Uber Files: आज उबर दुनिया की सबसे बड़ी टैक्सी सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी है. एक दशक में ही इसने अपना कारोबार भारत समेत 72 देशों में फैला लिया है और यह 44 अरब डॉलर की कंपनी बन गई है. आखिर उबर ने इतने कम समय में अपना कारोबार कैसे बढ़ा लिया, इस बारे में अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी पड़ताल के आधार पर कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उबर ने दुनिया भर के बाजारों में तेजी के साथ अपना कारोबार बढ़ाने के लिए कई अनैतिक साधनों का इस्तेमाल किया.
द इंडियन एक्सप्रेस ने यह पड़ताल खोजी पत्रकारों के गैर-लाभकारी नेटवर्क इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स के साथ मिलकर की है. इस पड़ताल के दौरान उबर की ढेरों इंटरनल फाइल्स, ईमेल्स, इनवॉइस और अन्य दस्तावेजों की छानबीन की गई. इसमें पता चला कि उबर ने किस तरह अपने कारोबार के विस्तार के लिए कानून तोड़े, ड्राइवरों के साथ हिंसा का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया और सरकारी रेगुलेटरी संस्थाओं और उनके अधिकारियों को गुमराह किया. ऊबर से जुड़े ये आंतरिक दस्तावेजों सबसे पहले ब्रिटिश अखबार द गार्जियन को मिले थे, जिसने उन्हें खोजी पत्रकारों के समूह के साथ साझा किया.
उबर ने कैसे बढ़ाया अपना कारोबार
रिपोर्ट के मुताबिक उबर ने श्रम और टैक्सी कानूनों में ढील पाने के लिए राजनीतिक हस्तियों की लॉबिंग की, नियामकों और कानूनी जांच को विफल करने के लिए स्टील्थ यानी सच्चाई को छिपाने वाली टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया. इतना ही नहीं, कंपनी ने बरमूडा और अन्य टैक्स हेवन्स से फंड भेजे और अपने ड्राइवरों के साथ हुई हिंसा की घटनाओं का इस्तेमाल जनता की सहानुभूति हासिल करने के लिए किया.
रिपोर्ट के मुताबिक 2009 में स्थापित उबर ने टैक्सी नियमों को दरकिनार करने और राइड-शेयरिंग ऐप के ज़रिए सस्ते ट्रांसपोर्ट की पेशकश की. उबर ने लगभग 30 देशों में खुद को स्थापित करने के लिए असाधारण रणनीति अपनाई. कंपनी के लिए लॉबिंग करने वालों में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के पूर्व सहयोगियों समेत कई वरिष्ठ राजनेता तक शामिल थे. दस्तावेजों के मुताबिक इन्होंने सरकारी अधिकारियों पर जांच को प्रभावित करने, श्रम और टैक्सी कानूनों को बदलने और ड्राइवरों की जांच के नियमों में ढील देने के लिए दबाव भी डाला.
जांच रोकने के लिए ‘स्टील्थ’ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
पड़ताल में पाया गया कि उबर ने सरकारी जांच को रोकने के लिए तथ्यों को छिपाने वाली ‘स्टील्थ’ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया. उदाहरण के लिए, कंपनी ने ‘किल स्विच’ का इस्तेमाल किया, जिसकी मदद से टैक्स अधिकारियों की रेड होने पर या किसी और रेगुलेटरी जांच के दौरान अधिकारियों को उबर सर्वर तक पहुंचने से रोका गया. इस तरह कम से कम छह देशों में छापे के दौरान अधिकारियों को सबूत हासिल करने से रोका गया. उबर फाइल्स में मिली जानकारी के मुताबिक एम्स्टर्डम में एक पुलिस छापे के दौरान उबर के पूर्व CEO ट्रैविस कलानिक ने व्यक्तिगत रूप से एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया था, ‘‘कृपया जल्द से जल्द किल स्विच को हिट करें … एएमएस (एम्स्टर्डम) में एक्सेस बंद होना चाहिए.’’
हिंसा का इस्तेमाल अपने फायदे में किया
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कलानिक ने फ्रांस में उबर ड्राइवरों के खिलाफ हुई हिंसा का इस्तेमाल सहानुभूति पाने के लिए किया. उन्होंने सहयोगियों को संदेश भेजा, ‘‘हिंसा सफलता की गारंटी है.’’ हालांकि, इसके जवाब में कलानिक के प्रवक्ता डेवोन स्पर्जन ने कहा कि पूर्व सीईओ ने ‘‘कभी यह सुझाव नहीं दिया कि उबर को ड्राइवरों की सुरक्षा की कीमत पर हिंसा का लाभ उठाना चाहिए.’’ उबर फाइल्स से मिली जानकारी के आधार पर रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उबर ने अपने मुनाफे को बरमूडा और अन्य टैक्स हेवन के जरिए भेजकर लाखों डॉलर की टैक्स की चोरी भी की.
(इनपुट – द इंडियन एक्सप्रेस, AP)