Aarey Forest: महाराष्ट्र में आरे कॉलोनी के जंगल को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमी और कार्यकर्ता एक बार फिर विरोध प्रदर्शन तेज करने की तैयारी में हैं. बता दें कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली नई सरकार ने उद्धव सरकार के आरे में मेट्रो कारशेड नहीं बनाने के फैसले को पलट दिया. सरकार के इस फैसले से पर्यावरण प्रेमियों और कार्यकर्ताओं में गुस्सा है और वे इसके खिलाफ नए सिरे से लड़ाई के लिए तैयार हो रहे हैं. 1,800 एकड़ में फैले इस आरे फॉरेस्ट को अक्सर ‘मुंबई का फेफड़ा’ कहा जाता है. आरे जंगल में तेंदुओं के अलावा जीव-जंतुओं की करीब 300 प्रजातियां पायी जाती हैं. यह उपनगर गोरेगांव में स्थित है और संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ा हुआ है.
पहले कांजुर मार्ग में बनाने की थी तैयारी
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने पहले कांजुर मार्ग को कार शेड के लिए चुना था. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल में राज्य के महाधिवक्ता और प्रशासन को कांजुर मार्ग के बजाय आरे कॉलोनी में कार शेड बनाने का प्रस्ताव सौंपने का निर्देश दिया. पर्यावरण कार्यकर्ताओं के अनुसार, वन न केवल शहर के लोगों को ताजा हवा देते हैं बल्कि यह वन्यजीवों के लिए प्रमुख प्राकृतिक वास है और इनमें से कुछ तो स्थानिक प्रजातियां हैं. इस वन में करीब पांच लाख पेड़ हैं और कई नदियां व झीलें यहां से गुजरती हैं.
ये है पूरा मामला
- मेट्रो-3 कार शेड प्रोजेक्ट को 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने सबसे पहले आरे में बनाने का प्रस्ताव दिया था जिसे स्थानीय NGO वनशक्ति ने बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
- इसके बाद फडणवीस भी इसी प्रस्ताव पर आगे बढ़े. लेकिन पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने कार शेड के लिए आरे में पेड़ काटे जाने का कड़ा विरोध किया.
- शिवसेना-NCP-कांग्रेस गठबंधन के 2019 में सत्ता में आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को पलट दिया और मेट्रो-3 कार शेड को कांजुर मार्ग पूर्वी उपनगर में बनाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन यह फैसला कानूनी विवाद में फंस गया.
- ठाकरे सरकार ने आरे को आरक्षित वन भी घोषित कर दिया था. मुंबई महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (MARDA) के एक अधिकारी ने बताया कि करीब 900 दिन मुकदमों में बर्बाद हो गए और कांजुर मार्ग या आरे में कोई निर्माण नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, ‘‘इसका साफ तौर पर मतलब है कि आरे में मेट्रो-3 कार शेड का निर्माण पूरा होने में कम से कम तीन साल का वक्त लगेगा.’’
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मेट्रो-3 कार शेड प्रोजेक्ट क्यों है अहम
निर्माण के कई चरणों में विभिन्न मेट्रो लाइनें हैं लेकिन मेट्रो-3 कार शेड अहम है क्योंकि मुख्यत: यह पश्चिमी उपनगर को मुंबई में दो प्रमुख औद्योगिक हब बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स और एसईईपीजेड से जोड़ती है. आरे की जमीन पर कार शेड बनाने का विरोध कर रहे NGO वनशक्ति के सदस्य डी स्टालिन ने कहा, ‘‘यह महज कार शेड नहीं है जो आरे की जमीन पर बन रही है. रियल एस्टेट कंपनियों के भी आने की प्रबल संभावना है. इससे आरे वन भूमि हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएगी.’’
स्टालिन ने कहा कि आरे वन की महत्ता महज इतनी नहीं है कि यह ताजी हवा देता है, तापमान और प्रदूषण कम करता है व शहर में भूजल को बनाए रखने में मदद करता है. उन्होंने कहा, ‘‘यह वन्यजीवों के लिए अहम प्राकृतिक वास भी है और कुछ स्थानिक प्रजातियों का भी घर है, जीवजंतु हर कहीं नहीं पाए जाते. यह दो नदियों, तीन झीलों और पांच लाख पेड़ों का भी घर है. इसे क्यों छेड़ना?’’
(इनपुट-पीटीआई)