PAN Card: केंद्र और राज्यों के विभागों द्वारा तमाम तरह के क्लीयरेंस और अप्रूवल के लिए सरकार नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम के तहत आवेदन करने के लिए ढेर सारे डेटाबेस की जगह सिंगल एंट्री प्वाइंट की तर्ज पर परमानेंट अकाउंट नंबर यानी पैन (PAN) कार्ड के इस्तेमाल की इजाजत दे सकती है. फिलहाल सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए क्लियरेंस पाने के लिए EPFO, ESIC, GSTN, TIN, TAN और PAN समेत एक दर्जन से ज्यादा आईडी इस्तेमाल करने पड़ते हैं. हालांकि ये सभी जरूरी आईडी, क्लीयरेंस के नेचर के आधार पर सरकारी विभागों द्वारा मांगे जाते हैं.
Single Window Clearance को और आसान बनाने की हो रही तैयारी – पीयूष गोयल
नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम की समीक्षा बैठक के बाद सोमवार को पत्रकारों को जानकारी देते हुए यूनियन कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल ने कहा कि हम मौजूदा डेटाबेस में से सिंगल एंट्री प्वाइंट यानी किसी एक डेटाबेस के इस्तेमाल किए जाने की ओर बढ़ रहे हैं और ये डेटाबेस पहले से ही सरकार के पास है. उम्मीद जाहिर करते हुए उन्होंने उन डेटाबेस में से एक परमानेंस एकाउंट नंबर यानी पैन कार्ड या पैन नंबर (PAN) के इस्तेमाल किए जाने का संकेत किया. दरअसल कंपनी, उसकी पूरी बुनियादी डेटा, पता, डायरेक्टर्स समेत उससे जुड़े बहुत सारे सामान्य और जरूरी डेटा पैन नंबर के डेटाबेस में उपलब्ध होते हैं. इस दौरान केंद्रीय मत्री पीयूष गोयल ने बताया कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय पहले ही इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग से संपर्क कर चुका है.
सिंगल विंडो का ये है मकसद
उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा विकसित की जा रही नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम यानी एनएसडब्ल्यूएस (NSWS) का मकसद निवेशकों के लिए विभिन्न स्वीकृतियों के लिए आवेदन करने और इकाइयों को स्थापित करना आसान बनाने के लिए “वन-स्टॉप शॉप” बनना है. एनएसडब्ल्यूएस के जरिए सरकार प्रमुख विभागों से तमाम तरह के क्लीयरेंस की पहचान करने, प्राप्त करने और समय समय पर जायजा लेने के लिए डिजिटल सिंगल विंडो मुहैया कराना चाहती है. दरअसल सरकार चाहती है कि निवेशकों को परमिट हासिल करने के लिए एक विभाग से दूसरे विभाग का चक्कर न लगाना पड़े. साथ हीं डिजिटल सिंगल विंडो के माध्यम से कई प्लेटफार्मों पर जरूरी डेटाबेस जमा करने की परेशानी से फ्री करना चाहती है.