Monetisation of National Infrastructure Assets: केंद्र की मोदी सरकार देश में बुनियादी ढांचे से जुड़ी सरकारी संपत्तियों को बेचकर या उनमें विनिवेश करके करीब 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए देश के राष्ट्रीय राजमार्गों से लेकर पावर ग्रिड कॉरपोरेशन और गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया जैसी सरकारी कंपनियों की संपत्तियों का मॉनेटाइजेशन किया जाएगा. यह जानकारी बुधवार को केंद्र सरकार के एक बड़े अधिकारी ने दी.
भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेंजमेंट (DIPAM) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी सरकारी संपत्तियों को बेचने या उनमें विनिवेश करके 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की इस योजना के लिए व्यापक तैयारी की जा रही है.
कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के सालाना कार्यक्रम में पांडेय ने कहा कि पावर ग्रिड कॉरपोरेशन की संपत्तियों के मॉनेटाइजेशन के लिए InvIT (Infrastructure Investment Trusts) की स्थापना का काम सफलतापूर्वक किया जा चुका है. हालांकि इसे और बेहतर बनाने के लिए अभी कुछ और काम भी करने हैं. उन्होंने कहा कि इसी की तर्ज पर गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (GAIL) की पाइपलाइन्स के निजीकरण के लिए भी एक और InvIT की स्थापना की जा सकती है.
तुहिन कांत पांडेय ने CII के कार्यक्रम में यह भी बताया कि रेलवे स्टेशनों में प्राइवेट सेक्टर को हिस्सेदारी देने के लिए टेंडर पहले ही निकाले जा चुके हैं. उन्होंने दावा किया कि यह मॉडल एयरपोर्ट्स के मामले में काफी कामयाब रहा है. पांडेय ने कहा कि संपत्तियों को बेचकर भारी रकम जुटाने की योजना में प्राइवेट सेक्टर की बड़े पैमाने पर भागीदारी होने की उम्मीद है.
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) और एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया इस साल जरूर पूरी कर लेगी. उन्होंने बताया कि शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, पवन हंस और नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड जैसी सरकारी कंपनियों के लिए बोली लगाने में भी कई खरीदारों ने दिलचस्पी दिखाई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 2021-22 के बजट भाषण में एलान किया था कि देश में पहले से मौजूद सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी संपत्तियों को बेचकर या उनके विनिवेश के जरिए काफी पैसे जुटाए जाएंगे, जो नई बुनियादी सुविधाओं के निर्माण के लिए फंड जुटाने का एक बड़ा जरिया होने वाला है. इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी सराकरी संपत्तियों को बेचकर धन जुटाने की इस योजना को उन्होंने नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline) का नाम भी दिया था.
(Story Input: PTI)