Tax Saving Schemes: पीपीएफ अकाउंट या 5 साल की टैक्स सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) स्कीम के ज़रिए ज्यादातर लोग आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत टैक्स छूट का लाभ उठाते हैं. पीपीएफ में निवेश करने पर आपको इनकम टैक्स की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक की छूट मिलती है. पीपीएफ में निवेश की शुरुआत महज 500 रुपए प्रतिमाह से की जा सकती है और एक वित्त वर्ष में आप इसमें 1.5 लाख रुपए तक का निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा, टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (Tax Saving Fixed Deposit) में पैसा लगाकर आप पैसे बचा सकते हैं. इस फिक्स्ड डिपॉजिट में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख तक के निवेश पर टैक्स छूट ली जा सकती है. हालांकि, सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ उठाने के लिए एक और तरीका भी है, जो कि इन दोनों से बेहतर है. यह है- VPF यानी वॉलंटरी प्रोविडेंट फंड. VPF स्कीम पीपीएफ और एफडी की तुलना में बेहतर ब्याज दर प्रदान करती है.
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क्या VPF और EPF समान है?
सैलरीड कर्मचारी मेंडेटरी एम्प्लॉयी प्रोविडेंट फंड (EPF) बेनिफट के हकदार हैं. हालांकि, VPF, EPF से अलग है. VPF, जैसा कि नाम से पता चलता है, सैलरीड कर्मचारियों के लिए उपलब्ध एक वॉलंटरी कंट्रिब्यूशन फैसिलिटी है.
VPF vs PPF
15 साल के अनिवार्य लॉक-इन के साथ पीपीएफ के तहत मौजूदा ब्याज दर 7.1% है. जबकि VPF में, लॉक-इन पीरियड सिर्फ 5 वर्ष है और वर्तमान ब्याज दर 8.1% है. PPF डिपॉजिट से अर्जित ब्याज टैक्स-फ्री है, जबकि VPF के मामले में, कंबाइंड डिपॉजिट (VPF+EPF) पर 2.5 लाख रुपये तक का ब्याज टैक्स-फ्री है. वीपीएफ से किसी भी समय इमरजेंसी निकासी की अनुमति है. हालांकि, PPF के मामले में आप 5 साल बाद ही इमरजेंसी निकासी कर सकते हैं.
VPF vs टैक्स-सेवर FD
अधिकांश बैंकों द्वारा टैक्स-सेवर FD पर दी जाने वाली ब्याज दर लगभग 6% है, जिसमें 5 साल का अनिवार्य लॉक-इन है. VPF बहुत अधिक ब्याज दर की पेशकश कर रहा है. VPF का ब्याज भी नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) जैसी स्कीमों से ज्यादा होता है. टैक्स-सेवर FD से अर्जित ब्याज निवेशकों के टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल है. टैक्स-सेवर FD से इमरजेंसी निकासी की अनुमति नहीं है.
इन बातों का रखें ध्यान
VPF स्कीम, PPF या 5 साल की एफडी की तुलना में बेहतर टैक्स-सेविंग स्कीम है, लेकिन आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि EPF + VPF से 2.5 लाख रुपये से अधिक के कंबाइंड कंट्रिब्यूशन से ऊपर अर्जित ब्याज टैक्सेबल है. इसलिए, अगर आपका एनुअल कंट्रिब्यूशन 2.5 लाख रुपये से कम होगा, तो आप पीपीएफ और एफडी पर वीपीएफ पसंद कर सकते हैं. आप अपनी कंपनी में HR रिप्रेजेंटेटिव से बात करके वीपीएफ स्कीम में निवेश कर सकते हैं.