
जीवन में अतीत में घटी घटनाएं हमारे वर्तमान और भविष्य को भी प्रभावित करती हैं. वित्तीय घटनाक्रम भी कुछ ऐसे ही मायने रखते हैं. भविष्य की वित्तीय स्थिति को आकार देने में उनकी अहम भूमिका होती है. अगर गुजर रहे 2019 पर नजर डालें तो इस साल बैंकिंग सेक्टर में कई बड़े बदलाव और घटनाक्रम देखने को मिले. इनसे कहीं ग्राहकों की जिंदगी आसान बनी तो कहीं उन्हें अपने पैसे डूबने की चिंता लगी रही. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ बड़े फैसलों और घटनाओं के बारे में…
RBI CMS
RBI ने जून में बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के खिलाफ ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने के लिए शिकायत प्रबंधन प्रणाली यानी कंप्लेंट मैनेजमेंट सिस्टम (CMS) की शुरुआत की. यह RBI की वेबसाइट पर मौजूद है. RBI CMS पर ग्राहक पब्लिक इंटरफेस वाली किसी भी रेगुलेटेड एंटिटी जैसे कमर्शियल बैंक, शहरी सहकारी बैंक और NBFC के खिलाफ ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं. शिकायत को उपयुक्त लोकपाल ऑफिस/रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय ऑफिस को भेज दिया जाएगा. RBI के CMS को डेस्कटॉप और मोबाइल दोनों पर एक्सेस किया जा सकता है.
2 करोड़ से ज्यादा की कैश निकासी पर TDS
किसी एक बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक या पोस्ट ऑफिस में मौजूद सभी सेविंग्स अकाउंट को मिलाकर एक वित्त वर्ष में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की कैश निकासी पर 2% TDS का प्रावधान किया गया.
बैंकों का मर्जर
अगस्त 2019 में मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 सरकारी बैंकों के विलय से चार बड़े बैंक बनाने का एलान किया. इसके चलते देश में केवल 12 सरकारी बैंक रह जाएंगे. फैसले के तहत पंजाब नेशनल बैंक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का, केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक व कॉरपोरेशन बैंक का और इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक का मर्जर तय किया गया है. इसके अलावा इसी साल अप्रैल से विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय अमल में आया.
फ्री ATM ट्रांजेक्शन पर RBI का स्पष्टीकरण



RBI ने अगस्त 2019 में फ्री ATM ट्रांजेक्शन से जुड़े नियमों को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया. इसमें बताया गया कि फ्री ATM ट्रांजेक्शन में ATM से टैक्स भरने, फंड ट्रांसफर, बैलेंस चेक जैसे नॉन-कैश विदड्रॉल ट्रांजेक्शन नहीं गिने जाते हैं. यानी ATM में इनके इस्तेमाल से आपके फ्री ट्रांजेक्शन की संख्या नहीं घटेगी. RBI ने स्पष्ट किया कि तकनीकी कारणों जैसे हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, कम्युनिकेशन इश्यू आदि के चलते; ATM में नकदी न होने, बैंक/सर्विस प्रोवाइडर द्वारा ट्रांजेक्शंस से मना करने, इनवैलिड पिन/वैलिडेशन आदि के कारण फेल होने वाले ट्रांजेक्शन को ग्राहक के वैलिड ATM ट्रांजेक्शंस में शामिल नहीं किया जाएगा. ग्राहकों को कोई चार्ज भी नहीं देना होगा. इसके अलावा नॉन कैश विद्ड्रॉल ट्रांजेक्शंस जैसे बैलेंस इन्क्वायरी, टैक्स पेमेंट, चेक बुक रिक्वेस्ट, फंड ट्रांसफर को भी फ्री ATM ट्रांजेक्शंस का हिस्सा नहीं माना जाएगा.
फेल्ड ट्रांजेक्शन पर RBI का फरमान
रिजर्व बैंक ने फेल्ड ट्रांजेक्शन को लेकर नया फरमान जारी किया. इसके तहत फेल्ड ट्रांजेक्शन पर शिकायतों के निपटारे और रकम के ऑटो रिवर्सल को लेकर बैंकों के लिए समयावधि तय की गई. इस अवधि में ट्रांजेक्शन का सेटलमेंट या रिवर्सल न होने पर बैंकों की ओर से ग्राहकों को मुआवजा देने का प्रावधान किया गया, जो कि समयावधि पूरी होने पर 100 रु प्रतिदिन के हिसाब से है. हालांकि मुआवजा तभी मिलेगा, जब फेल्ड ट्रांजेक्शन के लिए कस्टमर जिम्मेदार नहीं होंगे. RBI का यह फरमान 15 अक्टूबर 2019 ये अमल में आया. इस बारे में डिटेल में पढ़ें… ट्रांजेक्शन फेल होने पर बैंक तय समय में लौटाएंगे पैसा, देरी होने पर 100 रु/दिन का देना होगा मुआवजा
PMC बैंक लिमिटेड
RBI ने 23 सितंबर 2019 को पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक लिमिटेड पर नियामकीय पाबंदियां लगा दीं. बैंक के कामकाज में अनियमितताएं और रियल एस्टेट कंपनी HDIL को दिए गए कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने के कारण ऐसा किया गया. RBI की इन पाबंदियों में कर्ज देना और नई जमा स्वीकार करने पर प्रतिबंध शामिल है. बैंक प्रबंधन को हटाकर उसकी जगह RBI के पूर्व अधिकारी को 6 महीने के लिए बैंक का प्रशासक बनाया गया. PMC बैंक ने HDIL को अपने कुल कर्ज 8,880 करोड़ रुपये में से 6,500 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था, जो पिछले दो-तीन साल से NPA है.
