
ITR Filing: अगले वित्त वर्ष 2021-22 का बजट 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया. इस बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण ने कई हेड्स के तहत खर्च में बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव रखा है. इसके अलावा बजट के जरिए उन्होंने टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़ाने की कोशिश की है और इनकम टैक्स अनुपालन (Compliance) को लेकर कुछ प्रोविजन्स भी जोड़े हैं. ऐसा ही एक प्रोविजन उन्होंने इनकम टैक्स के सेक्शन 206AB में जोड़ा है. इसके तहत अब ग्राहकों या पेयर्स को सामान्य दरों की तुलना में दोगुना टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स) चुकाना पड़ सकता है.
ऐसा उस परिस्थिति में होगा, अगर वेंडर्स ने उस रिलीवेंट फाइनेंसियल इयर से ठीक पहले के दो लगातार वर्षों में अपना आईटीआर नहीं फाइल किया है, जिसके लिए आईटीआर फाइल करने की ड्यू डेट निकल चुकी है और वेंडर्स को दो वर्षों में प्रत्येक वर्ष कम से कम 50 हजार रुपये का टीडीएस या टीसीएस देना था. प्रोविजन में टीडीएस रेट के लिए मिनिमम 5 फीसदी रेट निर्धारित किया गया है. इसी प्रकार का प्रावधान सेक्शन 206सीसीए में जोड़ा गया है.
कुछ मामलों को छोड़कर सभी नॉन-सैलरी पेमेंट पर लागू
सेक्शन 206AB/सेक्शन 206CCA के नए प्रावधान कुछ खास मामलों को छोड़कर सभी गैर-वैतनिक भुगतान पर लागू होंगे. लॉटरी की विनिंग, घुड़दौड़ से विनिंग, सिक्योरिटीजेशन ट्रस्ट में निवेश से आय या बैंक से कैश विदड्रॉल पर TDS को लेकर ये नए प्रावधान नहीं लागू होंगे. बजट के जरिए लाए गए नए प्रावधानों का असर व्यापक है क्योंकि सभी कांट्रैक्टर्स, फ्रीलांसर्स, प्रोफेशनल्स, ब्रोकर्स, एजेंट्स इत्यादि को अब पहले के वर्षों में आईटीआर फाइल करने का प्रमाण दिखाने की जरूरत होगी, ताकि वे सामान्य दरों पर टीडीएस कटौती कर सकें. अगर ऐसा कोई एविडेंस नहीं दिखा सके तो ग्राहकों को सामान्य टीडीएस रेट से लगभग दोगुने तक की दर (न्यूनतम 5 फीसदी) से टीडीएस देना होगा.
कंप्लॉयंस बर्डेन में होगी बढ़ोतरी
इससे सभी पेयर्स के लिए अनुपालन बोझ बढ़ जाएगा क्योंकि उन्हें अपने वेंडर्स से जरूरी एविंडेस जुटाने होंगे कि उन्होंने पहले के वर्षों में आईटीआर फाइल किए हैं. अधिकतर वेंडर्स अपने ग्राहकों के साथ आईटीआर की जानकारी साझा नहीं करना चाहेंगे तो ऐसे केस में वेंडर या तो एक्स्ट्रा टीडीएस भरे या ग्राहक पर इसका भार पड़ेगा. प्रैक्टिकली बात करें तो नए प्रावधानों का भार टैक्सपेयर्स पर पडे़गा. यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि एनआरआई को अगर भारत से कोई नॉन-सैलरी इनकम होती है तो उन पर नए प्रावधानों का असर नहीं होगा.
इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया का इंतजार
सरकार का लक्ष्य है कि ग्राहक खुद वेंडर्स को इनकम टैक्स प्रोविजन्स को अनुपालन और आईटीआर फाइल करने के लिए बाध्य करें. इससे इनकम टैक्स अनुपालन में बढ़ोतरी होगी. हालांकि इससे टैक्सपेयर्स के लिए अनुपालन बोझ बढ़ जाएगा जिन्हें बड़ी संख्या में ऐसे वेंडर्स को बाध्य करना होगा जिन पर ये प्रावधान लागू होगा. सरकार के इस फैसले पर इंडस्ट्री किस तरह प्रतिक्रिया देती है, इसे लेकर अभी इंतजार करना होगा.
(Article: Shailesh Kumar, Partner, Nangia & Co LLP)
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