RBI May Hike Repo Rate By Another 1 per cent in FY23: महंगाई दर ने अप्रैल में 8 साल का रिकॉर्ड तोड़कर ब्याज दरों और बढ़ोतरी का रास्ता खोल दिया है. ये दावा रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) की ताजा रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल में खुदरा महंगाई दर (CPI) जिस तरह 7.79 फीसदी के स्तर पर जा पहुंची है, वह कीमतों में बढ़ोतरी का दायरा और बढ़ने का नतीजा है. एजेंसी का अनुमान है कि मौजूदा हालात में रिजर्व बैंक (RBI) चालू वित्त वर्ष यानी 2022-23 के दौरान ब्याज दरों में और एक फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है. क्रिसिल का अनुमान है कि पूरे वित्त वर्ष 2022-23 के लिए देश में औसत खुदरा महंगाई दर 6.3 फीसदी रह सकती है, जो रिजर्व बैंक के अधिकतम 6 फीसदी के दायरे से ज्यादा है. इसके मुकाबले वित्त वर्ष 2021-22 में खुदरा महंगाई 5.5 फीसदी रही है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पिछले हफ्ते ही महंगाई पर काबू पाने की अपनी कोशिश के तहत रेपो रेट में अचानक 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है. एनालिस्ट्स का मानना है कि रिजर्व बैंक ने अप्रैल की महंगाई दर में तेज उछाल आने का अंदाजा लगने की वजह से ही अचानक यह कदम उठाया था. क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान देश में महंगाई ने अपना दायरा काफी बढ़ा लिया है. कोर इंफ्लेशन से लेकर खाने-पीने की चीजों और पेट्रोल-डीज़ल-गैस तक तमाम चीजों के दाम बढ़े हैं. क्रिसिल का मानना है कि इन हालात में रिजर्व बैंक मौजूदा कारोबारी साल के दौरान रेपो रेट को 0.75 फीसदी से लेकर 1 फीसदी तक और बढ़ा सकता है.
ब्याज दरें बढ़ाने से नहीं घटेगा फ्यूल और फूड इंफ्लेशन
क्रिसिल के एनालिस्ट्स ने यह भी साफ किया है कि मौजूदा हालात में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के जरिए फ्यूल या फूड इंफ्लेशन पर काबू पाना संभव नहीं होगा, लेकिन सेकेंड राउंड इफेक्ट के चलते महंगाई के फैलाव को कम करने में इससे कुछ मदद मिल सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार को अपने स्तर पर पूरी कोशिश करनी होगी. हालांकि टैक्स घटाने पर सरकार का राजकोषीय घाटा और बढ़ने का खतरा भी रहेगा.
इक्रा रेटिंग्स को भी ब्याज दरें बढ़ने का अंदेशा
इक्रा रेटिंग्स (Icra Ratings) की चीफ इकॉनमिस्ट अदिति नायर के मुताबिक रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी अगले दो पॉलिसी रिव्यू के दौरान रेपो रेट में 0.40 फीसदी और 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है. रेपो के 5.15 फीसदी पर पहुंचने के बाद उसका असर देखने के लिए इंतजार किया जा सकता है. मौजूदा हालात में ऐसा लगता है कि 2023 के मध्य तक रेपो रेट 5.5 फीसदी की ऊंचाई देख सकता है.
कोटक महिंद्रा बैंक की इकॉनमिस्ट का अनुमान
कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) की सीनियर इकॉमिस्ट उपासना भारद्वाज का मानना है कि महंगाई दर के ताजा आंकड़ों की वजह से मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी पर ब्याज दरों में जल्द से जल्द इजाफा करने का दबाव बढ़ जाएगा. खासतौर पर इसलिए क्योंकि सप्लाई से जुड़ी अड़चनों और अंतरराष्ट्रीय हालात के कारण पड़ रहे दबाव में जल्द कोई राहत मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है. उनका मानना है कि इस साल रेपो रेट में 0.90 फीसदी से 1.10 फीसदी तक की बढ़ोतरी की जा सकती है. इसमें 0.35 से 0.40 फीसदी का इजाफा तो जून की पॉलिसी में ही किया जा सकता है. इसके साथ ही CRR में भी 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी किए जाने के आसार दिख रहे हैं.
नए वित्त वर्ष की डरावनी शुरुआत
एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च (Acuite Ratings and Research) ने भी कहा है कि नए वित्त वर्ष की शुरुआत महंगाई दर में इस उछाल से होना एक खतरनाक और डरावनी बात है. इस एजेंसी ने भी वित्त वर्ष के बाकी बचे महीनों के दौरान ब्याज दरों में और एक फीसदी का इजाफा होने की आशंका जाहिर की है. इससे पहले इंडिया रेटिंग्स ने भी अनुमान जाहिर किया था कि रिजर्व बैंक इस वित्त वर्ष के दौरान रेपो रेट में और 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है. साथ ही उसने कैश रिजर्व रेशियो में 0.50 का इजाफा किए जाने का अनुमान भी लगाया था. इंडिया रेटिंग्स के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश में औसत खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी के आसपास रह सकती है, जिसका सबसे ऊंचा स्तर सितंबर 2022 में सामने आ सकता है.
(इनपुट : पीटीआई)