 से घटाकर 5 कर दी. वहीं 5 लाख की जगह 7 लाख तक की इनकम वालों को टैक्स रिबेट का फायदा दिए जाने का एलान किया. यानी 7 लाख रुपये तक इनकम पर कोई टैक्स नहीं होगा. बेसिक एग्जम्पशन लिमिट को भी 2.5 लाख रुपये बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया. अब सवाल उठता है कि नए टैक्स रिजीम को अपनाने वालों की निवेश को लेकर क्या सही स्ट्रैटेजी होनी चाहिए.
नहीं बढ़ी IT एक्ट की धारा 80C की लिमिट
पुराने टैक्स सिस्टम में बने रहने वालों को निराशा हाथ लगी है. उसमें किसी तरह की राहत नहीं मिली. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन लिमिट नहीं बढ़ाई गई है. एक तरह से उन्हें सेविंग्स बढ़ाने के लिए किसी तरह का प्रोत्साहन नहीं मिला.
नए टैक्स सिस्टम वाले क्या करें
BPN फिनकॉर्प के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि यहां एक बात समझने की जरूरत है कि नए टैक्स सिस्टम पर सरकार का फोकस है. पहले जहां लोगों के लिए बचत टैक्स सेविंग को ध्यान में रखकर किया जाता था, यानी फोर्स इन्वेस्टमेट था, अब ऐसा कोई बंधन नहीं है. नए टैक्स सिस्टम में टैक्स सेविंग नहीं बल्कि रिटर्न अहम होगा. वहीं इस पर न्यू जेनरेशन का पुरानी जेनरेशन की तुलना में फोकस ज्यादा होगा. असल में नई जेनरेशन का माइंडसेट रिटर्न पर ज्यादा रहता है, वे पुरानी जेनरेशन की तुलना में रिस्क भी लेने का तैयार हैं. वे फाइनेंशियली ज्यादा एजुकेटेड हैं.
न्यू टैक्स सिस्टम: 80C का बंधन नहीं
उनका कहना है कि नए टैक्स सिस्टम में आईटी एक्ट की एन धाराओं का कोई बंधन नहीं होगा, जिनके तहत टैक्स छूट मिलती है. इसे अपनाने वाले निवेशकों को गोल बनाकर और अपना रिस्क प्रोफाइल देखकर फिर निवेश के बारे में सोचना चाहिए. मसलन वे कितना रिस्क ले सकते हैं, कितने समय के लिए निवेश करना है, निवेश का लक्ष्य घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई और शादी, कार खरीदना या इस तरह कुछ और भी हो सकता है. इस आधार पर उन्हें विकल्प चुनना चाहिए. इसमें यह देखना भी जरूरी है कि कहां उन्हें ज्यादा रिटर्न मिल सकता है.
कहां लगाएं पैसा
एके निगम का कहना है कि अगर आपका गोल शार्ट टर्म का है और बाजार से बहुत ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते हैं तो डेट फंड खासतौर से शार्ट ड्यूरेशन से 1 साल तक की मैच्योरिटी वाले बेहतर विकल्प हैं. यह एक तरह से आपके लिए इमरजेंसी फंड के रूप में भी काम करेगा. इनमें लिक्विडिटी का इश्यू भी नहीं है. ट्रेडिशनल में जाना चाहते हैं 1 साल की एफडी बेहतर भी एक विकल्प है.
अगर आपका निवेश लक्ष्य लंबी अवधि का है तो इक्विटी में जाएं. म्यूचुअल फंड के जरिए इक्विटी में निवेश सीधे शेयर में पैसा लगाने की तुलना में सुरक्षित है. इसमें लार्जकैप, मिडकैप, लार्ज एंड मिड कैप, एग्रेसिव बैलेंस फंड और मिड एंड स्मालकैप फंड बेहतर दिख रहे हैं. इनके अलाचा जिन सेक्टर को लेकर ग्रोथ स्टोरी अच्छी है, वहां भी सेक्टोरल फंड के जरिए पैसे लगा सकते हैं.