
President’s Rule imposed in the state of Maharashtra:
महाराष्ट्र में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की एनसीपी और कांग्रेस दोनों ने आलोचना की है. कांग्रेस की ओर से कहा गया कि राज्यपाल ने संविधान का मजाक उड़ाया है. उन्होंने बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी को बहुमत साबित करने के लिए बुलाया लेकिन कांग्रेस को नहीं बुलाया. कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि जिस तरह से राष्ट्रपति शासन की मांग की गई, मैं उसकी आलोचना करता हूं. आगे कहा कि पहले एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन को लेकर बातचीत करेंगे, उसके बाद शिवसेना के साथ बातचीत की जाएगी.
एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं ने आज बातचीत की. एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि हम किसी जल्दी में नहीं हैं. बीजेपी द्वारा शिवसेना के साथ सरकार न बनाने का एलान करने के बाद शिवसेना ने कांग्रेस व एनसीपी दोनों के साथ सहयोग की कोशिशें कीं और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए राज्यपाल से अतिरिक्त वक्त मांगा. लेकिन राज्यपाल ने शिवसेना को 3 अतिरिक्त दिनों का वक्त नहीं दिया.
NCP Chief Sharad Pawar: We are in no hurry. We will hold discussions with Congress and then take a decision (to support Shiv Sena). #MaharashtraGovtFormation pic.twitter.com/MYYYgEpKv0
— ANI (@ANI) November 12, 2019
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की तरफ से बारी-बारी से तीनों बड़े दलों (भाजपा, शिवसेना और एनसीपी) को सरकार गठन का न्योता दिया गया था लेकिन कोई भी दल दावा पेश नहीं कर सका. नतीजतन राज्यपाल ने मंगलवार दोपहर राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी, जिसे पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी. इसके बाद राष्ट्रपति शासन की फाइल को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया था, जिस पर मुहर लग गई. राज्यपाल ने हालांकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को मंगलवार शाम 8:30 बजे तक सरकार बनाने के लिए अपना दावा पेश करने का समय दिया था.
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को ही समाप्त हो गया था. उधर, राज्यपाल के फैसले के खिलाफ शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. शिवसेना का कहना है कि राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए तीन दिन का समय नहीं दिया. शिवसेना ने इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस पर आज सुनवाई नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने रिट याचिका का उल्लेख अदालत के समक्ष बुधवार सुबह करने को कहा है.
President’s Rule imposed in the state of #Maharashtra, after the approval of President Ram Nath Kovind. pic.twitter.com/tR3qW4xYbR
— ANI (@ANI) November 12, 2019
महाराष्ट्र में किसी भी दल को स्पष्ट जनादेश नहीं मिला था. हालांकि, गठबंधन के साथ चुनाव लड़े भाजपा और शिवसेना की कुल सीटें बहुमत से ज्यादा थी, जो सरकार गठन के लिए काफी थी. 288 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा 105 सीट और शिवेसना 56 सीटों पर जीती थीं. लेकिन, दोनों ही दलों में मुख्यमंत्री पद पर पेंच फंस गया. शिवसेना सीएम पद पर अड़ गई, जबकि भाजपा ने साफ कर दिया किया सीएम उसी का होगा. दोनों दलों की तरफ से बातचीत के बाद भी रास्ता नहीं निकला और आखिरकार भाजपा-शिवसेना का करीब तीन दशक पुराना गठबंधन टूट गया.
राजभवन की तरफ से जारी प्रेस नोट में कहा गया कि राज्य में धारा 356 लगाई जानी चाहिए. महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन ही विकल्प है. संविधान के अनुसार सरकार बनाना संभव नहीं है.
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार दोपहर हुई कैबिनेट की बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक गतिरोध पर चर्चा हुई. जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति को राज्य में सेंट्रल रूल लगाने की सिफारिश कर दी गई. कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रधानमंत्री ब्रिक्स समिट में शामिल होने के लिए ब्राजील रवाना हो गए. बता दें, राज्य में 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56 सीटें, राकांपा ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीतीं हैं.
शिवसेना पहुंची सुप्रीम कोर्ट
एएनआई के अनुसार, गर्वनर की तरफ से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश के फैसले के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. शिवसेना ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार बनाने की क्षमता साबित करने के लिए उसे पर्याप्त समय नहीं दिया गया. शिवसेना ने राज्यपाल से 3 दिन का समय मांगा था . शिवसेना की तरफ से एडवोकेट सुनील फर्नांडीस ने याचिका दाखिल की है. शीर्ष अदालत से इस मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की गई है.
बता दें, बीजेपी और शिवसेना की तरफ से सरकार बनाने का दावा नहीं किये जाने के बाद सोमवार शाम राज्यपाल ने एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था. सोमवार शाम शिवसेना के आदित्य ठाकरे और एकनाथ शिंदे के साथ कई नेता राज्यपाल से मिले और सरकार बनाने के लिए और समय की मांग की. लेकिन, राज्यपाल ने शिवसेना को अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया.
तीनों बड़ दल नहीं पेश कर पाए दावा
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सबसे पहले विधानसभा चुनाव में 288 में से 105 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी बीजेपी को सरकार बनाने का आमंत्रण दिया था, लेकिन बीजेपी ने पर्याप्त बहुमत का हवाला देते हुए सरकार बनाने से इनकार कर दिया. इसके बाद राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने के लिए न्योता दिया और सोमवार शाम तक का समय दावा पेश करने के लिए दिया था.
एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने की पुरजोर कोशिश में लगी शिवसेना सोमवार दोपहर तक बहुमत के जरूरी नंबर जुटा पाने को लेकर भरोसे मे दिख रही थी, लेकिन शाम तक कांग्रेस की तरफ से समर्थन पर स्पष्ट भरोसा नहीं मिल पाने की स्थिति में शिवसेना दावा नहीं कर सकी. शिवसेना ने राज्यपाल से तीन दिन का समय मांगा था, जिसे राज्यपाल ने देने से इनकार कर दिया. इसके बाद, सोमवार शाम एनसीपी को सरकार बनाने के लिए राज्यपाल ने बुलाया और मंगलवार शाम 8:30 बजे तक का समय दिया था.
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