
कोरोना महामारी (COVID-19 Pandemic) के चलते न सिर्फ लोगों का आवागमन बल्कि दुनिया भर में कारोबार प्रभावित हो रहा है. एक हालिया शोध में सामने आया है कि कारोबार को लेकर भी आवागमन प्रभावित हुआ है. एक इंटरनेशनल प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी Knight Frank ने इसे लेकर एक सर्वे किया और पाया कि भारत के करीब 80 फीसदी अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (UHNWI) इस साल 2021 में कारोबार और पर्यटन के लिए विदेशी यात्रा में कटौती कर सकते हैं. UHNWI में ऐसे अमीरों को रखा जाता है, जिनकी संपत्ति 3 करोड़ डॉलर से अधिक की है. अगर एशिया प्रशांत (APAC) की बात करें तो इस क्षेत्र के करीब 89 फीसदी UHNWI वैश्विक अनिश्चितता के चलते विदेशों की कारोबारी यात्रा में कटौती करेंगे और महज पर्यटन के लिए 91 फीसदी अमीरों ने विदेशी यात्रा में कटौती की बात कही है.
4% भारतीय अमीरों ने कम किया निजी जेट का इस्तेमाल
जापान, ताइवान, आयरलैंड और जांबिया समेत अन्य देशों के 100 फीसदी रिस्पोंडेंट्स ने कहा कि वे बिजनेस संबंधी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में कटौती करेंगे. इसके अलावा चीन, ताइवान, आयरलैंड, स्विटजरलैंड और जांबिया के रिस्पांडेंट्स ने कहा कि वे आराम को लेकर की जाने वाली विदेशी यात्राओं में कटौती करेंगे. पिछले साल 2020 में 4 फीसदी भारतीय अमीरों ने बताया कि उन्होंने निजी विमानों का इस्तेमाल कम कर दिया है और इसके जरिए वे वैश्विक स्तर पर कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद कर रहे हैं.
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2021 में प्राइवेट एविएशन का इस्तेमाल
सर्वे में शामिल 43 फीसदी UHNWI ने कहा कि वे इस साल 2021 में यात्रा के लिए निजी विमान का प्रयोग करना पसंद करेंगे जबकि 27 फीसदी ने कहा कि वे निजी विमान का इस्तेमाल कम करने की कोशिश करेंगे. सर्वे में शामिल 30 फीसदी अमीरों ने कहा कि वे अपनी यात्रा के लिए निजी विमान का इस्तेमाल पहले की तरह करते रहेंगे. सर्वे के मुताबिक यूनाइटेड अरब अमीरात के 75 फीसदी, रूस के 71 फीसदी, नाइजीरिया के 69 फीसदी, स्पेन के 60 फीसदी, कनाडा के 60 फीसदी और दक्षिण अफ्रीका के 60 फीसदी अमीरों ने कहा कि वे यात्रा के लिए निजी विमान का इस्तेमाल अधिक करना पसंद करेंगे.
कोरोना के चलते कई देशों ने बदले हैं अपने ट्रैवल रूल्स
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और एमडी शिशिर बैजल के मुताबिक कोरोना महामारी ने वैश्विक यात्राओं को प्रभावित किया है और इसे लेकर वैश्विक नियमों को संशोधित किया गया है. जल्द ही कई देशों में जाने के लिए कोविड-19 वैक्सीनेशन के सर्टिफिकेट के रूप में इम्यूनिटी का प्रमाण दिखाना होगा.
इसके अलावा कई देशों ने वैक्सीन पासपोर्ट की अवधारणा भी अस्तित्व में आ गई है जिनकी इकोनॉमी मूलतः पर्यटन पर आधारित है. ऐसे में यात्रियों को या तो वैक्सीनेशन का प्रमाण देना होगा या उन्हें कोरोना निगेटिव टेस्ट की रिपोर्ट दिखानी होगी. बैजल के मुताबिक इस साल 2021 में Leisure Travel में कॉरपोरेट ट्रैवल की तुलना में अधिक बढ़ोतरी होगी क्योंकि वर्क फ्रॉम होम पॉलिसीज और डिजिटल कम्युनिकेशन इस साल भी जारी रहने की उम्मीद है.
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