No proposal to replace face of Mahatma Gandhi on banknotes : भारत में करेंसी नोट्स से महात्मा गांधी का चेहरा हटाकर किसी और का चेहरा लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. यह सफाई सोमवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने दी है. आरबीआई को यह सफाई हाल के दिनों के दौरान मीडिया में ऐसी खबरें आने के बाद देनी पड़ी है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया करेंसी नोट्स में बदलाव करके महात्मा गांधी का चेहरा हटाने पर विचार कर रहा है.
कुछ खबरों में किया गया था दावा
हाल में प्रकाशित कुछ खबरों में दावा किया गया था कि रिजर्व बैंक करेंसी नोट्स पर महात्मा गांधी की जगह कुछ अन्य प्रतिष्ठित भारतीयों के चेहरों को जगह देने पर विचार कर रहा है, जिनमें गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम शामिल हैं. एक तबका सोशल मीडिया में इस तरह की खबरों को महात्मा गांधी विरोधी दुष्प्रचार के साथ शेयर भी कर रहा है. लेकिन रिजर्व बैंक की तरफ से इस सिलसिले में जारी बयान में कहा गया है, “हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि रिजर्व बैंक में इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं आया है.” रिजर्व बैंक के इस स्पष्टीकरण ने साफ कर दिया है कि इस तरह की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है.
भारतीय नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर पहली बार लगभग 50 साल पहले आई थी. इसे 100 के नोट पर राष्ट्रपिता की जन्म शताब्दी के मौके पर पहली बार देखा गया था. दरअसल, 1947 में भारत के आजाद होने के बाद महसूस किया गया कि करेंसी नोट्स पर ब्रिटिश किंग जॉर्ज की तस्वीर को महात्मा गांधी की तस्वीर से रिप्लेस किया जाए. इसके लिए फैसला लेने में तत्कालीन सरकार को थोड़ा वक्त चाहिए था. इस बीच किंग के पोट्रेट को सारनाथ स्थित लॉयन कैपिटल से रिप्लेस किया गया.
1969 में आई सेवाग्राम आश्रम वाली तस्वीर
रिजर्व बैंक ने पहली बार गांधी जी की तस्वीर वाले 100 रुपये के नोट 1969 में पेश किए. यह साल उनका जन्म शताब्दी वर्ष था और नोटों पर उनकी तस्वीर के पीछे सेवाग्राम आश्रम भी था. गांधी जी के मौजूदा पोर्ट्रेट वाले करेंसी नोट पहली बार 1987 में आए. गांधी जी के मुस्कराते चेहरे वाली इस तस्वीर के साथ सबसे पहले 500 रुपये का नोट अक्टूबर 1987 में पेश किया गया. इसके बाद गांधी जी की यह तस्वीर अन्य करेंसी नोटों पर भी इस्तेमाल होने लगी.