उत्तर प्रदेश के फल और सब्जियों के किसानों को अब अपनी पैदावार बेचने के लिए मंडी शुल्क का भुगतान नहीं करना होगा. कारोबार करने को आसान बनाने और किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 46 खराब हो जाने वाले फल और सब्जियों के लिए मंडी शुल्क को माफ करने का एलान किया है. हालांकि, किसानों को राज्य सरकार द्वारा तय किए गए यूजर चार्ज का भुगतान करना होगा, अगर वे मंडी में इन चीजों को बेचते हैं.
सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखने में मदद मिलेगी
यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि मंडी कानूनों में संशोधन फलों और सब्जियों की बिक्री को विकेन्द्रित करने और सोशल डिस्टैंसिंग को बनाए रखने के लिए किया गया है. सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि किसान प्रतिस्पर्धा के साथ कीमत पर अपनी पैदावार को बेच सकते हैं क्योंकि इस कदम से व्यापारी किसानों के खेत या दरवाजे से सीधे खरीदारी कर सकेंगे. इससे पहले किसानों को अपने उत्पाद को बेचने के लिए मंडियों में जाना होता था.
किसानों को मंडी व्यवस्था से स्वतंत्र करने के इस कदम की सराहना की जा रही है. किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन को बताया कि यूपी सरकार के मंडी शुल्क को हटाने और किसानों को अपने खेत से पैदावार बेचने की मंजूरी देने का फैसला स्वागत योग्य कदम है.
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किसानों को होंगे कई फायदे
उन्होंने कहा कि इस नए कदम से परिवहन का खर्च किसानों को बचेगा, सोशल डिस्टैंसिंग का पालन होगा और उन्हें अपनी पैदावार के लिए बेहतर दाम के साथ बेकार होने का जोखिम भी कम होगा. हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि व्यापारी किसानों के साथ कोई धोखेबाजी न करें और कृषि उत्पाद की डिलीवरी ले जाने के समय पूरा भुगतान करें.
किसानों के एक बार अपने कृषि पैदावार को मंडी ले जाने पर, अगर उन्हें सही दाम नहीं भी मिलता है, तो उस स्थिति में भी वे घाटे के साथ बेचते हैं क्योंकि उसे वापस ले जाने में अतिरिक्त खर्च होता है. इस स्थिति में स्टोरेज का जोखिम और बेकार चले जाना एक मुख्य भूमिका निभाते हैं जिसके कारण किसान समझौता कर लेते हैं. कानून में बदलावों के साथ किसान अब एक बार डील हो जाने के बाद फसल की कटाई कर सकते हैं.