Central Government clears Equity Conversion in Vodafone Idea : टेलीकॉम सेक्टर की तीसरी बड़ी प्राइवेट कंपनी वोडाफोन आइडिया यानी वीआई (Vodafone Idea-Vi) में सबसे बड़ी हिस्सेदार केंद्र सरकार बन जाएगी. इस सिलसिले में सरकार और वोडाफोन आइडिया के बीच लंबे समय से बात चल रही थी. जिस पर शुक्रवार को सरकार ने मंजूरी दे दी है. सरकार ने भारी कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया के बकाये राशि को इक्विटी शेयर्स में बदलने का आदेश दिया है. केंद्र सरकार ने स्पेक्ट्रम नीलामी की किस्तों को समय पर न जमा करने संबंधित ब्याज और AGR बकाये को भी इक्विटी शेयरों में बदलने का निर्देश दिया है.
कंपनी इस हिसाब से जारी करेगी 16.13 बिलियन शेयर
रॉयटर्स के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) ने बताया कि इक्विटी शेयरों में बदलने वाली कुल एमाउंट करीब 161.33 बिलियन रुपये यानी 16133 करोड़ रुपये (1.96 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की है. सरकार ने VIL को 10 रुपये फेस वैल्यू के हिसाब से लगभग 16.13 बिलियन शेयर जारी करने का निर्देश दिया है. इनका इश्यू प्राइस भी 10 रुपये है. रॉयटर्स के मुताबिक पिछले साल अक्टूबर के महीने में ही वोडाफोन आइडिया के हजारों करोड़ रुपये के एजीआर देनदारी (AGR Dues) के बोझ को इक्विटी शेयर में बदलने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने सरकार के प्रस्ताव को अप्रूवल दे दी थी.
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देश के मौजूदा सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी (Mukesh Amabani) की कंपनी रिलायंस जियो के टेलीकॉ़म सेक्टर में कदम रखने से इस सेक्टर के लिए पहले काम कर रही कंपनियों की चुनौतियां बढ़ीं. जियो ने देश में अपना विस्तार तेजी से किया और टेलीकॉ़म सेक्टर में अपने प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर दी. जिसकी बदौलत कई कंपनियां भारी घाटे के कारण मार्केट से बाहर हो गईं. टेलीकॉम कंपनियों के भारी कर्ज, AGR देनदारी और ब्याज बकाये के कारण काफी मुश्किले भी बढ़ गईं. केंद्र सरकार ने कर्ज में डूबी प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों (Private Telecom Companies) को राहत देने के लिए 2021 में एक खास तरह के टेलीकॉम रिफार्म पैकेज की मंजूरी दी. जिससे टेलीकॉम कंपनियों की AGR देनदारी और संबंधित ब्याज बकाये को इक्विटी शेयर में तब्दील करने की अनुमति मिली. इसी के तहत 16133 करोड़ रुपये बकाये राशि को इक्विटी शेयर्स में बदलने का हालिया मंजूरी सरकार ने दी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में टेलीकॉम कंपनियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए AGR देनदारी, कर्ज और संबंधित ब्याज रकम बकाये को चुकाने के लिए 10 साल यानी 2031 तक का समय भी दिया था.