Uber panic button : Only on paper : भारत में उबर की कैब में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पैनिक बटन की सुविधा सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. ज्यादातर उबर कैब में या तो यह बटन मौजूद नहीं है या फिर वो काम नहीं करता – ये चौंकाने वाला खुलासा द इंडियन एक्सप्रेस की एक पड़ताल में सामने आया है. रिपोर्ट के मुताबिक अखबार के संवाददाताओं ने इस सुविधा की जांच के लिए उबर की दर्जनों टैक्सियों में सफर किया, लेकिन से अधिकांश में या तो यह बटन था ही नहीं या फिर ठीक से काम नहीं कर रहा था.
दरअसल, कैब में पैनिक बटन लगाने का निर्देश भी उबर की एक कैब में बलात्कार की वारदात होने के बाद ही दिया गया था. भारत में साल 2013 में कंपनी की सर्विस शुरू होने के कुछ ही महीनों बाद, दिसंबर 2014 में उबर के एक ड्राइवर पर महिला यात्री से रेप का आरोप लगा. इस सनसनीखेज वारदात के बाद दिल्ली सरकार ने काफी दिनों के तक उबर पर पाबंदी भी लगा दी थी. उसी दौरान भविष्य में ऐसी वारदात की रोकथाम के लिए टैक्सियों में खास सेफ्टी फीचर के तौर पर पैनिक बटन मुहैया कराने का निर्देश दिया गया था. यह “पैनिक बटन” उबर कैब समेत हर तरह के पब्लिक ट्रांसपोर्ट में लगाया जाना था. इसके लिए बाकायदा नोटिफिकेशन जारी किया गया था. लेकिन द इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल से पता चला है कि उबर ने अब तक इस फैसले पर सही ढंग से अमल नहीं किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी पड़ताल के दौरान उबर की 50 राइड्स बुक कीं, लेकिन उनमें से 48 में या तो पैनिक बटन मिला ही नहीं या वह काम नहीं कर रहा था. फिलहाल उबर के लगभग 6 लाख ड्राइवर 100 से अधिक शहरों में काम कर रहे हैं. ऐसे में महिला सुरक्षा के प्रति यह लापरवाही वाकई हैरान करने वाली है.
रेप की घटना के बाद उबर ने डैमेज कंट्रोल जरूर शुरू कर दिया. उस समय उबर के कंम्यूनिकेशंस यूनिट के प्रमुख रहे नायरी हॉरडाजियान ने घटना के 6 दिन बाद 11 दिसंबर, 2014 को अपने कर्मचारियों को लिखे ईमेल में कहा- याद रखें कि सब कुछ हमारे कंट्रोल में नहीं है. कभी-कभी ऐसी ऐसी समस्याएं आ जाती हैं, जिसके चलते हमें कानून तोड़ना पड़ सकता है.
उबर के तत्कालीन एशिया हेड एलन पेन ने अगस्त 2014 में भारत में अपनी स्ट्रैटेजी को लेकर भारतीय टीम को एक ईमेल किया था. इसमें उन्होंने लिखा था, “हमने भारत में सफलतापूर्वक एक साल पूरा कर लिया है. यहां लगभग सभी शहरों में हमें स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर की कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ेगा. आप सब इनकी आदत डाल लें. इन सबके बीच उबर का बिजनेस आगे बढ़ता रहेगा.”
रिकॉर्ड से पता चलता है कि उबर ने अपना कारोबार बढ़ाने के लिए भारत में जीएसटी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के साथ-साथ कंज्यूमर फोरम, भारतीय रिजर्व बैंक और सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों को भी गुमराह करने की कोशिश की. दरअसल, सितंबर 2014 में उबर ने सर्विस टैक्स के मुद्दों को संभालने के लिए भारत को केस स्टडी के रूप में इस्तेमाल करते हुए अपने कर्मचारियों के लिए एक प्रेजेंटेशन तैयार किया था. इसमें बताया गया था कि भारतीय अथॉरिटीज़ को मांगी गई जानकारी देने से बचने के लिए कौन-कौन से हथकंडे अपनाने हैं.
(इनपुट : द इंडियन एक्सप्रेस)