
देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना वैक्सीन के टीके लगाए जा रहे हैं. हालांकि अब महाराष्ट्र में यह सामने आया है कि राज्य में इसके स्टॉक बहुत कम हैं और तीन दिन में अतिरिक्त स्टॉक की जरूरत पड़ेगी. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने आज यह जानकारी दी. टोपे द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक राज्य के कई वैक्सीनेशन केंद्रों पर वैक्सीन की पर्याप्त डोजेज नहीं है और इसकी शॉर्टेज होने के चलते लोगों को वापस लौटाया जा रहा है. राज्य ने केंद्र से 20-40 वर्ष की उम्र के लोगों को प्रॉयोरिटी पर वैक्सीनेशन के लिए मंजूरी मांगी है.
महाराष्ट्र के पास इस समय करीब 14 लाख वैक्सीन डोज ही उपलब्ध हैं जो तीन दिन के भीतर खत्म हो जाएंगे. टोपे के मुताबिक राज्य में हर हफ्ते 40 लाख की अतिरिक्त डोज की मांग की है. टोपे ने कहा कि केंद्र राज्य को वैक्सीन उपलब्ध करा रही है लेकिन इसकी आपूर्ति धीमी गति से हो रही है.
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20-40 वर्ष के लोगों के वैक्सीनेशन की मांग
टोपे ने कहा कि केंद्र से 20-40 वर्ष की उम्र के लोगों को प्रॉयोरिटी के आधार पर वैक्सीनेशन की मांग की है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि राज्य में वैक्सीन वेस्टेज रेट 3 फीसदी है जो राष्ट्रीय औसत 6 फीसदी की लगभग आधी है. वेस्टेज रेट का मतलब खो चुकी या खराब हो चुकी वैक्सीन की दर है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि राज्य में रेम्डेसिविर डोज की जरूरत अधिक है क्योंकि हर दिन राज्य में इसके 50 हजार खुराक खाए जाते हैं. उन्होंने इसके हर डोज की अधिकतम कीमत को 1100-1400 रुपये किए जाने की बात कही.
कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन की आशंका
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टोपे ने आशंका जताई है कि राज्य में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन है जो कम समय में अधिक से अधिक लोगों को संक्रमित कर रहा है. उन्होंने कहा कि सैंपल्स को नेशनल सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल के पास भेजा गया है ताकि नए स्ट्रेन से संबंधित आसंका की पुष्टि की जा सके. कोरोना केसेज के बढ़ते मामलों को लेकर राज्य में कई रिस्ट्रिक्शंस लगाए गए हैं. इन रिस्ट्रिक्शंस को लेकर टोपे ने कहा कि महामारी की स्थिति में राजनीति की जानी चाहिए और इसके लिए न मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपील किया जिसका बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी समर्थन किया है. टोपे का कहना है कि ऐसे में अपोजिशंस को रिस्ट्रिक्शंस के खिलाफ प्रोटेस्ट नहीं करना चाहिए. टोपे ने कहा कि हर दिन 7 टन से अधिक ऑक्सीजन की खपत है और 12 मीट्रिक टन का उत्पादन होता है. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो जो उद्योग ऑक्सीजन का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें बंद किया जाएगा.
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