Why is NPS the Best Retirement Planning : ज्यादातर निवेशक अपनी सेविंग को उन स्कीम में निवेश करने में दिलचस्पी लेते हैं जहां उन्हें ज्यादा से ज्यादा टैक्स में छूट का लाभ मिल सकें. वे अक्सर घर खरीदने, बच्चों की पढ़ाई, शादी-विवाह, हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस जैसे स्मॉल या मिडियम अवधि वाले फाइनेंशियल टार्गेट को पूरा करने वाली स्कीम में निवेश करते हैं. ये निवेशक रिटायरमेंट प्लानिंग में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते हैं. EPF, PPF जैसी तमाम सरकार की पेंशन स्कीम उपलब्ध होने के बावजूद भी बहुत ही कम लोग रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए नेशनल पेंशन स्कीम यानी एनपीएस (NPS) स्कीम में निवेश करते हैं. जो कुछ लोग निवेश करते हैं वे सिर्फ इनकम टैक्स की धाराओं के तहत 1.5 लाख रुपये या अधिक तक की टैक्स छूट का फायदा उठाने के लिए इस तरह के सरकारी टैक्स सेविंग स्कीम को आजमाते हैं.
अगर आप धनी हैं या निवेश के लिए आपके पास पर्याप्त पैसे हैं तो आप अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो को बेहतर बनाने पर विचार कर सकते हैं. पोर्टफोलियो को बेहतर बनाने के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग जैसी स्कीम में निवेश को ज्यादा तवज्जो दे सकते हैं. किसी भी रिटायरमेंट प्लान का मुख्य मकसद 60 साल की उम्र के बाद रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त कैश फ्लो बनाए रखना है. रिटायरमेंट के बाद लाइफ की दूसरी पारी शुरू होती है. ऐसे में गुजारा करने के लिए आपके पास पर्याप्त पैसे का होना जरूरी है. ऐसा होने पर आपको अपनी लाइफस्टाईल से समझौता करने की जरूरत नहीं पड़ती है.
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क्या है NPS
नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस (NPS) स्कीम सरकार के वित्त मंत्रालय के तहत पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलेपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) द्वारा रेगुलेट किया जाता है. रिटायरमेंट प्लानिंग कर रहे निवेशकों के लिए देश में NPS स्कीम सेबसे बेहतर साबित हो सकता है. प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस (POP) सेंटर के माध्यम से देश का कोई भी सिटिजन 18 से 70 साल की उम्र में NPS एकाउंट ओपन करवा सकता है. एकाउंट खुलवाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की सेवाएं उपलब्ध हैं. NPS एकाउंट खुलवाने के बाद सब्सक्राइब यानी ग्राहक को 12 अंको का यूनिक पर्मानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर यानी (PRAN) जारी होता है.पीएफआरडीए की ओर से जारी PRAN एकाउंट नंबर की मदद से NPS सब्सक्राइबर्स आसानी से अपना एकाउंट ऑपरेट कर सकते हैं.
NPS एकाउंट के फायदे
निवेशक अपनी निवेश क्षमता के अनुसार NPS स्कीम में निवेश कर सकता है. NPS स्कीम मार्केट लिंक्ड है.यानी इस स्कीम पर मार्केट के उतार चढ़ाव का असर पड़ता है. इस स्कीम में NPS सब्सक्राइबर्स बेहतर रिटर्न, फंड सिक्योरिटा और टैक्स में छूट का लाभ मिलता है.आइए NPS के फायदों को एक नजर देख लेते हैं.
सैलरी से कटे हिस्से पर टैक्स छूट
NPS स्कीम पर मिलने वाला टैक्स छूट इसे ईईई के बराबर बनाते हैं. इसमें निवेशक को कॉर्पस फंड जुटाने में दोहरा लाभ मिलता है. दरअसल कॉर्पस ग्रोथ के लिए NPS स्कीम में निवेशक को अपनी सैलरी के कुछ हिस्से, कंपनी की ओर से भी कुछ हिस्से का निवेश किया जाता है. निवेशक द्वारा NPS स्कीम में निवेश किए गए हिस्से पर टैक्स में छूट मिलता है. इनकम टैक्स की धारा 80 CCD (1B) के तहत 50,000 रुपये तक का टैक्स छूट, धारा 80 CCE के तहत 1,50,000 रुपये तक का टैक्स छूट यानी कुल 200000 रुपये तक का टैक्स में छूट मिलता है.
