वित्तीय सफर के शुरूआत दौर में सेविंग अकाउंट पहला कदम है. आमतौर पर जब कोई शख्स कमाना शुरू करता है, तो वह बैंक में अपना सेविंग अकाउंट ओपन करवाता है. मगर मौजूदा वक्त में कई पैरेंट्स अपने नाबालिग बच्चे के नाम से बैंक में सेविंग अकाउंट खुलवा रहे हैं ताकि उनके बच्चे भी पैसों का रखरखाव करना सीख जाएं.
मनी मैनेजमेंट के बारे में हर किसी को सीखना चाहिए और ऐसा करके वह फायदे में हो सकता है, सेविंग अकाउंट मनी मैनेजमेंट की समझ विकसित करने के लिए एक शानदार विकल्प हो सकता है. फिलहाल बैंक में बच्चों के लिए कई तरह के अकाउंट हैं, अपने बच्चों के मौजूदा और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए पैरेंट्स बैंक द्वारा पेश किए गए कई खातों में से कोई एक चुन सकते हैं. सेविंग अकाउंट होने के कई फायदे हैं. आइए एक-एक करके उनके बारे में जानें.
वित्तीय सफर की शुरूआत
म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार में निवेश करना हो या इंश्योरेंस और स्मॉल सेविंग स्कीम की खरीदारी या फिर ऑनलाइन शॉपिंग, डेबिट कार्ड या यूपीआई के जरिए पेमेंट करना हो इन सभी के ट्रांजेंक्शन में बैंक अकाउंट की जरूरत पड़ती है. ऐसे में कहा जा सकता है कि सेविंग अकाउंट वित्तीय सफर की शुरूआत करने का प्रवेश द्वार है. 18 से कम उम्र के बच्चे अपने माइनर सेविंग अकाउंट से लेनदेन करके इस तरह के बैंक अकाउंट की सुविधाओं को समझ सकते हैं और बड़े होकर अपने बैंक अकाउंट का अच्छी तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं.
बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी बताते हैं कि ज्यादातर लोग सेविंग अकाउंट से वित्तीय सफर की शुरूआत करते हैं. ये अकाउंट बच्चों को सेविंग और मनी मैनेजमेंट की अहमियत व बारिकियों की समझ विकसित करने के लिए एक बेहद शानदार तरीका है. सेविंग और अच्छे तरीके से मनी मैनेजमेंट करना लाइफ के लिए जरूरी स्किल है. ये स्किल उन्हें अपने पैसे को समझदारी से खर्च करने और बचाने में काम आएंगे. सेविंग अकाउंट नाबालिग खाताधारकों को पैसे का सही तरीके से मनी मैनेजमेंट के बारे सिखा सकता है. दरअसल बैंक अकाउंट के साथ किए गए सभी लेन-देन रिकॉर्ड किए जाते हैं. अकाउंटहोल्डर जब चाहे अपने रिकार्ड देख जा सकता है. नाबालिग अकाउंटहोल्डर अपने रोजमर्रा की जरूरतों पर होने वाले खर्चों का बजट कैसे तय करें, इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए वे भी चाहें तो अपने बैंक अकाउंट डिटेल को देख सकते हैं.
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सेविंग की आदत डालें
सेविंग अकाउंट न सिर्फ पैसा जमा करने का एक बेहतरीन विकल्प हैं, बल्कि सेविंग पर बैंक द्वारा अकाउंटहोल्डर को आकर्षक ब्याज भी मिलता हैं. अकाउंटहोल्डर अपने बैंक खाते से अतिरिक्त फंड को एफडी में भी डाल सकते हैं और उस पर ज्यादा रिटर्न हासिल कर सकते हैं. जब नाबालिग अकाउंटहोल्डर अपने सेविंग अकाउंट से लेनदेन करते हैं, तो वे अपनी सेविंग को बढ़ते हुए देख सकते हैं और इस तरह अधिक धन बचाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं.
