SCSS, PPF, NSC, बीमा, इक्विटी और MF में नॉमिनी के लिए क्या हैं नियम? निवेशक के निधन का रिटर्न पर क्या होगा असर? | The Financial Express

SCSS, PPF, NSC, बीमा, इक्विटी और MF में नॉमिनी के लिए क्या हैं नियम? निवेशक के निधन का रिटर्न पर क्या होगा असर?

निवेशक की मृत्यु होने पर नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी के लिए अलग-अलग बचत योजनाओं, बीमा, इक्विटी या म्यूचुअल फंड में अलग-अलग नियम लागू होते हैं.

What should a nominee do after the death of an investor?
बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए या रिटायरमेंट के बाद एक अच्छी लाइफ स्टाइल मेंटेन करने के लिए कई लोग निवेश करते हैं या इंश्योरेंस कवर लेते हैं.

Rules for Nominee in SCSS, PPF, NSC, Insurance, Equity and MF Schemes: बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए या रिटायरमेंट के बाद एक अच्छी लाइफ स्टाइल मेंटेन करने के लिए कई लोग निवेश करते हैं या इंश्योरेंस कवर लेते हैं. कई बार परिवार के कमाऊ सदस्य की मृत्यु हो जाने पर घर के अन्य सदस्यों को आर्थिक चुनौती का सामना करना पड़ता है. इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिए भी लोग निवेश करते हैं या इंश्योरेंस कवर का विकल्प चुनते हैं, ताकि परिवार के अन्य सदस्यों के सपने बर्बाद न हों. मार्केट में निवेश के लिए कई तरह के विकल्प मौजूद हैं, जिसमें इंश्योरेंस से लेकर रिस्क-फ्री रिटर्न जैसे बांड, एफडी और अन्य स्मॉल सेविंग इंस्ट्रूमेंट शामिल हैं. वहीं कई ऐसे विकल्प भी हैं (जैसे- इक्विटी, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड) जिनके ज़रिए लॉन्ग टर्म में ज्यादा रिटर्न हासिल किया जा सकता है.

हालांकि, अगर निवेशक की मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में जमा राशि को नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी व्यक्ति को ट्रांसफर किया जाता है. इस तरह, परिवार के अन्य सदस्य आर्थिक समस्यों से उबरने के लिए इस निवेश की मदद ले सकते हैं. इस तरह के ट्रांसफर की प्रक्रिया को ट्रांसमिशन कहा जाता है. किसी निवेशक की मृत्यु की तारीख और मृत्यु की सूचना दिए जाने या मृत्यु का दावा किए जाने तक के बीच के समय अंतराल के दौरान देय रिटर्न या सर्वाइवल बेनिफिट की दर के संबंध में अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट पर अलग-अलग नियम लागू होते हैं. यहां आरजी कैपिटल के पार्टनर राजेश गिरोत्रा द्वारा अलग-अलग फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट पर लागू नियमों के बारे में बताया गया है.

सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS)

पोस्ट ऑफिस सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) पर लागू स्पेशल इंटरेस्ट केवल निवेशक की मृत्यु की तारीख तक देय है. इसके बाद, राशि के नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी को ट्रांसफर होने तक केवल सेविंग इंटरेस्ट रेट देय होती है. अगर निवेशक की मृत्यु के बाद सेविंग इंटरेस्ट रेट पर कुछ अतिरिक्त भुगतान किया जाता है, तो अतिरिक्त राशि मूलधन से रिकवर की जाती है.

लाइफ इंश्योरेंस

इनकम, इंटरेस्ट पेमेंट ऑप्शन के साथ सभी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर भुगतान बीमित व्यक्ति की मृत्यु की तारीख से रोक दिया जाता है. अगर बीमित व्यक्ति की मृत्यु के बाद मृत्यु की सूचना दिए जाने/मृत्यु का दावा किए जाने तक कोई भुगतान किया जाता है, तो अतिरिक्त राशि मूलधन से रिकवर की जाती है.

नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC)

अगर एक नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) समय से पहले तुड़वा दिया जाता है, तो एनएससी पर देय हायर इंटरेस्ट के बजाय सेविंग बैंक इंटरेस्ट का भुगतान किया जाता है. इससे बचने के लिए नॉमिनी क्लेम करने के लिए मैच्योरिटी तक इंतजार कर सकता है. हालांकि, नॉमिनी के लिए बेहतर विकल्प यह है कि एनएससी को उसके नाम पर ट्रांसफर किया जाए और मैच्योरिटी डेट पर सर्टिफिकेट को रिडीम किया जाए. इस मामले में एनएससी पर देय ब्याज दर वही रहती है.

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)

PPF पर देय समान ब्याज दर का भुगतान तब तक किया जाता है जब तक नॉमिनी रिडम्पशन के लिए आवेदन नहीं करता है. यदि रिडम्पशन महीने की 15 तारीख को लागू किया जाता है, तो पिछले महीने के अंत तक देय ब्याज का भुगतान होता है. पीपीएफ के मामले में, समान ब्याज दर नॉमिनी/कानूनी उत्तराधिकारी को तब तक देय है जब तक कि पैसा ट्रांसफर नहीं किया जाता है.

इक्विटी, इक्विटी ओरिएंटेड MF स्कीम्स

इक्विटी और MF स्कीम्स जैसे कैपिटल इंस्ट्रूमेंट पर कोई निश्चित ब्याज दर या बोनस दर लागू नहीं होती है. इसमें केवल MF स्कीम्स के शेयरों / यूनिट्स की संख्या नॉमिनी / कानूनी उत्तराधिकारी को ट्रांसफर की जाती है. एक बार यूनिट्स ट्रांसफर हो जाने के बाद, लाभार्थी अपनी सुविधा के अनुसार निवेश को रिडीम कर सकते हैं. निवेश पर लाभ या हानि रिडम्पशन के दिन बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है.

टैक्स प्रावधान

इक्विटी शेयर्स या म्यूचुअल फंड की यूनिट्स का भुगतान लेते समय उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स लगेगा या शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स लगेगा, इसका फैसला निवेश की उस ओरिजनल तारीख के आधार पर किया जाता है, जब मृतक ने निवेश किया था. इसके लिए नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी के नाम शेयर या म्यूचुअल फंड यूनिट ट्रांसफर किए जाने की तारीख को आधार नहीं माना जाता. एफडी या बॉन्ड जैसे फिक्स्ड इनकम एसेट्स के नॉमिनी के नाम ट्रांसफर होने पर भी उससे होने वाली आय पर लागू टैक्स के नियमों में कोई बदलाव नहीं होता. वही नियम लागू रहते हैं, जो मृतक के निधन से पहले लागू होते थे.

(Article: Amitava Chakrabarty)

Get Business News in Hindi, latest India News in Hindi, and other breaking news on share market, investment scheme and much more on Financial Express Hindi. Like us on Facebook, Follow us on Twitter for latest financial news and share market updates.

First published on: 27-02-2022 at 13:13 IST

TRENDING NOW

Business News