ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) ने भारी विरोध के चलते अपने उस आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों और उनकी सिफारिशी चिठ्ठी को लेकर आने वाले लोगों के इलाज के लिए विशेष सुविधाएं दिये जाने की बात कही गई थी. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) ने गुरूवार को हेल्थ मिनिस्टर मनसुख मांडविया को चिठ्ठी लिखकर एम्स के इस आदेश का विरोध किया था.
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फेडरेशन ने AIIMS पर उठाये सवाल
FAIMA ने अपने लेटर में एम्स प्रशासन के इस आदेश को मेडिकल प्रोफेशन के खिलाफ बताते हुए इस तुरंत वापस लेने की मांग की थी. फेडरेशन ने आरोप लगाया कि सांसदों के लिए विशेष व्यवस्थाओं से मरीजों को मिलने वाली सेवाओं पर असर पड़ सकता है. फेडरेशन ने कहा कि हम इस वीआईपी कल्चर की कड़ी आलोचना करते हैं. किसी भी मरीज को दूसरे के विशेषाधिकारों से नुकसान नहीं होना चाहिए. प्रोटोकॉल के नाम पर किसी भी मरीज की देखभाल में बाधा नहीं आनी चाहिए.
17 अक्टूबर को जारी हुआ था एसओपी
इसके बाद आज एम्स के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर देवनाथ शाह की ओर से लेटर जारी कर सांसद और उनके सिफारिशी लोगों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था से जुड़े आदेश को वापस ले लिया है. इससे पहले 17 अक्टूबर को एम्स के निदेशक एम श्रीनिवास की ओर से एसओपी जारी कर मौजूदा सांसदों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था करने के निर्देश दिये गए थे. इस एसओपी के मुताबिक राज्यसभा या लोकसभा सांसद के अस्पताल में भर्ती होने के दौरान एम्स एडमिनिस्ट्रेटिव ड्यूटी पर तैनात वरिष्ठ डॉक्टरों को लगातार कंट्रोल रूम में मौजूद रहने के निर्देश दिए गए थे.
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सिफारिशी को भी मिलती विशेष सुविधाएं
इसके साथ ही सांसदों की सिफारिशी चिठ्ठी लेकर इलाज के लिए एम्स पहुंचने वाले लोगों को को भी अस्पताल प्रशासन और प्रोटोकॉल डिवीजन द्वारा विशेष व्यवस्था किये जाने के निर्देश दिये गए थे. निर्देशों में एम्स के अधिकारियों और डॉक्टरों से संपर्क करने के लिए सांसदों को विशेष फोन और लैंडलाइन नंबर उपलब्ध कराए जाने की भी बात कही गई थी.