
Debt Index Funds: आम तौर पर यह माना जाता है कि रिस्क एडजस्टेड रिटर्न हासिल करने और अपने वित्तीय लक्ष्यों को पाने के लिए एक बेहतर तरीके से डाइवर्सिफाई पोर्टफोलियो बनाना जरूरी है. यह, रिस्क रिटर्न स्पेक्ट्रम के विस्तार में उपलब्ध अलग अलग तरह के इंस्ट्रूमेंट में निवेश करके पूरा किया जा सकता है. आमतौर पर, इक्विटी निवेश को लंबी अवधि में दौलत बढ़ाने का सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है. जबकि डेट इन्वेस्टमेंट से स्थिर रिटर्न और नकारात्मक जोखिम से सुरक्षा मिलती है. डेट इंस्ट्रूमेंट्स की तुलना में इक्विटी में हाई लेवल का जोखिम मौजूद रहता है. हालांकि, एक महत्वपूर्ण बात ध्यान में रखना जरूरी है कि डेट में निवेश भी रिस्क फ्री नहीं है. इस कटेगिरी की अलग अलग स्कीम में भी अलग अलग लेवल के जोखिम हो सकते हैं.
डेट इन्वेस्टमेंट में जोखिम
डेट इन्वेस्टमेंट में जोखिम के कई सोर्स हैं, जिनमें प्रमुख हैं क्रेडिट जोखिम, ब्याज दर जोखिम और तरलता जोखिम.
क्रेडिट जोखिम: यह जारीकर्ता जोखिम या डिफाल्ट के जोखिम को दर्शाता है. अगर जारीकर्ता पेमेंट के दायित्व में चूकता है तो हो सकता है कि आपको निवेश किए गए मूलधन का पूरा मूल्य प्राप्त न हो.
ब्याज दर जोखिम: बॉन्ड की कीमतों का ब्याज दरों के साथ विपरीत संबंध है. इसका मतलब यह है कि आपके पोर्टफोलियो में ऋण निवेश का मूल्य ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के साथ घट जाएगा और ब्याज दर घटने पर इसमें बढ़ोत्तरी होगी. यह आपके पोर्टफोलियो में थोड़ी-बहुअत अस्थिरता ला सकता है.
तरलता जोखिम: यह आपको अपने पोर्टफोलियो में बॉन्ड खरीदने और बेचने की सहूलियत को संदर्भित करता है.
एक आदर्श समाधान
एक निवेशक के रूप में आपके पास डेट म्यूचुअल फंड्स से लेकर बॉन्ड तक अलग अलग तरह के इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने का विकल्प है. लेकिन, टारगेट मेच्योरिटी डेट फंड आपके लिए किसी तरह के जोचिाम से बचने के लिए आइडियल सॉल्यूशन है. यह एक डेट इन्वेस्टमेंट विकल्प है जिसमें बॉन्ड की विशेषताएं हैं. यानी मेच्योरिटी तक निवेश बनाए रखने पर एक तय रिटर्न मिलता है. इसके अलावा इसकी कुछ अतिरिक्त विशेषताएं हैं, जो आपको लिक्विडिटी और एसेसेबिलिटी से संबंधित चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकती हैं. इस फंड के कई फायदे हैं.
रिटर्न का पूर्वानुमान: पीएसयू जैसे गुणवत्तापूर्ण जारीकर्ता और डिफाइंड मेच्योरिटी के कारण, इंडेक्स फंड से मिलने वाले रिटर्न ज्यादातर पूर्व अनुमान के मुताबिक होते हैं. सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के बॉन्ड में इन फंड्स द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश होने की वजह से रिस्क बहुत कम हो जाता है. डिफाइंड या टारगेटेड मेच्योरिटी का मतलब है कि पोर्टफोलियो में बॉन्ड एक निश्चित अवधि में मेच्योर होंगे.
आसान और कम लागत: ईटीएफ के विपरीत, आपको इंडेक्स फंड में यूनिट को खरीदने या बेचने के लिए डीमैट खाते के माध्यम से लेनदेन करने की आवश्यकता नहीं है. आप, किसी अन्य म्यूचुअल फंड योजना के जैसे, किसी भी फंड हाउस के जरिए यूनिट खरीद सकते हैं.
तरलता: आप म्यूचुअल फंड हाउस के जरिए आसानी से इंडेक्स फंड में यूनिट खरीद और बेच सकते हैं, इसलिए आपको एक्सचेंज की संभावित तरलता के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होगी.
पारदर्शिता: डेट इंडेक्स फंड एक इंडरलाइंग डेट इंडेक्स की नकल करते हैं, इसलिए वे निवेश, जारीकर्ता रेटिंग और परिपक्वता के मामले में बेहतर तरलता और पारदर्शिता प्रदान करते हैं.
टैक्स का लाभ: बॉन्ड निवेश से कूपन आय पर सीमांत दरों पर कर लागू होते है, जिसके मुकाबले में इंडेक्स फंड अधिक टैक्स एफिसिएंट हैं. दूसरी ओर, इंडेक्स फंड्स पर इंडेक्सेशन के लाभ से टैक्स लगाया जाता है जो संभावित रूप से आपके निवेश रिटर्न पर टैक्स लायबिलिटी को कम कर सकता है.
(लेखक: Radhika Gupta, MD & CEO of Edelweiss Asset Management Limited)
(Note: ऊपर व्यक्त किए गए सभी विचार लेखक के निजी विचार हैं.)
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