Eid Mubarak 2022 Wishes, Greetings, Quotes, Messages: रमजान के पाक महीने के अंत के साथ, दुनिया भर के मुसलमान ईद-उल-फितर का त्योहार मनाने की तैयारी में हैं. ईद मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार है. यह पर्व लोगों के बीच प्रेम और भाईचारे का संदेश लेकर आता है. बच्चे-बड़े इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं. सऊदी अरब में रविवार को चांद दिखाई नहीं दिया जिसके चलते यहां ईद 3 मई को मनाई जाएगी. भारत में भी यह त्योहार सऊदी अरब के साथ ही मनाया जाएगा. ऐसा बहुत कम देखा गया है क्योंकि अक्सर सऊदी के बाद भारत में ईद होती है.
खूबसूरत शायरी व कोट्स के ज़रिए भेजें ईद मुबारक का पैगाम
ईद पर मस्जिदों में सामूहिक नमाज़ पढ़ी जाती है और अल्लाह का शुक्रिया अदा करके जश्न मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं. वैसे तो ईद-उल-फितर के त्योहार पर एक दूसरे को गले मिला जाता है, लेकिन आप सोशल मीडिया पर इन मैसेज, तस्वीरों और शायरी के जरिए भी अपने करीबी लोगों तक ईद मुबारक का पैगाम भेज सकते हैं.
- सदा हँसते रहो जैसे हँसते हैं फूल;
दुनिया के सारे गम तुम जाओ भूल;
चारों तरफ फ़ैलाओ खुशियों के गीत;
इसी उम्मीद के साथ तुम्हें मुबारक हो ईद.
ईद मुबारक
2. ईद का चाँद तुम ने देख लिया
चाँद की ईद हो गई होगी
इदरीस आज़ाद
3. ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिम
रस्म-ए-दुनिया भी है मौक़ा भी है दस्तूर भी है
क़मर बदायूंनी
4. मिल के होती थी कभी ईद भी दीवाली भी
अब ये हालत है कि डर डर के गले मिलते हैं
अज्ञात
5. तुझ को मेरी न मुझे तेरी ख़बर जाएगी
ईद अब के भी दबे पाँव गुज़र जाएगी
ज़फ़र इक़बाल
6. ईद आई तुम न आए क्या मज़ा है ईद का
ईद तो नाम है इक दूसरे की दीद का
अज्ञात
7. हम ने तुझे देखा नहीं क्या ईद मनाएँ
जिस ने तुझे देखा हो उसे ईद मुबारक
लियाक़त अली आसिम
8. देखा हिलाल-ए-ईद तो आया तेरा ख़याल
वो आसमाँ का चाँद है तू मेरा चाँद है
अज्ञात
9. ऐ हवा तू ही उसे ईद-मुबारक कहियो
और कहियो कि कोई याद किया करता है
त्रिपुरारि
10. जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें
ईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही
अमजद इस्लाम अमजद
11. कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती
हम को अगर मयस्सर जानाँ की दीद होती
ग़ुलाम भीक नैरंग
12. उस से मिलना तो उसे ईद-मुबारक कहना
ये भी कहना कि मेरी ईद मुबारक कर दे
दिलावर अली आज़र
13. ईद का दिन है सो कमरे में पड़ा हूँ ‘असलम’
अपने दरवाज़े को बाहर से मुक़फ़्फ़ल कर के
असलम कोलसरी
14. फ़लक पे चाँद सितारे निकलने हैं हर शब
सितम यही है निकलता नहीं हमारा चाँद
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
15. ईद अब के भी गई यूँही किसी ने न कहा
कि तेरे यार को हम तुझ से मिला देते हैं
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी