
Budget 2021: 1 फरवरी 2021 को देश का आम बजट पेश होने वाला है. हर बजट में देश के विभिन्न सेक्टर्स के लिए कई घोषणाएं होती हैं, जिनके लिए एक तय धनराशि खर्च किए जाने का एलान किया जाता है. इसके अलावा विभिन्न मंत्रालयों व विभागों के लिए भी बजट आवंटन होता है, जो वे पूरे वित्त वर्ष के दौरान विभिन्न खर्चों/योजनाओं में इस्तेमाल करते हैं.
बजट में विभिन्न स्कीम्स व मंत्रालयों के लिए होने वाले आवंटन को सुनकर अक्सर यह सवाल मन में आता है कि सरकार के पास इतना पैसा कहां से आता है. इस बार तो यह सवाल और भी जायज है क्योंकि इस बार भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड19 से लगे झटके का सामना कर रही है और महामारी के प्रभाव से राहत देने के लिए सरकार पहले ही कई घोषणाएं कर चुकी है. ऐसे में सरकार बजट खर्च कहां से जुटाने वाली है?
ऐसे आते हैं सरकार के पास पैसे
- उधार और अन्य देयताएं (Borrowings & Other Liabilities)
- कर्ज से इतर कैपिटल इनकम (Non-debt Capital receipts)
- गैर टैक्स स्रोतों से राजस्व (Non-Tax Revenue)
- कॉरपोरेट टैक्स
- इनकम टैक्स
- केंद्रीय उत्पाद-शुल्क
- सीमा शुल्क
- वस्तु एवं सेवा कर (GST)
वित्त वर्ष 2021-22 के बजट के लिए पैसा जुटाने के प्रमुख स्त्रोत टैक्स कलेक्शन, बॉरोइंग्स और सार्वजनिक क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों का विनिवेश साबित हो सकते हैं. इसके अलावा सरकार डॉमेस्टिक प्रॉडक्शन को बढ़ावा देने के लिए कुछ चीजों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर भी पैसा जुटा सकती है.
आमतौर पर कहां करती है खर्च
- करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा
- केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाएं
- केन्द्रीय प्रायोजित योजनाएं
- ब्याज अदायगी
- आर्थिक सहायता
- वित्त आयोग और अन्य अंतरण
- रक्षा
- पेंशन
- अन्य व्यय
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह चुकी हैं कि सरकार महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को काबू और ग्रोथ को बढ़ावा देना चाहती है. लिहाजा बजट भी इसी दिशा में केन्द्रित होगा. इस समय जिस तरह के हालात हैं, उसमें सरकार की ओर से खर्च बढ़ाए जाने की जरूरत है और राजकोषीय घाटे को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है. वह यह भी कह चुकी हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पब्लिक खर्च पर जोर जारी रहेगा. स्वास्थ्य, मेडिकल रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) और टेलिमेडिसिन के लिए बेहतर स्किल को विकसित करना महत्वपूर्ण रहेगा. वहीं, इसके साथ ही रोजगार की चुनौतियों को नई दृष्टि से देखना होगा, जिसके साथ वोकेशनल ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट पर नया नजरिया जरूरी होगा.
ग्रोथ के रिवाइवल के लिए उन क्षेत्रों को सपोर्ट देना होगा, जिनमें कोविड-19 महामारी की वजह से बुरी तरह रुकावट आई है. इसके साथ वे क्षेत्र जो अब नई मांग के केंद्र और ग्रोथ के नए इंजन होने जा रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि सरकार कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने पर भी ध्यान देगी. कोविड19 वैक्सिनेशन पर व्यय और हेल्थ सेक्टर इंफ्रास्ट्रक्चर में मजबूती समेत हेल्थ सेक्टर के लिए अधिक आवंटन हो सकता है.
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