कंपनी के हिस्से पर टैक्स छूट
कंपनी की ओर से NPS सब्सक्राइबर्स के एकाउंट में जमा किए गए हिस्से पर के योगदान पर धारा 80 CCD (2) के तहत सैलरी (बेसिक +DA) के 10 फीसदी तक टैक्स में छूट लागू है. यानी NPS सब्सक्राइबर्स 10% टैक्स डिडक्शन के लिए दावा कर सकता है.
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इनवेस्टमेंट पोर्टफोलिओ डावर्सिफिकेशन
NPS स्कीम मार्केट लिंक्ड है. ऐसे में सब्सक्राइबर चाहे तो अपने फंड को मैनेज कर सकता है. वह एसेट एलोकेशन और पोर्टेबिलिटी को भी अपना सकता है. फंड का चुनाव करने के लिए फिलहाल ये विकल्प मौजूद हैं. NPS सब्सक्राइबर SBI Pension Funds Pvt Ltd, LIC Pension Fund Ltd, UTI Retirement Solutions Ltd, ICICI Prudential Pension Funds Management Co Ltd, Kotak, Mahindra Pension Fund Ltd, HDFC Pension Fund Ltd, Birla Sun Life Pension Management Ltd में अपना फंड निवेशकर पोर्टफोलिओ को डावर्सिफाई कर सकता है. पेंशन फंड के ग्रोथ की निगरानी निगरानी NPS सब्सक्राइबर कर सकता है. जरूरत पड़ने पर वह पेंशन फंड को स्विच कर सकता है. इसके लिए निवेशक के पास एक्टिव और ऑटो मोड, दो तरह के फंड चुनने का विकल्प होता है. एक्टिव मोड में क्लास ई (इक्विटी), क्लास सी (कॉर्पोरेट बांड) और क्लास जी (सरकारी सिक्योरिटी) के रूप में एसेट का चयन करने का विकल्प होता है. जबकि ऑटो मोड एक डिफ़ॉल्ट विकल्प है और इस मोड में उम्र के अनुसार विकल्प चुना जाता है.
निकासी
NPS एकाउंट के तहत, दो तरह के सब एकाउंट – टियर I और टियर II ओपन किए जाते हैं. एक एक्टिव टियर I एकाउंटहोल्डर के पास टियर II एकाउंट खोलने और उसे ऑपरेट करने का विकल्प होता है. टियर 1 के मामले में 60 साल की उम्र के बाद सब्सक्राइबर को सालाना मिनिमम 40% फिक्स्ड एन्युटी के साथ जरूरी पेंशन क्लॉज है. NPS सब्सक्राइबर्स बच्चों के उच्च शिक्षा,शादी, घर खरीदने, मेडिकल इमरजेंसी जैसी स्थिति में खुद की सैलरी से कटे फंड के 25 फीसदी तक के हिस्से की निकासी पूरे लाइफटाइम में तीन बार कर सकता है. इसके लिए 3 साल रेगुलर निवेश जरूरी है. रिटायरमेंट के मामले में टियर I एकाउंट से 5 लाख रुपये तक के कॉर्पस फंड की 100 फीसदी निकासी की जा सकती है.
वहीं टियर 2 की पूरी आय को लचीले ढंग से आवश्यकतानुसार निकाला जा सकता है.इस खाते में निवेश किए गए एकाउंट पर कोई टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता है. NPS स्कीम के टीयर 2 एकाउंट में अपनी सेविंग रखना बैंक एकाउंट से बेहतर है क्योंकि इसमें आप फंड को मैनेज कर सकते हैं. मार्केट के रूख के हिसाब से ज्यादा मुनाफा देने वाले फंड में निवेशकर हायर रिटर्न का लाभ हासिल कर सकते हैं. निकासी के लिए जरूरी दस्तावेज के साथ प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस (POP) सेंटर पर अप्लाई करना पड़ता है. इसके लिए ओरिजनल PRAN कार्ड, आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ,कैंसल चेक डाक्यूमेंट देने पड़ते हैं. एप्लिकेशन CRA और NSDL भेजा जाता है. NPS सब्सक्राइबर के निकासी दावे वाले एप्लिकेशन को CRA रजिस्टर करता है. जरूरी प्रक्रिया के बाद NPS सब्सक्राइबर के एकाउंट में दावा किया रकम जारी करता है.
(Article by Mr. Rajeev Gupta, Business Head, E-Gov Services, Religare Broking Ltd)