इंश्योरेंस का मकसद बीमित सामान के साथ अचानक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो जाने के कारण हुए वित्तीय नुकसान को कवर करना है, इंश्योरेंस कवर की एक निश्चित सीमा होती है. वित्तीय नुकसान से बचने के लिए कोई भी शख्स इंश्योरेंस कवर खरीद सकता है. मिसाल के तौर पर लाइफ इंश्योरेंस को ही ले लीजिए. ये इंश्योरेंस एक नौकरी पेशे वाले शख्स की असमय मृत्यु के कारण होने वाली इनकम के नुकसान को कवर करना है. इंश्योरेंस कवर का अधिकतम अमाउंट किसी शख्स के लिए उसकी इनकम के स्तर और नौकरी पेशेवर लाइफ के बचे समय पर निर्भर करता है. ठीक ऐसे ही जनरल इंश्योरेंस का उद्देश्य बीमा योग्य घटना के घटित होने से किसी बीमित प्रापर्टी की मरम्मत या बदलने के लिए जरूरी खर्चों को कवर करना है.
इंश्योरेंस कवर का मतलब रिटर्न नहीं है बल्कि बीमा योग्य घटना के घटित होने पर बीमित सामान के नुकसान को कवर करना है. हालांकि इस कवर की भी एक सीमा है. एक शख्स जब इंश्योरेंस के लिए अप्लाई करता है तो उससे बीमा कंपनी पहले से खरीदे गए सभी इंश्योरेंस पॉलिसी की डिटेल देने के लिए कहते हैं. इसमें लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस या जनरल इंश्योरेंस सभी के डिटेल देने के लिए बोला जाता है. इससे ये पता लगता है कि वह शख्स कई इंश्योरेंस का कवर तो नहीं खरीद रहा है.
नई इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय एप्लिकेशन फार्म में पिछले इंश्योरेंस कवर का ब्यौरा साझा करने के लिए कॉलम दिया गया होता है जिसे ज्यादातर लोग गैर जरूरी या जल्दबाजी में समय बचाने के लिए नजरअंदाज कर देते हैं या फिर वे जानबूझकर पिछले इंश्योरेंस कवर का डिटेल नहीं देना चाहते हैं. हालांकि, अकाउंट एग्रीगेटर सिस्टम (Account Aggregator System ) में इंश्योरेंस डिटेल को शामिल करने से अब इससे जुड़ी जानकारी को छिपाना या जानबूझ नहीं बताना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि इंश्योरेंस कवर से संबंधित सभी जानकारी डिजिटल रुप में एक ही स्थान पर उपलब्ध होगी. इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलेपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी इरडा (IRDAI) ने 15 नवंबर 2022 के सर्कुलर में बीमा कंपनियों को एकाउंट एग्रीगेटर के साथ जानकारी शेयर करने के बारे में जरूरी दिशानिर्देश दिए गए हैं.
फ्यूचर जनरली इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट ( Legal & Compliance) और कंपनी सेक्रेटरी कंजीवाराम भारद्वाज (Conjeevaram Baradhwaj) ने बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पहले ही सभी बैंकों और नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों को RBI रजिस्टर्ड अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क के दायरे में ला दिया है.
डेटा कलेक्शन
बीमा कंपनियों को अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क के दायरे में शामिल करने से उन्हें वित्तीय जानकारी साझा करने में सक्षम बनाती है. साथ ही बीमा कंपनियों को ग्राहकों से जुड़ी जानकारी हासिल करने में सहूलियत देती है. इससे इनफार्मेशन को कलेक्ट की जा सकेगी और डिजिटल तरीके से डेटा भी साझा की जा सकेगी. साथ ही कागजी कार्रवाई से निजात मिलेगी.
डेटा प्रोटेक्शन
डेटा साझा करने और प्राप्त करने वाली संस्थाएं अकाउंट एग्रीगेटर्स सिस्टम के साथ एकीकृत करने के लिए एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (APIs) का इस्तेमाल करेंगी. ग्राहक की सहमति होने पर ही उसके फाइनेशिंयल इनफार्मेशन को साझा किया जाएगा. ग्राहक के फाइनेशिंयल इनफार्मेशन को केवल सरकारी संस्थाओं के साथ ही साझा किया जा सकेगा. इसके अलावा बीमा रेगुलेटर इरडा ने इंश्योरेंस कंपनियों को अकाउंट एग्रीगेटर्स के साथ जानकारी साझा करते समय डेटा सिक्योरिटी सुनिश्चित करने की भी सलाह दी है. ये सभी उपाय सुनिश्चित करते हैं कि ग्राहकों को सभी डेटा सुरक्षित होंगे. भारद्वाज ने इरडा के इंश्योरेंस डिजिटाइजेश प्रोजेक्ट को स्वागत योग्य बताया है. उन्होंने कहा कि इससे काफी मदद मिलेगी.
(Article : Amitava Chakrabarty)