Akshaya Tritiya: इस बार अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का त्योहार 3 मई को है. इस त्योहार को सोने जैसे महंगे निवेश के लिए शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोना खरीदने से समृद्धि बढ़ती है और अधिक धन की प्राप्ति होती है. आज के समय में सोना ऑनलाइन (डिजिटल सोना) माध्यम से खरीदना संभव है. वे दिन गए जब गोल्ड खरीदने के लिए जौहरी के पास जाना पड़ता था. गोल्ड की बात आने पर लोगों की पहली पसंद ज्वैलरी या गोल्ड बिस्किट होते हैं लेकिन आजकल गोल्ड कॉइन भी ट्रेंड में हैं.
सोना निवेश का अच्छा जरिया हो सकता है लेकिन इसे खरीदते वक्त इससे जुड़ी सावधानियों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है. वरना आपका नुकसान उठाना पड़ सकता है. आइए जानते हैं कि गोल्ड ज्वैलरी और क्वॉइन खरीदते वक्त किन बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
1. शुद्धता का रखें ध्यान
सोना खरीदते वक्त इसकी शुद्धता का ध्यान जरूर रखें. प्योर गोल्ड 24 कैरेट का होता है. हालांकि आपको ज्वैलरी 100 फीसदी प्योर गोल्ड में नहीं मिलेगी. इसकी वजह है कि सोना बहुत लचीला और सॉफ्ट होता है. इसके चलते 24 कैरेट की ज्वैलरी नहीं बन पाती है. ज्वैलरी में 22 कैरेट या 18 कैरेट गोल्ड का इस्तेमाल होता है. लेकिन गोल्ड बार या सिक्का प्योर गोल्ड में खरीदा जा सकता है. कैरेट के अलावा फाइननेस के जरिए भी प्योरिटी का पता लगाया जा सकता है. फाइननेस के नंबर होते हैं जैसे 916, इसका मतलब है कि कॉइन 999.9 फीसदी प्योर है.
2. कैरेट के हिसाब से हो कीमत
सोना के कैरेट जितने ज्यादा होते हैं, उसकी कीमत भी उतनी ज्यादा रहती है. 22 कैरेट गोल्ड 24 कैरेट गोल्ड से सस्ता होता है. चूंकि ज्वैलरी 22 कैरेट गोल्ड की होती है, इसलिए इसकी कीमत 24 कैरेट गोल्ड के हिसाब से नहीं होगी. इसलिए ध्यान रखें कि प्योर गोल्ड ज्वैलरी बताकर 22 कैरेट ज्वैलरी के लिए 24 कैरेट के हिसाब से पैसे न वसूल लिए जाएं. बिल बनवाते वक्त ज्वैलर से सोने की शुद्धता और कीमत को बिल पर जरूर लिखवाएं.
3. गोल्ड ज्वेलरी का मेकिंग चार्ज
गोल्ड ज्वैलरी बनवाते वक्त उस पर किए गए काम के हिसाब से मेकिंग चार्ज लिया जाता है. ज्वैलरी जितने बारीक काम वाली होती है, उसका मेकिंग चार्ज ज्यादा रहता है. त्योहारों के टाइम पर डिमांड ज्यादा रहती है, जिसका फायदा उठाते हुए कुछ जालसाज ज्वैलर्स छोटी सी ज्वैलरी पर भी हैवी ज्वैलरी के हिसाब से ही चार्ज वसूलते हैं. ज्यादातर कस्टमर के पास वक्त कम होता है और उन्हें ज्वैलरी चाहिए होती है, इसलिए वह बहुत ज्यादा मोल-तोल किए बिना ज्वैलर द्वारा बताया मेकिंग चार्ज देने के लिए तैयार हो जाते हैं. लेकिन सही तो यह है कि मेकिंग चार्ज को लेकर आप जितनी बार्गेनिंग कर सकते हैं, करें.
गोल्ड कॉइन में 0.5 ग्राम के मिनिमम वेट के गोल्ड के कॉइन भी खरीदे जा सकते हैं और इसलिए ज्वैलरी के मुकाबले इन पर मेकिंग चार्ज भी कम होता है.
4. गोल्ड क्वॉइन की पैकेजिंग
गोल्ड क्वॉइन की पैकेजिंग टेंपर प्रूफ होती है. टेंपर प्रूफ पैकेजिंग से क्वॉइन की प्योरिटी बरकरार रखने के लिए की जाती है. इसलिए गोल्ड कॉइन खरीदते वक्त ध्यान रखें कि क्वॉइन टेंपर प्रूफ पैकेजिंग वाला ही हो. अगर आप आगे चलकर इसे बेचना चाहते हैं तो आपको भी इसकी यही पैकेजिंग बरकरार रखनी होगी.
5. स्टडेड ज्वैलरी के मामले में क्या सावधानी
स्टडेड गोल्ड ज्वैलरी में नग की कीमत भी शामिल रहती है. ऐसी ज्वैलरी खरीदते वक्त स्टोन्स या जेम्स की शुद्धता का सर्टिफिकेट जरूर लें. उनकी कीमत और वजन भी बिल पर लें. एक ज्वैलर के मुताबिक, वैसे तो कस्टमर को स्टडेड चीजों की कीमत और वजन भी बिल पर अलग से दिया जाता है. लेकिन कुछ ज्वैलर्स स्टडेड ज्वैलरी में लगे स्टोन्स और जेम्स को भी सोने की कीमत में लगाते हैं और उनका वजन अलग से नहीं करते हैं.
बाद में जब कभी कस्टमर उस ज्वैलरी को बेचता है तो नगों का दाम अलग रहता है और सोने का अलग. 1 या 2 छोटे स्टोन्स होने पर फर्क नहीं पड़ता लेकिन हैवी वर्क होने पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है. ऐसे में अगर स्टोन्स, सोने से सस्ते हैं तो नुकसान होता है. इसलिए बिल पर स्टडेड चीजों के दाम और वजन अलग से दिया होने पर आप धोखे से बच जाएंगे. शुद्धता का सर्टिफिकेट आपको नकली जेम्स व स्टोन्स की असली के हिसाब से कीमत देने से बचाएगा.
6. हॉलमार्क की न करें अनदेखी
बीआईएस हॉलमार्क गोल्ड के शुद्ध होने की गांरटी होता है. इसलिए बिना हॉलमार्क वाली ज्वैलरी न खरीदें. गोल्ड कॉइन लेते वक्त भी जांच लें कि वह BIS सर्फिाइड हो. किसी भी गोल्ड आइटम पर पांच चीजें मार्क होती हैं- BIS लोगो, प्योरिटी या फाइननेस दर्शाने वाला नंबर जैसे 22 कैरेट या 916, एसेइंग या हॉलमार्किंग सेंटर का लोगो, मार्किंग का साल और ज्वैलर्स आइडेंटिफिकेशन नंबर.
7. बिल जरूर लें
गोल्ड की खरीदारी करते वक्त पक्का बिल जरूर लें. कई लोग जान-पहचान की दुकान से खरीदारी करते वक्त बिल को तवज्जो नहीं देते, जो कि गलत है. सोना चाहे जहां से खरीदें लेकिन उसका पक्का बिल लेना न भूलें. ध्यान रखें कि उसमें खरीदी गई ज्वैलरी, मेकिंग चार्ज और दुकानदार आदि की पूरी डिटेल हो.