
करीब 80 फीसदी लोगों को यह नहीं पता कि उनके पति या पत्नी के पास एसेट्स क्या-क्या हैं और देनदारी क्या हैं. यह खुलासा मुद्रा पोर्टफोलियो मैनेजर्स द्वारा कराए गए एक सर्वे में हुआ है. मुद्रा पोर्टफोलियो मैनेजर्स एक ग्लोबल लीडिंग NRI और NHI फाइनेंसियल सर्विस मैनेजमेंट कंपनी है जिसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है. इसके अलावा सर्वे में कुछ और चौंकाने वाले खुलासे सामने आए कि 89 फीसदी लोगों ने कभी अपने फाइनेंसेज का कंसॉलिडेशन (एकीकरण) नहीं किया और सर्वे में शामिल 73 फीसदी लोगों ने कभी भी अपने आय के खर्चों का आकलन नहीं किया.
यह सर्वे भारत, अफ्रीका (केन्या और नाइजीरिया), सिंगापुर, मलेशिया और मध्य पूर्व (दुबई, अबू धाबी और कुवैत) में करीब 900 हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआईज), नॉन-रेजिडेंट इंडियंस (एनआरआईज) और भारतीय रिटेल क्लाइंट्स के बीच किया गया.
चार प्वाइंट्स के आधार पर किया गया सर्वे
यह सर्वेक्षण मुद्रा के निवेशक जागरुकता कार्यक्रम का एक हिस्सा था . मुद्रा ने मुख्य रूप से कंसॉलिडेशन एक्टिविटी शुरू की थी जिसके मुख्य रूप से चार प्वाइंट्स निर्धारित किए गए थे, आय व खर्च की डिटेल्ड एनालिसिस, फाइनेंसियल रिस्क एसेसमेंट, एसेट्स एलोकेशन एंड लिक्विडिटी और ईज ऑफ एक्सेस एंड कंसालिडेशन ऑफ फाइनेंसेज. यह एक्टिविटी करीब 10 हफ्तों तक चला. इस सर्वे का लक्ष्य था कि लोगों को अपनी वर्तमान फाइनेंसियल स्थिति के बारे में पता चले.
- सर्वे में सामने आया कि 65 फीसदी लोग अपने सैलरी के 20 फीसदी से भी कम की बचत कर रहे थे और उनमें से 80 फीसदी लोगों का कहना था कि वे अपने सैलरी के 15-20 फीसदी खर्चे ऐसी चीजों पर करते थे जि्से बचाया जा सकता था. यह ट्रेंड सबसे अधिक 50 लाख से कम के सालाना वेतन वालों में दिखा. 30 लाख से कम की सालाना आय वाले लोगों के लिए निवेश और बचत का अनुपात 0.65 रहा जबकि 30 लाख या उससे अधिक की आय वालों के लिए यह अनुपात 0.38 रहा क्योंकि उन्होंने निवेश की बजाय पैसों को खातों में रखना उचित समझा. इसका मतलब हुआ कि अधिक आय वाले लोगों में नियमित तौर पर निवेश करने की आदत नहीं है.
- फाइनेंसिल रिस्क एसेसमेंट में पाया गया कि सर्वे में शामिल 71 फीसदी लोगों को पास हेल्थ इंश्योरेंस के नाम पर बस वही पॉलिसी है, जो उन्हें कंपनी की तरफ से मिली हुई है. इसके अलावा 88 फीसदी लोगों के पैरेंट्स का कोई हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है और सर्वे में शामिल 80 फीसदी लोगों के परिवारों को अपने इंश्योरेंस कवर के बारे में जानकारी ही नहीं है.
- सर्वे में एक और तथ्य सामने आया कि सर्वे में शामिल 79 फीसदी लोगों का इंश्योरेंस कवर बहुत कम है और 35 फीसदी लोगों के पास कोई टर्म प्लान नहीं है. 32 फीसदी लोगों को लगता है कि उनकी लाइफ इंश्योर्ड है लेकिन उनके पास 30 लाख से कम का भी कवर है. 75 फीसदी से अधिक लोगों के परिवारों को इंश्योरेंस कवर की डिटेल्स के बारे में जानकारी नहीं है.
- एसेट्स एंड लाइबिलिटीज के एसेसमेंट में पाया गया कि 90 फीसदी लोगों को पास आकस्मिक जरूरतों के लिए छह महीने के वेतन के बराबर का फंड है. 70 फीसदी लोगों ने, जिन्होंने 2-3 साल के भीतर प्रॉपर्टी खरीदा है, उनके पास लिक्विडिटी के तौर पर सालाना आय के 9 महीने के बराबर का कांटिजेंसी फंड है. 70 फीसदी से अधिक लोग लिक्विडिटी बनाए रखने या निवेश करने की बजाय लोन रिपेमेंटकर रहे हैं और 78 फीसदी लोगों के पास खास एसेट्स एलोकेशन नहीं है.
- फाइनेंस के कंसॉलिडेशन की बात करें तो 89 फीसदी लोगों ने कभी फाइनेंसियल कंसॉलिडेशन नहीं किया. 80 फीसदी लोगों के जीवनसाथी को अपने पति या पत्नी अकाउंट डिटेल्स समेत अन्य एसेट्स या लाइबिलिटीज के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इसके अलावा 54 फीसदी मामलों में तो प्रॉपर नॉमिनेशन भी नहीं हुआ है. इसके अलावा इस एक्टिविटी के दौरान सामने आया कि 35 फीसदी लोगों ने अपने उन छोटे निवेश के बारे में भुला दिया था जो उन्होंने बहुत समय पहले किया था.
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सर्वे में कई देशों के लोग शामिल
यह सर्वे भारत, अफ्रीका (केन्या और नाइजीरिया), सिंगापुर, मलेशिया और मध्य पूर्व (दुबई, अबू धाबी और कुवैत) में करीब 900 एचएनआईज, एनआरआईज और भारतीय रिटेल क्लाइंट्स के बीच किया गया. इस एक्टिविटी में 40 फीसदी एचएनआईज, 35 फीसदी एनआरआईज और 25 रिटेल क्लाइंट्स थे. सर्वे में शामिल 60 फीसदी लोगों का सालाना आय 30 लाख से अधिक, 30 फीसदी लोगों की आय 10-30 लाख और 10 फीसदी लोगों की सालाना आय 10 लाख से की थी.
निवेश जागरुकता फैलाने के लिए किया गया सर्वे
मुद्रा पोर्टफोलियो मैनेजर्स के फाउंडर, डायरेक्टर और बिजनस हेड-वेल्थ निशांत कोहली के मुताबिक कोरोना महामारी के कारण फैली अनिश्चितता के कारण अधिकतर लोगों ने अपने फाइनेंसियल पोर्टफोलियो पर ध्यान देना शुरू किया, जिस पर पहले उनका ध्यान कभी नहीं था. मुद्रा ने जो एक्टिविटी शुरू की थी उसका मकसद था कि लोग अपने फाइनेंस के सेल्फ-एनालिसिस को लेकर जागरुक हों. इस एक्टिविटी के जरिए सभी लोगों को कुछ अनुत्तरित सवाल खोजने में मदद की गई जैसे कि क्या उनकी बचत पर्याप्त है या क्या उनके पास कोई आकस्मिक योजना है या क्या उनके खर्च आवश्यकता से अधिक हैं या उनके निवेश कहां-कहां पर है, इस तरह के सवालों को लेकर उनके बीच जागरुकता फैलाने के लिए यह एक्टिविटी शुरू की गई.
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