Financial Planning for Retirement: आज के दौर में समय रहते ही फाइनेंशियल प्लानिंग बहुत जरूरी है, जिससे रिटायरमेंट के बाद रुपये पैसे की टेंशन कम हो सके. हालांकि फाइनेंशियल प्लानिंग सही तरीके से होना चाहिए, जिससे वित्तीय लक्ष्य पूरे किए जा सकें. पर्सनल फाइनेंस की बात करें तो पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन और एसेट अलोकेशन इसके प्रमुख सिद्धांत हैं, जिनसे भारतीय निवेशक अच्छी तरह से परिचित हैं. PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के CEO अजीत मेनन ने यहां कुछ ऐसे टिप्स दिए हैं, जिससे यंग रहते ही रिटायरमेंट के बाद के लिए बेहतर प्लानिंग की जा सकती है.
पोर्टफोलियो का प्रदर्शन बेहतर करने की सोचें
आम तौर पर लोगों लोग अपने डेली वर्क को प्राथमिकता देने के लिए अपने वर्किंग ईयर के दौरान अपने शौक या पैशन को ताक पर रख देते हैं. वजह यह है कि इससे खर्च बढ़ जाते हैं. लेकिन हमें अर्निंग बढ़ानी के बारे में सोचना चाहिए. इसके लिए बेहतर पोर्टफोलियो जरूरी है. म्युचुअल फंड की बात करें तो डाइवर्सिफिकेशन और एसेट अलोकेशन से पोर्टफोलियो का प्रदर्शन बेहतर किया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर जब इक्विटी में गिरावट आती है तो पोर्टफोलियो में गोल्ड का अलोकेशन होने से अस्थिर समय के दौरान स्थिरता मिलती है.
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खुद को रिटायरमेंट के लिए तैयार करें
जैसे-जैसे कोई रिटायरमेंट की उम्र तक पहुंचता है, उसके बच्चे बड़े होते जाते हैं और उसका प्रोफेशनल करियर समाप्त हो रहा होता है. रिटायरमेंट के बाद एक व्यक्ति लगभग नई पहचान के साथ सामने आता है, उसकी पुरानी आइडेंटिटी खत्म हो जाती है. इसका बेहतर समाधान यह है कि वर्किंग ईयर में ही खुद को रिटायरमेंट के लिए तैयार किया जाए.
युवा पीढ़ी की बदल रही है अप्रोच
आजकल की युवा पीढ़ी की अप्रोच बदल रही है. उनका फोकस इनकम बढ़ाने पर रहता है. बहुत से लोग नौकरी के अलावा भी कोई साइड वर्क करते हैं, जिससे उनकी आय बढ़े. साइड वर्क भी किसी के कौशल या शौक पर बेस्ड होता है. उदाहरण के लिए अगर आप किसी सब्जेक्ट पर एक किताब लिखते हैं और प्रकाशित करवाते हैं, तो यह आपके लिए रेगुलर वर्क के अलावा एक एक्स्ट्रा काम है. अगर किताब को बेतर रिव्यू मिले तो आप रिटायरमेंट में फुल टाइम लेखक बन सकते हैं.
भारत में मूनलाइटिंग कितना वाजिब
भारत में इन दिनों मूनलाइटिंग पर अच्छी खासी बहस हो रही है. इसकी वैधता पर भी सवाल उठाया जा सकता है, क्योंकि कई नौकरियों को काम करने का विचार कई मायने में फिट नहीं होता है. इसके पीछे तर्क यह है कि कर्मचारी एक ही कौशल का उपयोग कई नौकरियों को करने के लिए कर रहा है.