
खुदरा महंगाई (Retail Inflation) के मोर्चे पर देशवासियों के लिए राहत की खबर है. खाने के सामान की महंगाई दर कुछ कम होने से अगस्त 2020 में खुदरा महंगाई मामूली रूप से कम होकर 6.69 फीसदी रही. यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों से सामने आई. हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी ऊंची बनी हुई है. सरकार ने जुलाई माह के लिए खुदरा महंगाई के आंकड़े को संशोधित कर 6.73 फीसदी किया था, जो कि पहले 6.93 फीसदी था.
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) डेटा के मुताबिक, जुलाई माह में खाद्य पदार्थों की खुदरा महंगाई 9.27 फीसदी रही थी. जुलाई के खाद्य महंगाई दर आंकड़े को भी संशोधित किया गया है. पूर्व में इसके 9.62 रहने का अनुमान जताया गया था. लेकिन अगस्त माह में यह मामूली रूप से कम होकर 9.05 फीसदी पर आ गई. रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की समीक्षा करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है. सरकार ने केंद्रीय बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो फीसदी घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने का जिम्मा सौंपा है.
सब्जियों की खुदरा महंगाई 11.41%
अगस्त में सब्जियों की खुदरा महंगाई 11.41 फीसदी रही, जो जुलाई में 11.29 फीसदी थी. अनाज व संबंधित उत्पादों की महंगाई घटकर 5.92 फीसदी पर आ गई. जुलाई में यह 6.96 फीसदी थी. मांस व मछली की खुदरा महंगाई अगस्त में 16.50 फीसदी रही, जो जुलाई में 18.81 फीसदी थी. दाल व उत्पादों के मामले में महंगाई कम होकर 14.44 फीसदी पर आ गई. जुलाई में यह 15.92 फीसदी थी. अंडा और फल श्रेणी में खुदरा महंगाई दर बढ़कर अगस्त में क्रमश: 10.11 फीसदी और 1 फीसदी हो गई. फ्यूल व लाइट सेगमेंट में खुदरा महंगाई बढ़कर 3.10 फीसदी हो गई, जो जुलाई में 2.80 फीसदी थी.
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘उपभोक्ता मूल्य सूचंकाक आधारित महंगाई दर अगस्त 2020 में 6.7 फीसदी रही जो उम्मीद से ज्यादा है…खाद्य वस्तुओं और आवास खंड में महंगाई दर में जो कमी आयी, उसकी भरपाई पान, तंबाकू, ईंधन और विविध वस्तुओं के दाम में वृद्धि ने कर दी. स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन के करण आपूर्ति लगातार बाधित होने और कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश से खाद्य और पेय पदार्थों की मुद्रास्फीति में खास कमी नहीं आयी और उच्च स्तर पर बनी हुई है. अगले महीने सितंबर में इसमें कोई बड़ी कमी की उम्मीद नहीं है. ऐसे में आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कटौती की संभावना कम जान पड़ती है.’
नाइट फ्रैंक इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि आपूर्ति की बाधाओं के कारण खुदरा मुद्रास्फीति ऊंची है. इसका दबाव कम होने पर रिजर्व बैंक दर में कमी कर सकता है. डेलॉय इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजूमदार ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से आपूर्ति बाधित होने से मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है. हालांकि लॉकडाउन में निरंतर ढील के साथ आपूर्ति व्यवस्था धीरे-धीरे सुधर रही है.
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