Debt Burden: कोरोना वायरस महामारी के चलते देश की अर्थव्यवस्था में जून तिमाही में बड़ी गिरावट रही है. बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिका के बाद भारत का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है. इसके बाद भारत के लिए एक और निगेटिव खबर आ रही है. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज का कहना है कि साल 2021 तक भारत उभरते बाजारों में सबसे अधिक कर्ज बोझ वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा. रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि कोरोनावायरस महामारी के कारण आर्थिक वृद्धि और राजकोषीय गणित का बड़े उभरते बाजारों की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव होगा और अगले कुछ सालों तक उनका कर्ज बोझ काफी ऊंचा होगा.
प्राथमिक घाटा बढ़ना है वजह
मूडीज का यह अनुमान है कि उभरते बाजार की अर्थव्यवस्थाओं में प्राथमिक झघाटा बढ़ने की वजह से भारत का कर्ज बोझ 2019 के मुकाबले 2021 तक 10 फीसदी तक बढ़ सकता है. इनमें से कुछ पर ऊंचे ब्याज भुगतान का भी बोझ होगा, जिससे उनका कर्ज बोझ और बढ़ेगा. मूडीज ने कहा कि 2021 तक बड़े उभरते बाजारों वाली अर्थव्यवस्थाओं में ब्राजील, भारत और दक्षिण अफ्रीका का कर्ज बोझ सबसे ज्यादा हो सकता है.
अमेरिका स्थित रेटिंग एजेंसी ने कहा कि मिडियम टर्म ग्रोथ और राजकोषीय चुनौतियां रिस्क को कम करती हैं, क्योंकि इनमें से कुछ देशों को इमेडिएट शॉक से परे आर्थिक जोखिम और संभावित राजस्व की कमी का सामना करना पड़ता है.
भारत में ज्यादा जोखिम
ग्लोबल एजेंसी मूडीज के अनुसार कमजोर वित्तीय प्रणाली और आकस्मिक देनदारियों के चलते भारत, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की के लिये यह जोखिम ज्यादा है. मूडीज के अनुसार भारत के फाइनेंशियल सिस्टम में दवाब बढ़ने से जोखिम और बढ़ सकता है. बढ़ते एनपीए की समस्या से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के बावजूद बैंक कमजोर एसेट क्वालिटी की समस्या से जूझ रहे हैं. खासकर सरकारी बैंकों की हालत खराब है जिनकी बैंकिंग सिस्टम एसेट्स में करीब 70 फीसदी हिस्सेदारी है.