रिटायरमेंट की प्लानिंग एक निरंतर, दीर्घकालिक और सोच-समझकर किया जाने वाला काम है. जबकि यह देखने में काफी आसान लग सकता है लेकिन एक छोटी सी गलती भी आपके रिटायरमेंट फंड के लिए एक बहुत बड़ा बाधक बन सकती है. आप नहीं चाहेंगे कि अपनी बाद की जिंदगी में आपको अपने पास अपर्याप्त पैसे होने का गम सताता रहे. इसलिए आपको आज ही एक असरदार योजना बनाने की कोशिश करनी चाहिए और उन बाधाओं से बचने का उपाय करना चाहिए जो आपकी दीर्घकालिक योजना को प्रभावित कर सकती हैं. तो चलिए इनमें से कुछ बाधाओं के बारे में जानने और यह समझने की कोशिश करते हैं कि इनसे कैसे बचा जा सकता है.
रिटायरमेंट के बाद की जीवन शैली के बारे में न सोचना
सबसे पहले, आपको यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि जीवनयापन का खर्च, बदलते समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है. महंगाई का प्रभाव, बीतते समय के साथ बचाकर रखे गए पैसे के मूल्य को समाप्त कर देगी. इसलिए, आपको अपनी जीवन शैली के खर्च में होने वाली वृद्धि के लिए तैयार रहना चाहिए वरना आपको अपनी सुख-सुविधाओं में कटौती करनी पड़ सकती है. आप जो किराया देंगे, यूटिलिटी बिल, मेडिकल खर्च, यात्रा खर्च, इत्यादि जैसे कारकों के आधार पर फंड के आकार का आकलन करें.
स्वास्थ्य सेवा सम्बन्धी खर्च का गलत अनुमान
अस्पताल का खर्च और मेडिकल खर्च, बदलते समय के साथ बढ़ता जा रहा है और इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका है – मेडिकल इंश्योरेंस. रिटायरमेंट के बाद हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम भरने के लिए आपको कितने पैसों की जरुरत पड़ेगी इसका अनुमान लगाएं. आपको अपने जीवन में जल्द से जल्द एक हेल्थ इंश्योरेंस खरीद लेना चाहिए क्योंकि कम उम्र में प्रीमियम की लागत काफी कम होती है क्योंकि उस समय स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों के होने की सम्भावना काफी कम होती है. रिटायरमेंट की उम्र के पास पहुंच जाने पर बीमारियां होने का खतरा काफी बढ़ जाता है और आप नहीं चाहेंगे कि ऐसे समय में आपके पास सीमित कवरेज हो. इसलिए आपको अपने परिवार के स्वास्थ्य इतिहास और जीवन शैली के आधार पर अपनी स्वास्थ्य सेवा सम्बन्धी आवश्यकता का आकलन करना चाहिए.
कोई टैक्स प्लानिंग नहीं
टैक्स एक ऐसी चीज है जिससे बचा नहीं जा सकता. लोग अक्सर रिटर्न की गणना करते समय टैक्स देनदारियों को अनदेखा कर देते हैं. मान लीजिए, यदि आप रिटायरमेंट के बाद एन्युटी से होने वाली आमदनी पर पूरी तरह निर्भर हैं तो आपको इस तरह की आमदनी पर लगने वाले टैक्स को ध्यान में रखना चाहिए. आपको अपने रिटायरमेंट आय पर टैक्स देनदारी को कम करने के लिए समझदारी के साथ प्लानिंग करनी चाहिए .ऐसा करने का एक असरदार तरीका है – अपने निवेश को अपने रिटायरमेंट के उद्देश्यों को पूरा करने वाले और टैक्स लाभ एवं अच्छा रिटर्न देने वाले अलग-अलग उत्पादों में विभाजित करना.
कोई दूसरी इनकम प्लान नहीं
पूरी तरह से अपने रिटायरमेंट फंड पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि अचानक कोई आपातकालीन परिस्थिति पैदा हो जाने पर आपकी सारी बचत खर्च हो सकती है. अपने रिटायरमेंट के शुरुआती सालों में अपने रिटायरमेंट फंड पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए आपको अपनी आमदनी का कोई दूसरा उपाय भी करना चाहिए. इससे आपको बाद के सालों में पर्याप्त पैसे रखने में मदद मिलेगी जब आप बिल्कुल भी काम करने लायक नहीं रह जाएंगे.
महंगाई के प्रभाव पर विचार न करना
रिटायरमेंट फंड बनाते समय लोग अक्सर FD और PPF जैसे रुढ़िवादी साधनों में निवेश करने का विकल्प चुनते हैं क्योंकि वे अपने पैसे को जोखिम में डालने से डरते हैं. दूसरी तरफ, इन साधनों से मिलने वाला रिटर्न अक्सर महंगाई के प्रभाव के कारण काफी कम हो जाता है. बाजार से जुड़े उत्पादों में कुछ जोखिम होता है लेकिन यहां आपको अधिक ब्याज कमाने का मौका मिलता है. यह आपकी बचत के एक हिस्से को कम जोखिम वाली परिसंपत्तियों में निवेश करके अपने जोखिम को कम कर सकते हैं. सुनिश्चित करें कि आपको मिलने वाला शुद्ध रिटर्न, आपके निवेश की अवधि के दौरान औसत महंगाई से अधिक हो. याद रखें कि रिटायरमेंट प्लानिंग एक निरंतर प्रक्रिया है और इसे समय-समय पर एडजस्ट और अपडेट करना पड़ता है.
इसके लेखक, आदिल शेट्टी, बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ हैं.