
हांगकांग सरकार ने अपनी मंदी से जूझ रही अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 70 लाख स्थानीय निवासियों को नकद सहायता देने का एलान किया है. हांगकांग की अर्थव्यवस्था पहले से मंदी से जूझ रही है और अब कोरोना वायरस की वजह से उसका संकट और बढ़ा है. हांगकांग सरकार ने बुधवार को हर स्थायी नागरिक को 10,000 हांगकांग डॉलर (लगभग 92,230 रुपये) की मदद देने की घोषणा की.
अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने के लिए मदद
हांगकांग के वित्त मंत्री पॉल चान ने सालाना बजट में लोगों को नकद सहायता देने की घोषणा की. वित्त मंत्री ने कहा कि हांगकांग को अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से उबारने के लिए 120 अरब हांगकांग डॉलर का प्रावधान किया गया है. इस नकद सहायता से हांगकांग पर 71 अरब हांगकांग डॉलर का बोझ पड़ेगा. हालांकि, सरकार को उम्मीद है कि उपभोक्ता इसमें से ज्यादातर पैसा दोबारा स्थानीय कारोबार में लगाएंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को उबारने में मदद मिलेगी.
हांगकांग की अर्थव्यवस्था को अमेरिका-चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर, पिछले साल कई महीने तक लगातार चले प्रदर्शनों और अब कोरोनावायरस से तीन बड़े झटके लगे हैं. बजट में उठाए गए दूसरे कदमों में मुनाफा और सैलरी टैक्स में राहत राहत शामिल है. जिन कारोबारों में स्टाफ को वेतन देने में परेशानी हो रही है, उनके लिए कम ब्याज दर की व्यवस्था की गई है. पर्यटन, रेस्टोरेंट और रिटेल सेक्टर को खासतौर से बड़ा झटका लगा है, जहां दिवालियापन बढ़ रहा है और इसके साथ ही आमतौर पर कम रहने वाली बेरोजगारी में भी इजाफा हुआ है.
ग्रोथ में और गिरावट आने की संभावना
चान ने कहा कि हांग कांग की अर्थव्यवस्था इस साल कई बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है और ग्रोथ में गिरावट आ सकती है. अर्थव्यवस्था में मंदी शहर के अनिर्वाचित नेता कैरी लाम के लिए बड़ी चुनौती है जिन्हें लोकतंत्र का समर्थन करते प्रदर्शनों की वजह से बड़ा विरोध झेलना पड़ रहा है. पिछले साल बड़ी रैलियां और पुलिस के साथ टकराव आम हो गया था. यह खत्म हो रहा था और अब वायरस का प्रकोप फैल गया. लेकिन वायरस से लोगों का बड़ी संख्या में जमा होना बहुत कम हो गया है. को
लेकिन लोगों के बीच आक्रोश अभी भी बना हुआ है और क्षेत्रीय नेतृत्व और बीजिंग दोनों उनके मुद्दों का समाधान करने में असफल रहे हैं. पड़ोस में स्थित मकाऊ अपने सालाना बजट में अक्सर निवासियों के लिए कैश दोने का एलान करता है. इस मामले में हांगकांग हमेशा पीछे रहता है. आखिरी बार इस तरह लोगों को नकद मदद 2011 में दी गई थी, जो ग्लोबल मंदी से शहर की अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने के बाद था.
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