इसके अलावा उस वक्त से बैंक से प्रति ग्राहक निकासी सीमा 1,000 रुपये तय की गई थी. इसके बाद 26 सितंबर को निकासी सीमा बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रति खाता, 3 अक्टूबर को 25000 रुपये प्रति खाता और उसके बाद 40000 रुपये प्रति खाता और 5 नवंबर को 50,000 रुपये प्रति खाता कर दी गई. बाद में 20 नवंबर को PMC बैंक के जमाकर्ताओं को मेडिकल इमरजेंसी से जुड़ी जरूरतों की स्थिति में एक लाख रुपये तक की निकासी के लिए नियुक्त प्रशासक से संपर्क कर सकने की सुविधा दी गई.
RTGS और NEFT के मामले में हुए बदलाव
– RBI ने RTGS से फंड ट्रांसफर करने की समय सीमा बढ़ा दी. पहले RTGS से सुबह 8 बजे से शाम 4:30 बजे तक ही फंड ट्रांसफर किया जा सकता था. RBI ने इसे बढ़ाकर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक कर दिया. बैंकों के बीच लेन-देन के लिए सुबह 8 बजे से शाम 7.45 मिनट तक का समय रखा गया.
– NEFT के तहत लेन-देन की सुविधा अवकाश के साथ सप्ताह के सातों दिन उपलब्ध कराई गई. पहले NEFT से लेन-देन का निस्तारण सामान्य दिनों में सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे के दौरान और पहले और तीसरे शनिवार को सुबह 8 बजे से दोपहर एक बजे तक घंटे के आधार पर किया जाता था. लेकिन अब RBI ने NEFT से लेन-देन को चौबीसों घंटे, सातों दिन किए जा सकने की सुविधा दी है.
– 1 जुलाई से RTGS और NEFT के जरिए फंड ट्रांसफर सस्ता किया गया. RBI ने एलान किया कि वह RTGS और NEFT ट्रांजेक्शंस पर बैंकों से कोई चार्ज वसूल नहीं करेगा. RBI के इस फैसले का फायदा बैंक ग्राहकों को देंगे. इस फैसले के बाद देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने पहले NEFT व RTGS ट्रांजेक्शंस से चार्ज हटाया और उसके बाद IMPS के जरिए फंड ट्रांसफर को भी फ्री कर दिया.
रेपो रेट से लिंक्ड लोन
बैंकिंग सेक्टर का सबसे अहम बदलाव रिटेल लोन की ब्याज दरों को एक्सटर्नल बेंचमार्क से जोड़ा जाना रहा. रेपो रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों तक तुरंत पहुंचे, इसके लिए RBI ने बैंकों से फ्लोटिंग रेट वाले सभी नए पर्सनल या रिटेल लोन और फ्लोटिंग रेट वाले MSME लोन एक्सटर्नल बेंचमार्क से जोड़ने का आदेश दिया. इन बेंचमार्क में रेपो रेट, भारत सरकार के 3 माह या 6 माह के ट्रेजरी बिल यील्ड और फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (FBIL) द्वारा प्रकाशित कोई भी अन्य बेंचमार्क शामिल हैं. अक्टूबर खत्म होते-होते लगभग सभी बैंकों ने रेपो रेट से लिंक्ड रिटेल लोन प्रॉडक्ट पेश कर दिए.
रेपो रेट में लगातार 5 बार कटौती
महंगाई के नियंत्रण में रहने और खपत को बढ़ावा देने के लिए RBI ने 2019 में रेपो रेट में लगातार 5 बार कटौती की, जो कुल 1.35 फीसदी की रही. फरवरी में रेपो रेट 6.50 फीसदी थी. द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के दौरान फरवरी में रेपो रेट में 0.25 फीसदी, अप्रैल में 0.25 फीसदी, जून में 0.25 फीसदी, अगस्त में 0.35 फीसदी और अक्टूबर में 0.25 फीसदी की कटौती की. इसके चलते रेपो रेट घटकर 5.15 फीसदी पर आ गई. रिवर्स रेपो रेट इस वक्त 4.90 फीसदी है. दिसंबर माह की बैठक के दौरान ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया.
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