
देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को कैसे दिशा मिले, यह केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. हर पॉलिसी मेकर इसे लेकर चिंतित है. रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ये बातें एक कार्यक्रम में कही हैं. दास ने कहा कि सुस्ती के संकेतों के साथ उम्मीद से कम ग्रोथ ग्लोबल फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के लिए प्रमुख जोखिम है. हालांकि, बैंकों को झटके सहने के लिए अधिक लचीला बनाया जा रहा है.
IBC में संधोधन से बैंकों को फायदा
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (IBC) में संशोधन सार्वजनिक बैंकों की मदद करेगा. बैंकों को इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि वे सरकार पर निर्भर होने के बजाए बाजार से पूंजी लेने में सक्षम हो सकें.
आरबीआई गवर्नर ने राज्य संचालित बैंकों में कॉर्पोरेट प्रशासन की तत्काल समीक्षा करने की बात भी कही है. गवर्नर ने यह भी कहा कि ज्यादा से ज्यादा बैंकों के रेपो-लिंक्ड लोन और जमा मूल्य निर्धारण की ओर बढ़ने और तेजी से लेंडिंग रेट में कटौती करने की उम्मीद है.
बैंकों और NBFCs के संबंधों पर नजर
उन्होंने कहा कि आरबीआई बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के परस्पर संबंधों पर भी करीब से नजर रख रहा है. दास का कहना है कि राष्ट्रीय आवास बैंक (NHB) की ओर से पेश सभी नियम आवास वित्त कंपनियों के लिए जारी रहेंगे. रिजर्व बैंक कुछ नियमों की समीक्षा कर रहा है.
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