वित्त वर्ष 2020-21 (FY21) शुरू हो चुका है. इसके साथ ही बजट 2020 में आयकर व अन्य करों के मोर्चे पर हुए कुछ एलान आज यानी 1 अप्रैल से लागू हो गए हैं. इसके अलावा सरकार द्वारा हाल ही में टैक्स व टैक्स सेविंग को लेकर की गई कुछ घोषणाओं का असर या यूं कहें फायदा भी आज से प्रभावी हो गया है. आइए जानते हैं इनके बारे में…
वैकल्पिक आयकर स्लैब
बजट 2020 में घोषित वैकल्पिक आयकर स्लैब आज से अमल में आ रहा है. अब करदाताओं के पास पुराना परंपरागत टैक्स स्लैब और नया वैकल्पिक टैक्स स्लैब मौजूद रहेगा. नए टैक्स स्लैब के साथ सरकार ने एक शर्त भी रखी है. वह यह कि इसे अपनाने वाले आयकरदाता आयकर कानून के चैप्टर VI-A के तहत मिलने वाले टैक्स डिडक्शन और एग्जेंप्शन का फायदा नहीं ले पाएंगे. बजट 2020 में प्रस्तावित वैकल्पिक टैक्स स्लैब–
सालाना आय | टैक्स रेट |
0 से 2.5 लाख रु तक | 0% |
2.5 लाख से 5 लाख रु तक | 5% |
5 लाख से 7.50 लाख रु तक | 10% |
7.50 लाख से 10 लाख रु तक | 15% |
10 लाख से 12.50 लाख रु तक | 20% |
12.50 लाख से 15 लाख रु तक | 25% |
15 लाख रु से ज्यादा | 30% |
परंपरागत टैक्स स्लैब
टैक्स रेट | सामान्य नागरिक | वरिष्ठ नागरिक (60-80 साल) | अति वरिष्ठ नागरिक (80 साल से अधिक) |
0% | 2.5लाख रु तक | 3 लाख रु तक | 5 लाख रु तक |
5% | 2,50,001 से 5,00,000 रु तक | 3,00,001 से 5,00,000 रु तक | शून्य |
20% | 5,00,001 से 10 लाख रु तक | 5,00,001 से 10 लाख रु तक | 5,00,001 से 10 लाख रु तक |
30% | 10 लाख से अधिक | 10 लाख से अधिक | 10 लाख से अधिक |
म्यूचुअल फंड से मिला डिविडेंड टैक्सेबल
बजट 2020 में कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स की ओर से दिए जाने वाले डिविडेंड पर DDT खत्म कर दिया गया है. अब म्युचुअल फंड्स और घरेलू कंपनियों से मिला डिविडेंड प्राप्तकर्ता के लिए कर योग्य होगा. एक अप्रैल से प्रभावी नए टैक्स नियम से उच्च टैक्स ब्रैकेट्स में आने वाले निवेशकों पर ज्यादा बोझ पड़ेगा, जबकि निचले टैक्स ब्रैकेट्स वाले लोगों के लिए बोझ कम होगा.
PF, NPS में नियोक्ता का लिमिटेड योगदान टैक्स फ्री
बजट 2020 में प्रस्ताव रखा गया है कि EPS, NPS और सुपरएनुएशन फंड में नियोक्ता द्वारा किए जाने वाले योगदान के मामले में मैक्सिमम 7.5 लाख रुपये पर ही टैक्स डिडक्शन का फायदा दिया जाए. यानी नियोक्ता का योगदान इस लिमिट से ज्यादा होने पर उस सरप्लस योगदान को टैक्स के दायरे में लाया जाए. यह कर्मचारी के सिरे पर कर योग्य होगा. आयकर नियम में यह परिवर्तन नए और पुराने दोनों टैक्स स्लैब्स में लागू होगा.
सेक्शन 80EEA का फायदा मार्च 2021 तक
बजट 2019 में आयकर कानून में एक नया सेक्शन 80EEA जोड़ा गया था, जिसके तहत 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक होम लोन लेने पर उसके ब्याज पर करदाता 1.5 लाख रुपये तक का अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता था. यह सेक्शन 24 के तहत मिलने वाले 2 लाख रुपये तक के डिडक्शन के इतर है. इसके बाद बजट 2020 में घोषणा की गई कि सेक्शन 80EEA का फायदा मार्च 2021 तक लिया जा सकेगा. यानी अब मार्च 2021 तक होम लोन लेने वाले भी इस नए सेक्शन का फायदा ले सकते हैं. यसेक्शन 80EEA के तहत अतिरिक्त डिडक्शन क्लेम करने के लिए कुछ शर्तें लागू हैं…
- लोन दिए जाने वाली तारीख तक करदाता के नाम पर कोई आवासीय संपत्ति नहीं होनी चाहिए.
