
हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बताया कि अब पीएम आवास योजना के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम को 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया है. इसे 2.50 लाख से ज्यादा मध्य वर्गीय परिवारों को लाभ मिलेगा. वहीं, इस उपाय से करीब 70,000 करोड़ का निवेश आएगा, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे. इस योजना का लाभ मिडिल इनकम ग्रुप यानी 6 लाख से 18 लाख के बीच आय वाले उठा सकते हैं.
स्कीम के तहत 4 कटेगिरी
3 लाख से 6 लाख सालाना आय वाले इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (EWS) और लोअर इनकम ग्रुप (LIG), 6 लाख से 12 लाख सालाना आय वाले मिडिल इनकम ग्रुप 1 (MIG1) और12 लाख से 18 लाख सालाना आय वाले मिडिल इनकम ग्रुप 2 (MIG2).
पहली बार घर खरीदने वालों को फायदा
प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य देश में कमजोर आय वर्ग वालों को भी शहरी या ग्रामीण इलाकों में घर उपलब्ध कराना है. इसके तहत 31 मार्च 2022 तक देश में करीब 2 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य है. इस प्रमुख योजना के अंतर्गत पहली बार घर खरीदने वालों को CLSS या क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी दी जाती है. यानी घर खरीदने के लिए होम लोन पर ब्याज सब्सिडी प्रदान की जाती है. यह सब्सिडी अधिकतम 2.67 लाख रुपये तक हो सकती है. अगर आप भी इस योजना के पात्र हैं तो इसका लाभ उठा सकते हैं. यह केंद्र सरकार द्वारा स्पांसर्ड स्कीम है, जिसे 25 जून, 2015 को शुरू किया गया था.
योजना के तहत किसे मिलेगा फायदा
एप्लीकेंट या उसके परिवार के किसी भी सदस्य के नाम पर भारत में कहीं भी कोई पक्का घर नहीं होना चाहिए.
परिवार के किसी भी सदस्य ने पहले सरकार द्वारा शुरू की गई किसी भी हाउसिंग स्कीम का लाभ न लिया हो.
मैरिड कपल हैं तो सिंगल और ज्वॉइंट स्वामित्व दोनों की अनुमति है. लेकिन दोनों विकल्पों के लिए 1 सब्सिडी ही मिलेगी.
इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (EWS), लोअर इनकम ग्रुप (LIG) और मिडिल इनकम ग्रुप CLSS के लिए पात्र हैं.
इस स्कीम के अंतर्गत लाभार्थियों को केवल एक नई रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने या निर्माण करने की अनुमति है.
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग
महिलाएं (किसी भी जाति या धर्म की)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति
किस आधार पर तैयार होती है लिस्ट
सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभ लेने वालों की पहचान करने के लिए सोशियो इकोनॉमिक कास्ट सेंसश 2011 यानी सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011 पर ध्यान देती है. इसके अलावा, सरकार फाइनल लिस्ट का निर्णय लेने के लिए तहसील और पंचायतों को शामिल करती है.
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