
दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता देश भारत ने बुधवार को सऊदी अरब और दूसरे वैश्विक तेल उत्पादकों से कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का स्तर कम करने की अपील की है. भारत ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल महंगा होने से आर्थिक रिकवरी और मांग को नुकसान हो रहा है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि अगले कुछ महीनों तक तेल कीमतों के बजाए डिमांड में रिकवरी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. सऊदी अरब के फरवरी और मार्च में स्वेच्छा से 10 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती के एलान के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में तेजी है.
तेल की कीमत एक साल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंची
सऊदी अरब ने तेल निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और रूस समेत सहयोगी देशों (OPEC प्लस) के साथ समझौते के तहत यह कदम उठाया था. इससे तेल की कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है जो एक साल का सबसे ज्यादा स्तर है. इससे भारत में खुदरा मूल्य 100 रुपये लीटर से ऊपर निकल गया है. प्रधान ने ऊर्जा परिदृश्य पर 11वें IEA IEF ओपेक संगोष्ठी में कहा कि पिछले कुछ हफ्तों के दौरान कच्चे तेल के दाम में तेजी से पहले से मांग में गिरावट के कारण नाजुक वैश्विक अर्थव्यवस्था की रिकवरी पर असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि भारत ने मुद्रास्फीति दबाव को कई मोर्चों पर काबू में किया है लेकिन कच्चे तेल की वजह से उत्पन्न महंगाई पर वह कुछ नहीं कर सकता.
उन्होंने कहा कि कीमत को लेकर संवेदनशील भारतीय ग्राहक पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने से प्रभावित हैं. इससे मांग वृद्धि पर भी असर पड़ रहा है. इससे न केवल भारत में, बल्कि दूसरे विकासशील देशों में नाजुक आर्थिक वृद्धि पर गलत असर पड़ेगा. पेट्रोल की बिक्री छह महीने पहले कोविड पूर्व स्तर पर पहुंच गई थी, वह फिर से फरवरी के पहले भाग में महामारी पूर्व स्तर से नीचे आ गई है. प्रधान ने कहा कि उपभोग आधारित रिकवरी की तत्काल जरूरत है. उन्होंने उत्पादन में कटौती का जिक्र करते हुए कहा कि उत्पादक और उपभोक्ता दोनों देशों का सामूहिक हित इसे बढ़ाने में है.
उत्पादक और उपभोक्ता दोनों के हित में कौटती कम करना: प्रधान
मंत्री ने कहा कि प्रमुख उत्पादक देशों ने घोषित उत्पादन कटौती में न केवल संशोधन किया बल्कि स्वेच्छा से अतिरिक्त कटौती भी कर रहे हैं. उन्होंने कोविड महामारी के कारण मांग में कमी को देखते हुए पिछले साल अप्रैल में प्रमुख तेल उत्पादक देशों के उत्पादन में कटौती को लेकर संयुक्त फैसले का समर्थन किया था. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इसे बढ़ाया जाए क्योंकि यह उत्पादक और उपभोक्ता दोनों देशों के हित में है. प्रधान ने कहा कि इस समय संतुलित रुख अपनाने की जरूरत है. बता दें कि ईंधन के दाम में लगातार नौवें दिन बढ़ोतरी के साथ पेट्रोल की कीमत राजस्थान में 100 रुपये लीटर से ऊपर निकल गई है.
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