- खरीदे जाने वाले घर की स्टैंप ड्यूटी वैल्यू 45 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
- आवासीय संपत्ति का कारपेट एरिया दिल्ली NCR समेत अन्य मेट्रो शहरों में 645 वर्ग फुट और अन्य शहरों में 968 वर्ग फुट से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
विदेश जाना महंगा
बजट 2020 में ओवरसीज रेमिटेंस और ओवरसीज टूर पैकेज की बिक्री पर TCS वसूल करने के लिए आयकर कानून के सेक्शन 206C में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है. इसके चलते विदेश घूमना महंगा हो सकता है क्योंकि विदेश का ट्रैवल पैकेज खरीदते वक्त या 7 लाख से ज्यादा की विदेशी करेंसी लेते वक्त आपको टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (TCS) का भुगतान करना होगा. सेक्शन 206C के तहत नए नियमों के मुताबिक, अगर किसी ऑथराइज्ड डीलर को 7 लाख रुपये या इससे ज्यादा अमाउंट एक वित्त वर्ष में भारत के बाहर LRS के तहत रेमिटेंस के लिए मिलता है तो उसे इस पर 5 फीसदी की दर से TCS कलेक्ट करना होगा.
अगर किसी ओवरसीज टूर प्रोग्राम पैकेज के विक्रेता को ऐसे पैकेज के खरीदार से कोई भी धनराशि प्राप्त होती है तो उसे 5 फीसदी की दर से TCS कलेक्ट करना होगा. अगर ऑथराइज्ड डीलर या टूर पैकेज विक्रेता को PAN या आधार उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो TCS की दर 10 फीसदी होगी. हालांकि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर इसका रिफंड पाया जा सकेगा.
स्टार्टअप कर्मचारियों को फायदा
स्टार्टअप्स के कर्मचारियों को राहत देते हुए एक अप्रैल से लागू टैक्स नियमों में उन्हें ESOPs या एंप्लाय स्टॉक ओनरशिप प्लान के अंदर आवंटित शेयर पर टैक्स भुगतान से मोहलत दी गई है. यह मोहलत टैक्स एक्सरसाइज शुरू होने के बाद 48 माह तक, रोजगार की समाप्ति या शेयरों की बिक्री, जो भी पहले हो तक के लिए होगी.
ये अहम घोषणाएं भी रखें याद
देश में कोरोना वायरस को देखते हुए लागू लॉकडाउन के चलते हाल ही में कई कामों के लिए आखिरी तिथि बढ़ाकर 30 जून 2020 की गई है, जो पहले 31 मार्च 2020 थी. ये काम इस तरह हैं..
— वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न भरने का मौका अब 30 जून 2020 तक है. साथ ही उल्लिखित वित्त वर्ष के लिए आईटीआर के लिए लेट पेमेंट्स के लिए ब्याज दर को 12 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी कर दिया गया है.
— 30 जून 2020 तक देर से भरे गए टीडीएस के लिए ब्याज दर को घटाकर 9 फीसदी कर दिया गया है. अभी यह दर 18 फीसदी है.
— पैन-आधार लिंकिंग डेडलाइन को भी बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दिया है.
— विवाद से विश्वास स्कीम को भी 30 जून 2020 तक बढ़ा दिया गया है. इस नई डेडलाइन तक योजना के तहत 10 फीसदी का अतिरिक्त चार्ज भी नहीं देना होगा, जिससे पहले 31 मार्च 2020 तक ही छूट थी.
— मार्च, अप्रैल और मई के लिए जीएसटी रिटर्न भरने के लिए समय सीमा को बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दिया गया है. 5 करोड़ रुपये से कम सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए लेट जीएसटी रिटर्न भरने पर कोई ब्याज, लेट फीस व पेनल्टी नहीं लगेगी. वहीं इससे ज्यादा के टर्नओवर वाली कंपनियों पर पहले 15 दिन के लिए कोई लेट फीस व पेनल्टी नहीं लगेगी लेकिन 15 दिन के बाद उनके लिए ब्याज, पेनल्टी या लेट फीस 9 फीसदी की दर पर होगी. इसके अलावा कंपोजीशन स्कीम का लाभ लेने के लिए भी डेडलाइन 30 जून 2020 कर दी गई है.
30 जून तक टैक्स सेविंग
अगर 30 जून तक किसी भी ऐसी स्कीम या प्लान में निवेश करते हैं, जिसमें आईटी एक्ट के तहत टैक्स छूट मिलती है, तो उस निवेश पर आप इनकम टैक्स रिटर्न में क्लेम कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर LIC, PPF, NPS जैसी स्कीम में 30 जून तक निवेश करके टैक्स छूट का लाभ लिया जा सकता है. 30 जून तक किए गए निवेश से वित्त वर्ष 2019—20 के लिए ही टैक्स छूट का लाभ ले सकेंगे. इस निवेश पर 2 वित्त वर्ष के लिए क्लेम नहीं कर सकते हैं. LIC की पुरानी पॉलिसी पर प्रीमियम, मेडिक्लेम, PPF, NPS जैसी योजनाओं पर 30 जून तक किए गए पेमेंट भी इसमें शामिल हैं.
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