चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक पार्टियों आम लोगों से अधिक से अधिक वायदे करती हैं. इसमें से कुछ वादे मुफ्त में सुविधाएं या अन्य चीजें बांटने को लेकर होती हैं. अब इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से राय मांगा है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पीआईएल में ऐसे राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने और उनके चुनाव चिन्ह को जब्त करने की मांग की गई है जो चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं को मुफ्त में बिजली-राशन इत्यादि देने का एलान करते हैं. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से प्रतिक्रिया मंगाया है.
चार हफ्ते में दाखिल करना है जवाब
चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना और जस्टिस एएस बोपन्ना व जस्टिस हिमा कोहली की तीन सदस्यीय पीठ ने चार हफ्ते में पीआईएल पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. यह जनहित याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है. इस याचिका में सार्वजनिक पैसे के इस्तेमाल से मुफ्त में चीजें या सुविधाएं जाने पर आपत्ति जताते हुए इनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की मांग की गई है.
मुफ्त एलान पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग
मुफ्त घोषणाओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग पीआईएल में चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक पार्टियों द्वारा किए जाने वाले मुफ्त एलान पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है. याचिका के मुताबिक ऐसी घोषणाएं मतदाताओं को लुभाने के लिए की जाती हैं और इससे यह संविधान के खिलाफ है. याचिका में कहा गया है कि इसे रोकने के लिए चुनाव आयोग को सख्त कदम उठाने चाहिए. याचिकाकर्ता के मुताबिक चुनाव प्रचार के दौरान मुफ्त एलान करने वाली राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करना चाहिए और उनके चुनाव चिन्ह जब्त होने चाहिए.