
भारत में गेहूं उत्पादन 2020 में लगातार दूसरे साल रिकॉर्ड स्तर पर हो सकता है. इसकी वजह पिछले 25 साल में मानसून सीजन में सबसे अच्छी बारिश होना है. इससे सरकार को किसानों से गेहूं की खरीद बढ़ाने में मदद मिलेगी. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वीट और बेरली रिसर्च के डायरेक्टर के मुताबिक ज्यादा बारिश होने से उत्पादन बढ़ेगा और पिछले साल का रिकॉर्ड टूट जाएगा.
2019 में देश में 102.19 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ. जून से सितंबर के बीच देश में औसत से 10 फीसदी ज्यादा बारिश हुई और यह अक्टूबर ओर नवंबर तक जारी रही. जिससे फसल बोने के लिये मिट्टी की नमी का स्तर बढ़ गया है. भारत में हर साल सिर्फ गेहूं की कटाई मार्च में शुरू होती है. बारिश ने भारत के बड़े जलाशयों में पानी का स्तर भी क्षमता के 86 फीसदी तक पहुंचा दिया जो एक साल पहले 61 फीसदी 10 सालों में औसत 64 फीसदी रहा.
MSP में बढ़ोतरी के बाद गेहूं की खेती बढ़ी
जानकारों के मुताबिक अब किसान अपनी खेती का क्षेत्र बढ़ाने के बारे में सोच रहे हैं क्योंकि अब सरकार की खरीदारी की वजह से कीमत पहले के मुकाबले ज्यादा स्थिर है. 2020 के लिये सरकार ने अपने गेहूं खरीदने के लिये अपनी कीमत को 4.6 फीसदी बढ़ाकर 19,250 रुपये प्रति टन कर दिया है. MSP में बढ़ोतरी के बाद गेहूं की खेती किसानों के लिये ज्यादा आकर्षक हो गई है.
कारोबारियों का कहना है कि अगले साल भारत से गेहूं का निर्यात करना मुश्किल रहेगा. इसकी वजह पहले के मुकाबले ज्यादा दाम होगी. मुंबई के एक डीलर के मुताबिक MSP में बढ़ोतरी से निर्यात की कीमत 300 डॉलर प्रति टन से ज्यादा होगी जबकि दूसरे देशों में इसकी कीमत 250 डॉलर प्रति टन से कम रहेगी.
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गेहूं का निर्यात कम रहेगा
उनके मुताबिक भारत 100 मिलियन से ज्यादा गेहूं का उत्पादन आसानी से कर सकता है लेकिन वह 1 मिलियन टन का भी निर्यात नहीं कर सकता जब तक कि सरकार निर्यात के लिये सब्सिडी नहीं देती. भारत ने 31 मार्च को खत्म हुए वित्तीय वर्ष 2018-19 में 226,225 टन गेहूं का निर्यात किया. यह 2012-13 में अपने रिकॉर्ड 6.5 मिलियन टन पर था.
जानकारों के मुताबिक, ज्यादा उत्पादन और कम निर्यात सरकार को किसानों से गेहूं की खरीदारी बढ़ाने में मदद करेगा. सरकार कीमतों को MSP या उससे ज्यादा पर बरकारार रखेगी. 1 नवंबर को सरकार का गेहूं का स्टॉक रिकॉर्ड 37.4 मिलियन टन था जो पिछले साल से 13 फीसदी ज्यादा है.
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