आज के जमाने में पैरेंट यानी माता-पिता बनना कोई आसान फैसला नहीं है. जाहिर है, पैरेंट बनने के बाद बच्चे को अच्छी परवरिश और उसे भविष्य की चुनौतियों से मुकाबला करने के काबिल बनाना होगा. मगर मौजूदा वक्त में बच्चे के लिए इतना सब कर पाना आसान नहीं है. लगातार बढ़ती महंगाई का बोझ और तेजी से बदल रही लाइफ स्टाइल, बढ़ती उम्र के साथ बच्चों की परवरिश और स्कूली शिक्षा से लेकर उनके बाकी जरूरतों पर होने वाले खर्च से फाइनेंशियल चैलेंज बढ़ रही है.
जब आप अपने बच्चे के भविष्य को सिक्योर करने के लिए बचत और निवेश पर जोर देते हैं और इसके लिए लगातार प्रयास करते हैं. तो उतना ही जरुरी हो जाता है कि आपका बच्चा भी पैसे को महत्व समझे और वह भी कमाई करने और सेविंग में बढ़ोतरी करने का प्रयास करे. इसे लेकर कहा भी जाता है कि शिक्षा पर निवेश करने से सबसे अच्छा रिटर्न मिलता है. इस बाल दिवस (Children’s Day) यानी 14 नवंबर, आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री के जन्मदिन के मौके पर अपने बच्चे को फाइनेंशियल तौर पर मजबूत और जिम्मेदार बनने की तालीम देने की पहल करें. ताकि वे अपने हुनर से फाइनेंशियल तौर पर सशक्त बन पाएं और बड़े होकर बेहतर तरीके से जिंदगी जी सकें.
मिसाल देकर पैसे का मैनेजमेंट करना सिखाएं
हम बच्चों को छोटी उम्र से ही पढ़ना, लिखना, बोलना सिखाते हैं क्योंकि ये उनके लिए बहुत ही जरूरी है. ठीक ऐसे ही मनी मैनेजमेंट का गुर भी उनके लिए जरूरी है. एक बार बच्चा जब पैसे से जुड़ी बातें समझने के पड़ाव पर पहुंच जाए, तो उसे उम्र के इस पायदान पर पैसे की बारिकियों के बारे में सिखाना शुरू कर देना चाहिए. पैसा की अहमियत क्यों है ?, किस मकसद को पूरा करती है? पैसे को कैसे अर्जित किया जाता है? उसकी बचत, इस्तेमाल और निवेश किए जाने के पहलुओं के बारे में बच्चों को मिसाल देकर समझाया जा सकता है.
हालांकि बच्चे को ये सिखाने में मुश्किल जरूर आ सकती है कि पैसा कैसे काम करता है. ज्यादातर बच्चे कुछ करने के बदले अवार्ड या गिफ्ट पाने की ललक से पैसे की अहमियत को सीखते हैं. आप इसे पॉकेट मनी जैसी चीजों पर भी लागू कर सकते हैं. आपकी कोशिश होनी चाहिए कि बच्चा जल्द ये समझ ले कि फ्री में पैसा हासिल करने जैसी कोई तरकीब नहीं है. उसे ये बात समझ आ जानी चाहिए की काम छोटा हो या बड़ा वह उसे करके अपने पॉकेट खर्च का इंतजाम कर सकता है.
बच्चों को मिसाल देखर ये भी सिखाया जा सकता है कि कैसे पैसा जुटाकर वे किसी टार्गेट को पूरा कर सकते हैं. अगर बच्चा कोई खास खिलौना या गैजेट चाहता हैं, तो उन्हें दिखाएं कि कैसे प्लानिंग करके बजट जुटाया जाता है और फिर उससे खिलौना खरीदा जाता है. उसे बचत करने के तरीके के बारे में सबक सिखाएं. इस तरह करने से बच्चे के मन में फंड जुटाने की प्लानिंग की समझ बनेगी और इस तरीके से वह धीरे-धीरे करके बेहतर फ्यूचर के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग के अहमियत को समझ सकेगा.
(Article By Anup Bansal, Chief Business Officer, Scripbox. Views expressed above are those of the author and not necessarily of financialexpress.com)