
7th Pay Commission: केंद्र सरकार 1 अप्रैल, 2021 से नया वेज कोड लागू कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो आपकी सैलरी स्ट्रक्चर के साथ पीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन से लेकर ग्रेच्युटी और टैक्स देनदारियों में भी बदलाव आएगा. वहीं इसमें कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन की सिफारिश की गई है. कर्मचारियों का न्यूनतम बेसिक सैलरी उनके कुल CTC का कम से कम 50 फीसदी होगा. यह नया नियम प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की सैलरी पर भी लागू हो सकता है. माना जा रहा है कि आपके भविष्य निधि (पीएफ) योगदान में बढ़ोत्तरी होगी, लेकिन आपकी टेक एट होम सैलरी कम हो जाएगी.
घट सकती है टेक होम सैलरी
नया वेज कोड लागू होने से पीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन के साथ ग्रेच्युटी बढ़ जाएगा. यानी कर्मचारियों की टेक होम सैलरी में कमी देखने को मिल सकती है. नए कोड वेज से भले ही आपकी टेक होम सैलरी कम हो सकती है लेकिन रिटायरमेंट बेनिफिट फंड जैसे पीएफ, ग्रैच्यूटी में ज्यादा पैसा जमा होगा. यह आपकी भविष्य की आर्थिक सुरक्षा के लिए बेहतर साबित हो सकता है.
कर्मचारियों के भत्ते में बदलाव
कर्मचारियों के भत्ते जैसे महंगाई भत्ता (DA), हाउस रेंट अलाउंस (HRA), यात्रा भत्ता (TA) और अन्य भत्ते को न्यू-वेज कोड बिल 2021 के तहत नेट सीटीसी के 50 फीसदी से अधिक नहीं होगा. यानी अगर सीटीसी (कॉस्ट टू कंपनी) 60,000 रुपए है, तो आपका कुल भत्ता 30,000 रुपए से अधिक नहीं होगा. कैबिनेट ने सभी 196 भत्तों की जांच की और 37 को बनाए रखते हुए उनमें से 51 को बाहर करने का फैसला लिया.
ग्रेच्युटी: हटेगी 5 साल की लिमिट
अभी किसी कंपनी में लगातार 5 साल काम करने के बाद ग्रेच्युटी मिलती है, लेकिन नए कानून के तहत कर्मचारी केवल 1 साल काम करने के बाद ग्रेच्युटी के हकदार होंगे. 7वें वेतन आयोग की गाइडलाइंस के मुताबिक, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए DA की दर 17 फीसदी है. इसमें केंद्र सरकार ने 4 फीसदी की बढ़ोत्तरी को मंजूरी दी है, यह 21 फीसदी हो गई है.
बढ़ेगा PF में योगदान
अभी वेतन का 12 फीसदी पीएफ में जमा होता है. लेकिन नया लेबर लॉ लागू होने के बाद बेसिक सैलरी सीटीसी का 50 फीसदी हो जाएगा, तब पीएफ में योगदान बढ़ेगा. जैसे अगर किसी को 60,000 रुपए का मंथली सीटीसी मिलता है तो बेसिक सैलरी 30,000 रुपए होगी. इस लिहाज से 12 फीसदी का योगदान पहले से ज्यादा होगा.
सैलरी का टैक्स फ्री और टैक्सेबल पार्ट
नए नियमों के मुताबिक, बेसिक सैलरी, स्पेशल अलाउंस, बोनस आदि पूरी तरह टैक्सेबल हैं. वहीं, फ्यूल एंड ट्रांसपोर्ट, फोन, अखबार और किताबों आदि के लिए मिलने वाले भत्ते पूरी तरह टैक्स फ्री हैं. वहीं, HRA पूरी तरह या फिर उसका कुछ हिस्सा टैक्स फ्री हो सकता है. साथ ही बेसिक सैलरी के 10% के बराबर NPS कॉन्ट्रीब्यूशन भी टैक्स फ्री है. वहीं, ग्रैच्युइटी में 20 लाख रुपये तक की राशि टैक्स फ्री है.
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