Short Duration Funds: आरबीआई ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए हाल ही में हुई एमपीसी की बैठक में रेपो रेट में चौथी बार इजाफा किया है. आरबीआई द्वारा 50 बेसिक प्वॉइन्ट्स की बढोतरी के बाद रेपो रेट 5.4% से बढ़कर 5.9% हो गई है. रेट हाइक के मौजूदा दौर में शॉर्ट टर्म प्लान में निवेश करना बेहतर विकल्प हो सकता है. एक्सपर्ट्स की माने तो मौजूदा वक्त में यील्ड कर्व फ्लैट है, ऐसे में लंबी अवधि के लिए निवेश करना जोखिम के भरा हो सकता है.
मौजूदा सनेरियो में शॉर्ट टर्म प्लान में निवेश करना सही
मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के CIO महेंद्र कुमार जाजू ने कहा कि मौजूदा सनेरियो में शॉर्ट टर्म प्लान में निवेश करना सही रहेगा. क्योंकि एसडीएफ के माध्यम से लिक्विडिटी के सामान्य होने और आगामी पॉलिसियों की वजह से इसमें अच्छे रिर्टन हासिल होने की उम्मीद है. ऐसे में 1 साल से कम समय के लिए किया गया निवेश अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड आप को ज्यादा फायदा दिला सकता है.
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1 साल के लिए गिल्ट फंड में किया जा सकता इंवेस्टमेंट
टाटा म्यूचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के प्रमुख मूर्ति नागराजन ने कहा कि करीब तीन सालों के बाद यील्ड कर्व फ्लैट है. ऐसे में निवेशकों को उनके समय के आधार पर निवेश की सलाह दी जा रही है. उन्होंने कहा कि एक महीने के लिए निवेशक अल्ट्रा शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड, 1 से 2 महीने मनी मार्केट फंड, 2 से 4 महीने, 4 से 6 महीने फ्लोटिंग रेट फंड, 6 महीने शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में निवेश कर सकते हैं. साथ ही एक साल के लिए निवेश करने का प्लान बना रहे निवशक गिल्ट फंड में इंवेस्टमेंट कर सकते हैं.
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अमेरिकी फेडरल रिजर्व सख्त रुख जारी
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सख्त नीति अपनाई हुई और उम्मीद की जा रही है आने वाले समय में वह और भी सख्त कदम उठा सकता है. ऐसे में अनुमान है कि फेडरल द्वारा दिसंबर तक MPC को नियंत्रित करने के लिए और 35 बेसिक प्वॉइन्ट्स का इजाफा किया जा सकता है. एक्सिस म्यूचुअल फंड की ओर से जारी नोट में कहा गया है कि मौजूदा यील्ड कर्व में शॉर्ट से मीडियम टर्म में निवेश करने वाले इन्वेस्टर्स के लिए एक अच्छा मौका है. तीन साल या उससे ज्यादा अवधि के इन्वेस्टमेंट्स पर निवेश जोखिम बना रह सकता है. हालांकि बाजार की मौजूदा रणनीति प्रतिस्पर्धी और कम अस्थिरता के कारण छह महीने और दो साल की अवधि के लिए शॉर्ट टर्म में इन्वेस्टमेंट्स करने वाले निवेशकों की पहली पसंद बनती जा रही है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि मुद्रास्फीति शांत हो सकती है और नीतिगत दरों में बढ़ोतरी तब तक जारी रहेगी जब तक मुद्रास्फीति ग्लाइड पथ पर विजिबल नहीं होती.