
अमेरिकी चुनावों में जीत हासिल कर राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद Joe Biden ने कई फैसले लिए हैं. इनमें से कुछ फैसलों ने ट्रंप के आदेश को उलट दिया है. भारत के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो बाइडेन के फैसले से भारतीयों को बहुत फायदा पहुंचने वाला है. सबसे बड़ा फायदा उन आईटी पेशेवरों को होने वाला है जो दशकों से वहां की नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं. इसके अलावा भारत के पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान को अमेरिकी सरकार ने सख्त चेतावनी दी है. इमिग्रेशन बिल को लेकर दिग्गज अमेरिकी आईटी कंपनियों ने खुशी जताई हैं. एप्पल और गूगल समेत कई अमेरिकी कंपनियां का मानना है कि जो बाइडेन के इस कदम से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी, रोजगार का निर्माण होगा और दुनिया भर से प्रतिभाओं के लिए अमेरिका आकर्षक बन जाएगा.
इमिग्रेशन सुधारों से भारतीय IT पेशेवरों को फायदा
राष्ट्रपति बनने के बाद पहले ही दिन जो बाइडेन ने एक कंप्रेहेंसिव इमिग्रेशन बिल कांग्रेस को भेजा है. यह बिल कांग्रेस से पास होने पर आईटी पेशेवरों को बहुत फायदा मिलेगा. यूएस सिटीजनशिप एक्ट 2021 में रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड्स के लिए प्रति देश तय की गई ऊपरी सीमा को हटाने का प्रस्ताव है. यह सीमा हटने के बाद अमेरिका में रह रहे हजारों भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को कानूनी तौर पर अमेरिका में स्थायी निवास का दशकों पुराना इंतजार खत्म होगा. पिछले तीस वर्षों से यह इमिग्रेशन रिफॉर्म अटका पड़ा था.
यह बिल अनडॉक्यूमेंटेंड वर्कर्स के लिए राहत लेकर आएगा. अनडॉक्युमेंटेड अप्रवासी नागरिकों में से दो तिहाई अमेरिका में पिछले 10 साल या उससे भी ज्यादा वक्त से हैं. यह बिल बैकलॉग क्लियर करने के लिए इस्तेमाल न हुए वीजा को रिकैप्चर कर, लंबे वेटिंग पीरियड को दूर कर फैमिली बेस्ड इमीग्रेशन सिस्टम को सुधारता है और उनकी प्रति देश वीजा लिमिट को बढ़ाता है. यह परिवारों को दूर रखने के अन्य प्रावधानों को भी दूर करता है.
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पाकिस्तान और चीन को चेतावनी
बाइडेन प्रशासन में रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के मुताबिक चीन पहले ही क्षेत्रीय प्रभुत्वकारी शक्ति हो चुका है और अब वह वैश्विक स्तर पर नियंत्रणकारी शक्ति बनने की कोशिश कर रहा है. ऑस्टिन के मुताबिक चीन को रोकने के लिए अमेरिकी सरकार को एकजुट होकर काम करना होगा. चीन के साथ भारत की कारोबारी प्रतिद्वंद्विता के साथ राजनीतिक विवाद भी चल रहे हैं. ऐसे में अमेरिका की चीन को रोकने की किसी भी कोशिश का भारत को फायदा मिल सकता है.
ऑस्टिन ने अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में सकारात्मक योगदान को लेकर पाकिस्तान की भूमिका को चिन्हित किया लेकिन यह भी कहा कि भारत विरोधी आतंकवादी गुटों लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ अधूरे कदम उठाए हैं. ऑस्टिन ने कहा कि वे अपने कार्यकाल में पाकिस्तान पर दबाव डालेंगे कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकवादियों की शरणस्थली के रूप में न होने दे.
अमेरिकी में किसी की सरकार बने, भारत प्रमुखता में
सरकारें बदलने पर संबंधों में उतार-चढ़ाव की आशंका बनी रहती है. हालांकि पिछले कुछ दशकों की बात करें तो अमेरिका और भारत के बीच संबंधों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता है कि वहां किस पार्टी की सरकार बनी है. जो बाइडेन डेमोक्रेटिक पार्टी के हैं. उनसे पहले रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप ने अपना एक कार्यकाल पूरा किया.
ट्रंप से पहले डेमोक्रेटिक पार्टी के बराक ओबामा ने दो कार्यकाल पूरा किया. ओबामा के पहले रिपब्लिकन पार्टी के जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बुश से पहले डेमोक्रेटिक पार्टी के बिल क्लिंटन ने दो-दो कार्यकाल पूरे किए. इन सभी के कार्यकाल में भारत से अमेरिका के संबंध लगभग बेहतर रहे हैं.
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