पैरेंट कर सकते हैं अपने बच्चे के सेविंग अकाउंट की निगरानी
18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को नाबालिग की कैटेगरी में रखा गया है. बैंक नाबालिग बच्चों के लिए सेविंग अकाउंट की 2 कैटेगरी बना रखें हैं. जिनमें एक 10 वर्ष से कम आयु और बैंक के दूसरे कैटेगरी में 10 से 18 वर्ष के बच्चे आते हैं. 10 साल या उससे कम आयु के बच्चों के माइनर सेविंग अकाउंट की निगरानी संयुक्त रूप से पैरेंट कर करते हैं. ऐसे में पैरेंट्स माइनर सेविंग अकाउंट के माध्यम से अपने 10 साल से कम उम्र के बच्चे के खर्च पर रोक लगा सकते हैं और उन्हें समझाने के लिए लेनदेन से जुड़े बैंक डिटेल को दिखा सकते हैं ताकि वे अपने लिए मनी मैनेजमेंट का हुनर सीख सकें. अपने बच्चे के सेविंग अकाउंट से हुई लेनदेन से अपडेट रहने के लिए पैरेंट बैंक अकाउंट से अपना मोबाइल नंबर लिंक करवा सकते हैं ताकि उन्हें सभी ओटीपी और टांजेक्सन अलर्ट का मैसेज मिलता रहे.
वित्तीय अनुशासन स्थापित करने में करता है मदद
आमतौर पर सेविंग अकाउंट के साथ चेकबुक, डेबिट कार्ड और ऑनलाइन बैंकिंग की सुविधा मिलती है. इन सेवाओं के लिए बैंक अकाउंटहोल्डर से कुछ चार्ज भी ले सकते हैं. माइनर सेविंग अकाउंट से लेनदेन करके, नाबालिग बच्चे खाते से संबंधित अहम बातों जैसे मिनिमस अकाउंट बैलेंस, चेकबुक चार्ज से परिचित हो सकते हैं. बैंक से जुड़ी अहम जानकारियों से उन्हें अपने अकाउंट को पूरी कुशलता से मैनेज करने और पैसे बचाने में मदद मिल सकती है.
पैरेंट्स अपने बच्चे के नाम से कर सकते हैं निवेश
पैरेंट्स अपने बच्चे के नाम पर माइनर सेविंग अकाउंट में निवेश कर सकते हैं. बच्चे के भविष्य को ध्यान में रखकर उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैरेंट माइनर सेविंग अकाउंट में निवेश करने का विचार कर सकते हैं. पैरेंट खुद के टार्गेट को पूरा करने के लिए किए गए फाइनेंशियल प्लान के बावजूद अलग से ऐसा कर सकते हैं.
माइनर सेविंग अकाउंट खुलवाते समय इन अहम बातों का रखें ध्यान
बच्चे के नाम से माइनर सेविंग अकाउंट खुलवाने से पहले उन्हें सुरक्षित बैंकिंग सिस्टम के बारे में बताना चाहिए. साथ ही ऐसे मामले में पैरेंट को भी संयुक्त रूप से अकाउंट संचालित करने वाले कुछ सुरक्षा उपायों के बारे में सावधान रहना चाहिए. पैरेंट को चाहिए कि नाबालिग द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे मोबाइल नंबर को माइनर सेविंग अकाउंट से लिंक करवाने की बजाय बैंक के साथ अपना मोबाइल नंबर लिंक करवाएं. ऐसा करके वे अपने बच्चे के अकाउंट से होने वाले हर एक लेनदेन पर नजर बनाए रख सकते हैं. एक बार जब बच्चा 18 साल की आयु पूरी कर लें, तो उसी अकाउंट नंबर को बनाए रखने के लिए माइनर सेविंग अकाउंट को जनरल सेविंग अकाउंट में बदलवा सकते हैं. ऐसा करते समय बैंक में बच्चे का कुछ जरूरी डाक्यूमेंट्स जैसे बर्थ सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो जमा करने पड़ सकते हैं. याद रहे माइनर सेविंग अकाउंट ओपन करवाने से पहले खाते की सुविधाओं और उस पर लागू चार्ज के बारे में चेक कर लेना चाहिए. ट्रांजेक्शन रेस्ट्रीक्शन, जरूरी ‘मिनिमम बैलेंस’, बैंक अकाउंट ‘सेफ्टी फीचर्स’ समेत तमाम डिटेल के बारे में जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए.
(Article : Sanjeev Sinha)