How to Save Tax Under Section 80C of Income Tax Act : बचत पर अच्छा रिटर्न, पूंजी पर सुरक्षा की गारंटी और साथ में इनकम टैक्स की बचत भी – अगर किसी स्कीम में ये सारी खूबियां एक साथ मिल जाए तो इससे अच्छा क्या हो सकता है. अगर आप भी ऐसी खूबियों वाली बचत योजना खोज रहे हैं, तो भारत सरकार के पोस्ट ऑफिस का रुख कर सकते हैं, जहां ऐसी कई स्कीम मौजूद हैं. हम आपको ऐसी 5 योजनाओं के बारे में बता रहे हैं, जिनमें से आप अपनी जरूरत के हिसाब से सही योजना का चुनाव कर सकते हैं. इन सभी योजनाओं पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स में छूट का लाभ मिलता है.
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)
सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana) या एसएसवाई (SSY) एकाउंट गर्ल चाइल्ड यानी बेटी के नाम पर खोला जा सकता है. खाता खुलवाते समय बच्ची की उम्र 10 साल से कम होनी चाहिए. बेटी 18 साल की होने पर खुद उस खाते की ओनर बन जाती है. SSY में अभी 7.6 फीसदी ब्याज मिल रहा है. यह खाता 250 रुपये का मिनिमम डिपॉजिट करके खोला जा सकता है और एक साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं. इस प्लान में किए गए निवेश पर भी पीपीएफ की तरह ही तिहरा टैक्स लाभ (EEE Tax Benefit) मिलता है.
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF)
पब्लिक प्रॉफिडेंट फंड (Public Provident Fund) या पीपीएफ (PPF) का मकसद लंबे समय के लिए निवेश करके रिटायरमेंट या किसी और दीर्घकालीन मकसद के लिए कॉर्पस इकट्ठा करना होता है. पीपीएफ एकाउंट बैंकों के अलावा पोस्ट ऑफिस में भी खोले जा सकते हैं. पीपीएफ पर अभी 7.1 फीसदी की सालाना दर से ब्याज मिल रहा है, जो सालाना आधार पर कंपाउंड होता है. इसके अलावा पीपीएफ स्कीम में तिहरा टैक्स बेनिफिट (EEE tax benefit) भी मिलता है. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत न सिर्फ पीपीएफ में सालाना 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है, बल्कि इस पर मिलने वाले ब्याज और मैच्योरिटी के समय मिलने वाली रकम भी टैक्स फ्री होती है.
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC)
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (National Savings Certificates) यानी NSC में कम से कम 1000 रुपये जमा किए जा सकते हैं, जबकि अधिकतम निवेश की कोई लिमिट नहीं है. नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट 5 साल में मैच्योर होता है, जिस पर फिलहाल 7 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है. NSC में निवेश पर भी 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. लेकिन मैच्योरिटी के समय ब्याज पर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है. नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट की एक खास बात यह भी है कि इसे गारंटी के तौर पर जमा करके लोन भी लिया जा सकता है.
सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS)
60 साल या उससे ज्यादा उम्र के बुजुर्ग पोस्ट ऑफिस के जरिए सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (Senior Citizen Savings Scheme – SCSS) में निवेश कर सकते हैं. इनके अलावा 55 साल से ज्यादा उम्र वाले वे लोग भी इसमें निवेश कर सकते हैं, जो रिटायर हो चुके हैं. लेकिन ऐसे लोगों के लिए रिटायरमेंट बेनेफिट मिलने के एक महीने के भीतर ही SCSS में निवेश करना जरूरी है. सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम में निवेश के लिए मिनिमम यानी कम से कम रकम 1000 रुपये है, जबकि निवेश की मैक्सिमम लिमिट यानी अधिकतम सीमा 15 लाख रुपये है. इस स्कीम में 5 साल के लिए निवेश करना होता है, जिसे मैच्योरिटी के बाद फिर से 3 साल के लिए रिन्यू किया जा सकता है. सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम में फिलहाल 8 फीसदी की सालाना दर से ब्याज मिल रहा है, जिसका भुगतान हर तीन महीने पर किया जाता है. SCSS में किए गए निवेश पर 80C के तहत टैक्स बेनेफिट तो मिलता है, लेकिन ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल होता है.
पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट (TD)
पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट (TD) काफी हद तक बैंकों के फिक्स डिपॉजिट (FD) की तरह होते हैं. इनमें अलग-अलग अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है, जिन पर ब्याज की दर भी अलग-अलग होती है. ब्याज दरों की हर तीन महीने बाद समीक्षा की जाती है. इनमें कम से कम निवेश 1000 रुपये है. अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है. 5 साल की लॉक-इन अवधि वाले पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट में निवेश करने पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत इनकम टैक्स में छूट मिलती है. फिलहाल इसमें 5 साल के डिपॉजिट पर 7 फीसदी की सालाना दर से ब्याज मिल रहा है.