Nobel Prize For Economics: भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी विनायक (Abhijit Vinayak Banerjee) उनकी पत्नी एस्थर डफलो और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. तीनों अर्थशास्त्रियों को ‘वैश्विक गरीबी खत्म करने के प्रयोग’ के उनके रिसर्च के लिए सम्मानित किया गया है.
इकोनॉमिक साइंसेज कैटिगरी के तहत यह सम्मान पाने वाले अभिजीत बनर्जी भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं. वर्तमान में वह मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं. वह अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के को-फाउंडर हैं. नोबेल कमिटी ने अपने बयान में कहा है कि उनकी रिसर्च से वैश्विक गरीबी से निपटने में अहम मदद मिली है. पिछले दो दशकों में उनकी प्रयोग आधारित अप्रोच से डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स में बड़ा बदलाव आया है. इससे रिसर्च के फील्ड में नई प्रगति आई है.
फ्रेंच अमेरिकी डफलो अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार पाने वाली दूसरी महिला और सबसे युवा अर्थशास्त्री हैं. इस पुरस्कार में 9.18 लाख डॉलर कैश, एक गोल्ड मैडल और एक डिप्लोमा शामिल है. प्राइज मनी का तीनों ही विजेताओं में बराबर-बराबर बांटा जाएगा.
कौन हैं अभिजीत विनायक बनर्जी?
अभिजीत बनर्जी भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं. उनका जन्म मुंबई में 21 फरवरी 1961 को हुआ था. उनकी मां का नाम निर्मला बनर्जी और पिता दीपक बनजी है. मां निर्मला सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रह चुकी हैं, जबकि पिता दीपक कलकत्ता के प्रेसिडेंट कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष थे.
अभिजीत बनर्जी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से 1981 में अर्थशास्त्र में बीएस की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली से अर्थशास्त्र में एमए किया. उन्होंने 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की. वह अभी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रेाफेसर हैं.
साल 2003 में उन्होंने एस्थर डफलो और सेंधिल मुलाइनाथन के साथ मिलकर अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्टशन लैब (J-PAL) की स्थापना की और वह लैब के डायरेक्रों में से एक हैं.
अभिजीत बनर्जी ब्यूरो फॉर द रिसर्च इन द इकोनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलेपमेंट के पूर्व अध्यक्ष, अमेरिकी एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेस और द इकनोमेट्रिक सोसाइटी के रिसर्च एसोसिएट रह चुके हैं.
बनर्जी ने अपने विषय पर कई लेख और पुअर इकनॉमिक्स समेत चार किताबों के लेखक हैं. उनकी किताब पुअर इकनॉमिक्स को गोल्डमैन सॉक्स बिजनेस बुक ऑफ द ईयर का खिताब मिल चुका है. वह तीन अन्य किताबों के संपादक रह चुके हैं और उन्होंने दो डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का निर्देशन भी किया है.
वह यूनाइटेड नेशंस द्वारा 2015 के बाद के विकास एजेंडा के लिए बनाए गए अग्रणी लोगों केक हाई-लेवल पैनल के सेक्रेटरी भी रह चुके हैं.