
Union Budget 2021: देश में लगातार बढ़ रहे प्रत्यक्ष कर विवादों को सुलझाने के लिए पिछले बजट में सरकार ने ‘विवाद से विश्वास’ (Vivad se Vishwas) स्कीम की घोषणा की थी. इस समाधान योजना का मकसद देश में लंबित कर विवादों का समाधान करना है. इस स्कीम के तहत करदाताओं को केवल विवादित टैक्स राशि का भुगतान करना होगा. उन्हें ब्याज और जुर्माने पर पूरी छूट मिलेगी. एक आंकड़े के मुताबिक, तमाम अदालतों में प्रत्यक्ष कर से जुड़े 9.32 लाख करोड़ रुपये के करीब 4.83 लाख मामले लंबित हैं. करदाता इस योजना का लाभ उठाकर तुंरत विवादों का समाधान कर सकते हैं. उन्हें जुर्माना, ब्याज और मुकदमेबाजी से राहत मिलेगी.
फिलहाल कोविड19 महामारी को देखते हुए विवाद से विश्वास स्कीम के तहत भुगतान की समय सीमा को बढ़ाकर 31 मार्च 2021 कर दिया गया है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) की ताजा अधिसूचना के अनुसार विवाद से विश्वास योजना के तहत घोषणा 31 दिसंबर 2020 तक करने की जरूरत होगी. हालांकि, उस घोषणा के संदर्भ में भुगतान अब 31 मार्च, 2021 तक किया जा सकेगा. इसके लिये कोई अतिरिक्त राशि देने की जरूरत नहीं होगी.
बजट 2020 में घोषित होने के बाद विवाद से विश्वास योजना 17 मार्च 2020 को प्रभाव में आई थी. योजना के तहत घोषणा करने और भुगतान की समय सीमा शुरुआत में 31 मार्च 2020 से बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दी गयी थी. बाद में इसे बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 कर दिया गया और अब एक बार फिर भुगतान की डेडलाइन को बढ़ाकर 31 मार्च 2021 किया गया है.
अब तक 72,480 करोड़ का कर जुटाया
विवाद से विश्वास योजना कितनी सफल रही, यह एक साल के अंदर कह पाना थोड़ा मुश्किल है. इसकी एक प्रमुख वजह यह है कि स्कीम के लागू होने के बाद कोविड महामारी ने दस्तक दे दी. महामारी की वजह से कई गतिविधियां लंबिंत और रद्द हुईं. ऐसे में विवाद से विश्वास स्कीम पर भी कोरोना का असर हुआ होगा, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
हालांकि हाल ही में सामने आई जानकारी के मुताबिक, सरकार ने ‘विवाद से विश्वास’ के जरिए अब तक 72,480 करोड़ रुपये का कर जुटाया है. 17 नवंबर तक इस योजना के तहत 31,734 करोड़ रुपये की विवादित कर मांग से संबंधित कुल 45,855 घोषणाएं की गईं. योजना के तहत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम भी कुल एक लाख करोड़ रुपये के विवादों का निपटान कर रहे हैं. योजना के तहत विवादित कर मांग पर केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों और करदाताओं ने 72,480 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया है.
किन मामलों का समाधान
इस योजना में बकाया टैक्स, टैक्स पर बकाया ब्याज, दंड, शुल्क, TDS और TCS से जुड़े मामले, नोटबंदी के समय के मामले, कमिश्नर, इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे टैक्स के मामले ऐसे सभी प्रकार के विवादों के समाधान के लिए आवेदन किया जा सकता है. 31 जनवरी 2020 तक जो मामले कमिश्नर (अपील), इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित थे, उन टैक्स के मामलों पर यह स्कीम लागू होगी. लंबित अपील टैक्स विवाद, पेनाल्टी या ब्याज से जुड़ी हो सकती है. असेसमेंट या रिअसेसमेंट से भी इसका नाता हो सकता है. वे आदेश भी इसमें आ सकते हैं, जिनमें अपील करने की अवधि गत 31 जनवरी से पहले खत्म नहीं हुई थी. कहने का अर्थ है कि विवाद निपटान समिति (डीआरपी) के समक्ष लंबित वैसे सभी मामले जिसमें डीआरपी ने 31 जनवरी 2020 के पहले दिशानिर्देश जारी कर दिया था, लेकिन कोई आदेश जारी नहीं किया गया था. इसके तहत, ऐसे छापे के मामले जिसमें करदाता ने पुनरीक्षण दायर कर रखा है और जहां विवादित कर देनदारी 5 करोड़ रुपये से अधिक की नहीं है, उन सभी मामलों को इस योजना के तहत निपटाया जाएगा.
कुछ अन्य फैक्ट्स
- ‘विवाद से विश्वास’ योजना के दायरे में उन मामलों का भी समाधान किया जा सकता है जो इस समय पंच-निर्णय के लिए विदेशी मंचों पर लंबित हैं.
- विवाद वाले ऐसे मामले भी इस योजना के पात्र हैं, जहां भुगतान तो पहले किया जा किया जा चुका है, पर करदाता या कर विभाग ने मामले में अपील या रिट याचिका दायर कर रखी है.
- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के मुताबिक, योजना का लाभ उस मामले में नहीं लिया जा सकता है, जहां आयकर निपटान आयोग (आईटीएससी) के समक्ष कार्यवाही लंबित है या फिर आईटीएससी के आदेश के खिलाफ रिट याचिका दायर की गयी है.
- जिन मामलों में द्विपक्षीय समझौता प्रक्रिया (एमएपी) समाधान लंबित है या करदाता ने एमएपी निर्णय को स्वीकार नहीं किया है, संबंधित अपील विवाद से विश्वास के अंतर्गत पात्र होंगी. ऐसे मामलों में ब्योरा देने वाले को एमपीपी आवेदन और अपील दोनों वापस लेने होंगे.
- करदाता उन मामलों में घोषणा करने के लिये पात्र होंगे जहां एडवांस रूलिंग प्राधिकरण (एएआर) ने करदाताओं के पक्ष में फैसला सुनाया है और विभाग ने उच्च न्यायालय/उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की है और करदाता की कुल आय का निर्धारण एएआर के समक्ष हो गया है.
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ये राहत भी मिली
विवाद से विश्वास योजना के तहत घोषणा करने वाले तब तक इसमे संशोधन कर सकते हैं, जब तक संबंधित प्राधिकरण कर बकाया और भुगतान योग्य राशि के बारे में सर्टिफिकेट जारी नहीं कर देते. संशोधन के प्रावधान से करदाता वैसे मामले में आवेदन को संशोधित कर सकेंगे जहां कुछ खामियां हैं या तथ्यात्मक स्पष्टीकरण के कारण मामले पर फिर से विचार किया गया है.
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